सुब्रतो कप नेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट में झारखंड बना चैंपियन, गरीब घर की लड़कियों ने लहराया परचम

Subroto Cup National Football Tournament 2022: झारखंड के गुमला स्थित सेंट पैट्रिक स्कूल की लड़कियों ने सुब्रतो कप अंडर 17 फुटबॉल की नेशनल चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया है. ये वे लड़कियां हैं, जो बेहद कमजोर और गरीब घरों से निकलकर इस नेशनल टूर्नामेंट तक पहुंचीं. इनमें से किसी के पिता खेतों में मजदूरी करते हैं तो किसी की मां दूसरों के घरों में काम करती हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 30, 2022, 12:50 PM IST
  • सुब्रतो कप भारत में स्कूली फुटबॉल का सबसे बड़ा नेशनल टूर्नामेंट
  • गांव की रहने वाली हैं सभी प्लेयर्स
सुब्रतो कप नेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट में झारखंड बना चैंपियन, गरीब घर की लड़कियों ने लहराया परचम

Subroto Cup National Football Tournament 2022: झारखंड के गुमला स्थित सेंट पैट्रिक स्कूल की लड़कियों ने सुब्रतो कप अंडर 17 फुटबॉल की नेशनल चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया है. ये वे लड़कियां हैं, जो बेहद कमजोर और गरीब घरों से निकलकर इस नेशनल टूर्नामेंट तक पहुंचीं. इनमें से किसी के पिता खेतों में मजदूरी करते हैं तो किसी की मां दूसरों के घरों में काम करती हैं. इनमें से किसी के सिर से पिता का साया उठ चुका है तो किसी ने स्कूल में दाखिला लेने के बाद पांवों में जूते नहीं पहने.

सुब्रतो कप भारत में स्कूली फुटबॉल का सबसे बड़ा नेशनल टूर्नामेंट

नई दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम में बुधवार को खेले गये टूर्नामेंट के फाइनल में जब इस टीम ने मणिपुर के वांगोई हायर सेकेंडरी स्कूल को 3-1 से शिकस्त देकर चमचमाती ट्रॉफी और साढ़े तीन लाख रुपये का कैश प्राइज जीता तो टीम के हर खिलाड़ी के चेहरे पर गर्व के साथ मुस्कान थी. सुब्रतो कप भारत में खेला जाने वाला सबसे बड़ा इंटर स्कूल फुटबॉल का नेशनल टूर्नामेंट है.

सेंट पैट्रिक स्कूल का 25 साल पुराना सपना हुआ सच

गुमला के सेंट पैट्रिक स्कूल के प्रिंसिपल फादर रामू विन्सेंट ने कहा कि हमारी लड़कियों ने 25 साल पुराना सपना सच कर दिया है. वर्ष 2009 और 2010 में हमारे स्कूल के लड़कों की टीम स्टेट चैंपियनशिप जीतने के बाद सुब्रतो कप के नेशनल टूर्नामेंट में पहुंची थी, लेकिन हमारा सफर क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाया था. हम 1996 से ही सुब्रतो कप की ट्रॉफी झारखंड की धरती पर लाने का सपना देख रहे थे.

खिलाड़ियों को मुश्किल से भर पेट मिल पाता है खाना

टीम की कोच वीणा बताती हैं कि जिन लड़कियों को घरों में बड़ी मुश्किल से भर पेट भोजन भेंट हो पाता था, उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग के बाद एक सपना सच कर दिखाया है. उन्होंने बताया कि 2020 में लॉकडाउन के समय से ही लगातार कड़ी मेहनत से चैंपियन की यह टीम तैयार हुई. वह कहती हैं कि सिमडेगा के डीसी सुशांत गौरव और स्कूल के प्रिंसिपल फादर रामू विन्सेंट ने न सिर्फ टीम की क्लोज मॉनिटरिंग की, बल्कि खिलाड़ियों के लिए हर संभव सुविधाएं उपलब्ध कराई.

गांव की रहने वाली हैं सभी प्लेयर्स

टूर्नामेंट में बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड और 25 हजार रुपये का कैश प्राइज जीतने वाली ज्योत्सना बाड़ा कोलेबिरा के एक छोटे गांव की रहने वाली हैं. वह बताती हैं कि उसके पिता साधारण किसान हैं और किसी तरह इतनी फसल उगा लेते हैं कि घर में दो वक्त की रोटी बन पाती है. इसी तरह टीम की प्लेयर शिवानी टोप्पो ने बताया कि उसके पिता का निधन तीन साल पहले हो गया था. आंखों के सामने अंधेरा था, लेकिन सेंट पैट्रिक स्कूल ने मुझे दुख से उबारा. यहीं फुटबॉल से रिश्ता जुड़ा और इसके बाद आज चैंपियनशिप जीतकर जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी मिली है. गुमला के डीसी सुशांत गौरव ने कहा कि इन बेटियों ने पूरे जिले और राज्य का नाम ऊंचा किया है.

पहले भी इस स्कूल से निकल चुके हैं नेशनल प्लेयर्स

सेंट पैट्रिक स्कूल की कई छात्राएं इसके पहले देश की महिला फुटबॉल टीम के लिए खेल चुकी हैं. इनमें सुमति उरांव अभी भी भारतीय महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा हैं. इसके पहले अंकिता तिर्की भी फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप कैंप के लिए चुनी गई थी. इसी स्कूल की छात्रा रही सुप्रीति कच्छप ने इस वर्ष हरियाणा के पंचकूला में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में लड़कियों के 3,000 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड कायम करते हुए गोल्ड जीता था.

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