1992 Worldcup: क्रिकेट इतिहास का सबसे विवादित मैच, बारिश ने दिया 1 गेंद में 21 रनों का लक्ष्य

1992 में अफ्रीकी टीम कई साल बाद क्रिकेट का विश्वकप खेल रही थी. शानदार खेल दिखाकर दक्षिण अफ्रीका सेमीफाइनल में पहुंचा था और उसका सामना इंग्लैंड से था और इसी मैच में उसे जीत के लिये 1 गेंद पर 21 रन का लक्ष्य मिला था. 

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Mar 21, 2021, 09:34 PM IST
  • दक्षिण अफ्रीका को मिला था एक गेंद में 21 रन का लक्ष्य
  • बारिश ने करा दिया था विश्वकप से बाहर
  • टोनी लुईस और डकवर्थ ने की है इस नियम की खोज
1992 Worldcup: क्रिकेट इतिहास का सबसे विवादित मैच, बारिश ने दिया 1 गेंद में 21 रनों का लक्ष्य

नई दिल्ली: आपने कई बार डकवर्थ लुईस नियम का नाम सुना होगा. जब बारिश के कारण मैच में व्यवधान उत्पन्न होता है और मैच पूरा नहीं हो पाता तो डकवर्थ लुईस नियम का इस्तेमाल करके मैच के विजेता का चयन किया जाता है.

क्या आप जानते हैं कि इस नियम का सबसे चर्चित प्रयोग कब किया गया था और ये नियम अस्तित्व में कब आया. 22 मार्च 1992 को विश्वकप सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच मैच को डकवर्थ लुईस नियम (DLS) के लिये हमेशा याद किया जाता है. 

दक्षिण अफ्रीका को मिला था एक गेंद में 21 रन का लक्ष्य

1992 में अफ्रीकी टीम कई साल बाद क्रिकेट का विश्वकप खेल रही थी. शानदार खेल दिखाकर दक्षिण अफ्रीका सेमीफाइनल में पहुंचा था और उसका सामना इंग्लैंड से था. बारिश के कारण खेल रोकना पड़ा और बाद में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिये 1 गेंद पर 21 रन का लक्ष्य मिला जबकि उससे पहले अफ्रीकी टीम को 13 गेंद में 22 रन बनाने थे. 

जानिये मैच का पूरा हाल

1992 के विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका ने शानदार खेल दिखाया था. पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका ने ताकतवर ऑस्ट्रेलिया को 9 विकेट से हराया और इसके बाद वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, जिम्बाब्वे और भारत को भी करारी शिकस्त दी. सेमीफाइनल में अफ्रीकी टीम का मुकाबला इंग्लैंड से हुआ. मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की और बारिश की वजह से मैच 45 ओवर का हो गया था. ग्रीम हिक ने 90 गेंद पर 83 रन की पारी खेल स्कोर 45 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 252 रन तक पहुंचा दिया. उस जमाने में ये बहुत बड़ा लक्ष्य माना जाता था और किसी भी टीम के लिये ये लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल होता था. 

बारिश ने करा दिया विश्वकप से बाहर

अफ्रीका के बल्लेबाजों ने सधी हुई शुरुआत दी और अपनी टीम को लगभग जीत के करीब ले आए. ओपनर एंड्रयू हडसन ने 52 गेंद पर 46 रन बनाकर टीम को अच्छी शुरुआत दी थी. इसके बाद एड्रियन कूपर ने 36, हेंसी क्रोन्जे ने 24 और जोंटी रोड्स ने 38 गेंद पर 43 रन बनाए. ब्रायन मैकमिलन (21 रन नाबाद) और डेविड रिचर्डसन (13 रन नाबाद) ने भी 26 रन जोड़े थे और अफ्रीका का स्कोर 42.5 ओवर में 6 विकेट पर 231 रन था.

ब्रायन और रिचर्डसन विकेट पर थे. टीम को जीत के लिए 13 गेंद पर 22 रन चाहिए थे. तभी एक बार फिर जोरदार बारिश आ गई.

