नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंंड के बीच पिछले साल शुरू हुई 5 मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मैच बर्मिंघम के मैदान पर खेला जा रहा है. भारतीय टीम ने पिछले साल खेले गये 4 मैचों में 2-1 की बढ़त हासिल की हुई थी और इस आखिरी मैच जीत या फिर ड्रॉ के साथ वो सीरीज पर कब्जा कर सकती है. एजबास्टन के मैदान पर खेले जा रहे इस अहम मैच में भारतीय टीम ने पहले बैटिंग करते हुए 416 रनों का स्कोर खड़ा किया जिसके जवाब में इंग्लैंड की टीम 284 रन ही बना सकी. भारतीय टीम ने पहली पारी में 132 रनों की बढ़त के चलते चौथे दिन का लंच होने तक 361 रनों की बढ़त बना ली है और अभी भी उसके 3 विकेट बाकी हैं.
भारत ने लंच तक ले ली है 361 रन की बढ़त
टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की ओर से सबसे सफल रन चेज की बात करें तो यह 359 रन है जो उसने 2019 में लीडस के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हासिल किये थे. वहीं पर भारत के खिलाफ सबसे बड़े रन चेज की बात करें तो यह ऑस्ट्रेलिया के नाम है जिसने 1977 में पर्थ के मैदान पर चौथी पारी में 339 रन बनाकर मैच जीता था. हालांकि इस मैच में भारत ने दोनों ही स्कोर को पार कर लिया है, लेकिन फिर भी सुरक्षित रहने के लिये ज्यादा से ज्यादा रन बटोरने की कोशिश करेगी.
पहली पारी में भारतीय टीम के लिये शतकीय पारी (146) खेलने वाले ऋषभ पंत ने दूसरी पारी में भी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी जारी रखी और चौथे दिन के पहले सेशन में अपने टेस्ट करियर का 10वां अर्धशतक पूरा किया. ऋषभ पंत ने दूसरी पारी में 86 गेंदों का सामना कर 8 चौकों की मदद से 57 रनों की पारी खेली और किसी भारतीय विकेटकीपर की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले तीसरे खिलाड़ी बन गये हैं.
धोनी-बुधी के खास क्लब में भी हुए शामिल
इस फेहरिस्त में बुधी कुंद्रन का नाम सबसे ऊपर काबिज है जिन्होंने 1964 में इंग्लैंड के ही खिलाफ 230 रन (192, 38) बनाने का कारनामा किया था. वहीं इस फेहरिस्त में पूर्व कप्तान एमएस धोनी भी 224 रन (224, खेलने का मौका नहीं मिला) बनाकर दूसरे पायदान पर काबिज हैं जिन्होंने 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह पारी खेली थी. पंत इस फेहरिस्त में 203 रन (146, 57) बनाकर तीसरे पायदान पर काबिज हैं, जबकि फारुख इंजीनियर 187 रन (121,66) के साथ चौथे पायदान पर काबिज हैं.
ऐसा करने वाले दूसरे विकेटकीपर बने पंत
इसके साथ ऋषभ पंत भारत के लिये एक ही मैच में शतक और अर्धशतक लगाने वाले दूसरे विकेटकीपर बैटर भी बन गये हैं. पंत से पहले यह कारनामा सिर्फ फारुख इंजीनियर ने ही किया था, जिन्होंने 1973 में इंग्लैंड के ही खिलाफ मुंबई के मैदान पर 121 और 66 रनों की पारी खेली थी.
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