नई दिल्लीः ऑस्ट्रेलिया में चॉकलेट प्रोडक्शन और खपत का एक लंबा इतिहास रहा है. यहां के लोगों द्वारा इस मौसम में चॉकलेट, हॉट क्रॉस बन्स और अन्य विशेष खाद्य पदार्थों पर लगभग 1.7 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है. ये सभी चॉकलेट कोको बीन्स से बनाया जाते हैं. इन्हें बनाने के लिए एक लंबी प्रक्रिया को फॉलो किया जाता है. इन्हें किण्वन, सुखाने, भूनने समेत विभिन्न तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है.
ऐसी होती है पूरी निमार्ण प्रक्रिया
शेष सामग्री एक प्रचुर और वसायुक्त तरल पदार्थ है. इनमें से वसा (कोकोआ मक्खन) और कोको (या कोको) पाउडर को अलग करने के लिए इसे सुखाया जाता है और बाद में इसे डार्क, दूध, सफेद और अन्य प्रकार के चॉकलेट बनाने के लिए विभिन्न मटेरियल के साथ मिक्स किया जाता है. इन मीठे चॉकलेट पैकेजों से कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ और समस्याएं आती हैं.
इन चीजों में होते हैं फायदेमंद
इसमें अच्छी बात यह है कि कोको बीन्स में आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता और फास्फोरस जैसे खनिज तथा कुछ विटामिन पाए जाते हैं. इसके अलावा वे पॉलीफेनोल्स नामक लाभकारी रसायनों से भी भरपूर होते हैं. ये एंटीऑक्सीडेंट (प्रतिउपचायक) होते हैं. इनमें हृदय हेल्थ में सुधार, नाइट्रिक ऑक्साइड (जो रक्त वाहिकाओं को पतला करता है) को बढ़ाने और रक्तचाप को कम करने, आंत के माइक्रोबायोटा के लिए भोजन प्रदान करने तथा आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने एवं सूजन को कम करने की क्षमता होती है.
ज्यादा चॉकलेट खाने से बढ़ जाती है पॉलीफेनोल्स की मात्रा
हालांकि, जो लोग ज्यादा चॉकलेट खाते हैं, उनमें पॉलीफेनोल्स की मात्रा काफी हद तक बढ़ जाती है. ये पॉलीफेनोल्स अंतिम उत्पाद में उपयोग किए जाने वाले कोको ठोस मात्रा पर निर्भर करते हैं. सामान्य शब्दों में, चॉकलेट जितना गहरे रंग का होगा, उसमें उतने ही अधिक कोको ठोस, खनिज और पॉलीफेनोल्स होंगे. उदाहरण के लिए, डार्क चॉकलेट में सफेद चॉकलेट की तुलना में लगभग सात गुना अधिक पॉलीफेनोल्स और दूध चॉकलेट की तुलना में तीन गुना अधिक पॉलीफेनोल्स हो सकते हैं.
कोको बीन्स में होते हैं थियोब्रोमाइन
कोको बीन्स में थियोब्रोमाइन नामक यौगिक शामिल होता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो चॉकलेट के कुछ स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा यह एक हल्का मस्तिष्क उत्तेजक भी है जो कैफीन के समान कार्य करता है. दूध और सफेद चॉकलेट की तुलना में डार्क चॉकलेट में थियोब्रोमाइन अधिक होता है. लेकिन चॉकलेट में थियोब्रोमाइन की अधिक मात्रा होने से बेचैनी, सिरदर्द और मतली महसूस हो सकती है.
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