स्कोरबोर्ड से भी हो गई थी गलती

बारिश के बाद जब खेल शुरू हुआ तब नियमों के आधार पर दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिये 1 गेंद पर 21 रनों का लक्ष्य दिया गया. ये लक्ष्य देखकर हर कोई चौंक गया और मैच रेफरी की गलती देने लगा. गौरतलब है कि तब टीम के मौजूदा रनरेट के आधार पर ये लक्ष्य दिया गया था. हालांकि जो टारगेट अफ्रीका को मिला था वो तब के नियमों के अनुसार बिल्कुल सही था और दक्षिण अफ्रीका को उस नियम के आधार पर हार मिली और टीम विश्वकप से बाहर हो गयी.

ये भी पढ़ें- इंग्लैंड को इकलौता टी-20 वर्ल्डकप दिलाने वाले कप्तान ने सभी टीमों को दी चेतावनी

रोचक बात ये है कि इसके बाद स्कोरबोर्ड ने भी गलती कर दी और 1 गेंद पर 22 रन का लक्ष्य दिखा दिया था. बाद में इसमें सुधार किया गया था. कई लोग यह समझते हैं कि इस मैच में साउथ अफ्रीका की हार डकवर्थ लुईस नियम के कारण हुई थी, किन्तु तब तक यह नियम अस्तित्व में ही नहीं आया था. बाद में इस नियम का प्रयोग शुरू हुआ. डकवर्थ लुईस नियम पहली बार 1997 में अतंरराष्ट्रीय मैच में लागू किया गया. 

क्या है डकवर्थ लुईस नियम

क्रिकेट के खेल में बारिश या मौसम के बाधा डालने के बाद खिलाड़ियों के खेल से ज्यादा अगर किसी चीज की चर्चा होती है तो वो है डकवर्थ लुईस नियम. 1992 के सेमीफाइनल के बाद आईसीसी ने इस नियम को लागू किया. डकवर्थ लुईस नियम आपस में क्रिकेट मैच के दौरान टीमों के विकेटों और रनों के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है। यह नियम मैच की पहली पारी में टीम द्वारा बनाए रनों के आधार पर दूसरी टीम के लिए लक्ष्य के निर्धारण के लिए लागू होता है.

एक ब्रिटिश स्टेटिशियन (सांख्यिकीविद) फ्रैंक डकवर्थ ने क्रिकेट को रुचिकर और पारदर्शी खेल बनाने के लिये एक शोध तैयार किया. 

ये भी पढ़ें- भारत के खिलाफ वनडे सीरीज के लिये इंग्लैंड की टीम घोषित, जो रूट टीम से बाहर

टोनी लुईस और डकवर्थ ने की इस नियम की खोज 

यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड के लेक्चरर टोनी लुईस ने मिस्टर डकवर्थ की मदद की और दोनों ने मिलकर अपने बनाए फॉर्मूले को डकवर्थ लुईस नियम कहा. ICC ने पहली बार 1997 में इंग्लैंड और जिम्बाब्वे के बीच हुए मैच में डकवर्थ लुईस नियम लागू किया और ये मैच जिम्बाब्वे ने जीता था. आधिकारिक रूप से ICC ने 2001 में यह नियम क्रिकेट के सभी फॉरमेट्स में ट्रायल बेस पर स्वीकार किया और फिर 2004 में परमानेंट तौर पर डकवर्थ लुईस नियम आईसीसी का अंग बना.

साल 2015 में डकवर्थ लुईस फॉर्मूला बदलकर डकवर्थ-लुईस-स्टर्न फॉर्मूला कर दिया गया. डकवर्थ और लुईस के की रिसर्च में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीव स्टर्न के द्वारा किए गए शोध को भी शामिल कर लिया गया जिसमें टीमों के लिए शुरुआत में लक्ष्य का पीछा करते हुए विकेट बचाकर रखने के साथ-साथ तेजी से रन बनाने की व्यवस्था को भी शामिल किया गया है. इसलिये अब ये डकवर्थ लुईस (DL) के बजाय डकवर्थ लुईस स्टर्न (DLS) नियम कहा जाता है. 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़