नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक खेल अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. इस बार भारतीय दल ने ओलंपिक खेलों में अपने सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के करीब पहुंच गया है. भारतीय दल अब तक कुल पांच पदक अपने नाम कर चुका है जिसमें 2 रजत और 3 कांस्य पदक शामिल हैं. ऐसे में भारत को शनिवार को तीन पदकों की आस है. एक पदक भालाफेंक में नीरज चोपड़ा दिला सकते हैं तो दूसरा बजरंग पुनिया. नीरज चोपड़ा से जहां देश को सोने की आस है तो वहीं बंजरंग कांसा दिला सकते हैं. लेकिन तीसरा पदक दिला सकती हैं महिला गोल्फर अदिति अशोक.
लगातार दूसरी बार ओलंपिक में शिरकत कर रही हैं अदिति
अदिति अशोक लगातार दूसरी बार ओलंपिक खेलों में भाग ले रही हैं. रियो ओलंपिक में अदिति ने महज 18 साल की उम्र में भारत की ओर से शिरकत की थी और ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर बनीं थीं. रियो में 41वें पायदान पर रहीं अदिति पांच साल बाद टोक्यो में पदक की दावेदार बनकर उभरी हैं. शुक्रवार तक खेल के तीसरे दौर यानी व्यक्तिगत स्ट्रोक प्ले के बाद दूसरे पायदान पर हैं. पहले स्थान पर दुनिया की नंबर एक महिला गोल्फर नेली कोरडा हैं.
अदिति के पास है गोल्ड जीतने का शानदार मौका
23 वर्षीय अदिति के पास ओलंपिक पदक जीतने का शानदार मौका है. अगर शनिवार को वो अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखने में सफल हुईं तो निश्चित तौर पर भारत के खाते में एक और पदक आ सकता है. उनके पास गोल्ड मेडल जीतने का भी शानदार मौका है.
रियो ओलंपिक में हुई थी गोल्फ की 112 साल बाद वापसी
ओलंपिक खेलों में गोल्फ का इतिहास भी बेहद पुराना है. साल 1900 में पेरिस में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में गोल्फ को भी शामिल किया गया था. इसके बाद 1904 के ओलंपिक खेलों में भी इसे जगह मिली लेकिन इसके बाद गोल्फ को ओलंपिक खेलों में वापसी के लिए 112 साल लंबा इंतजार करना पड़ा.
टोक्यो में भारत की ओर से उतरे थे चार गोल्फर
ओलंपिक खेलों की साल 2016 में रियो में वापसी हुई थी, ऐसे में टोक्यो ओलंपिक के लिए भी वो अपनी जगह बचा पाने में कामयाब रहा है. टोक्यो ओलंपिक में अदिति अशोक के अलावा भारत की ओर से अनिर्बान लाहिड़ि, उदयन माने और दीक्षा डागर ने भी शिरकत की थी. लेकिन पदक के करीब केवल अदिति पहुंच सकीं.
अदिति को 5 साल की उम्र में हुआ था गोल्फ से प्यार
अदिति का जन्म 29 मार्च 1998 को कर्नाटक का राजधानी बेंगलुरु में हुआ था.
उन्होंने महज पांच साल की उम्र में गोल्फ स्टिक अपने हाथ में पकड़ी और समय के साथ उनकी पकड़ मजबूत होती गई. जब अदिति ने गोल्फ खेलने के शुरुआत की उस वक्त बेंगलुरू में केवल तीन गोल्फ कोर्स थे. बेटी की गोल्फ सीखने की जिद के आगे पिता की एक न चली और वो उन्हें गोल्फ का ककहरा सीखने के लिए कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन ड्राइविंग रेंज ले जाने लगे.
महज 13 साल की उम्र में पहली बार आईं थीं सुर्खियों में
अदिति पहली बार गोल्फ में अपने शानदार प्रदर्शन की वजह से पहली बार सुर्खियों में आईं तब उनकी उम्र महज 13 साल थी. सुर्खियों की वजह साल 2011 में आयोजित इंडियन ओपन चैंपियनशिप में उनका शानदार प्रदर्शन था जिसमें उन्होंने जानी मानी भारतीय महिला गोल्फर सिमी मेहरा को मात दी थी. इसके बाद वो नियमित तौर पर गोल्फ सर्किट में नजर आने लगीं. साल 2013 में अदिति ने एशियाई यूथ खेल और साल 2014 में यूथ ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
2020 में मिला था अर्जुन पुरस्कार
महज 17 साल की उम्र में अदिति ने मोरक्को में आयोजित लल्ला आइचा टूर स्कूल का टाइटल अपने नाम किया. इसके साथ ही वो क्वालीफाइंग स्कूल जीतने वाली पहली भारतीय और सबसे कम उम्र की महिला गोल्फर बन गईं. इसके बाद उन्होंने 2016 में हीरो महिला इंडियन ओपन का खिताब अपने नाम किया. इसके महज 15 दिन बाद उन्होंन कतर लेडीज ओपन का टाइटल भी जीत लिया. इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत उन्हें साल 2016 का रूकी ऑफ द ईयर का पुरस्कार अपने नाम किया.
5 फुट 8 इंच लंबी अदिति साल 2017 में भारत की पहली लेडीज प्रोफेशनल गोल्फ एसोसिएशन गोल्फर बनीं. दुनिया भर में महिला गोल्फ सर्किट पर शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारत सरकार ने साल 2020 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया. अदिति अबतक कुल पांच प्रोफेशनल खिताब अपने नाम कर चुकी हैं जिसमें से तीन यूरोपियन टूर खिताब हैं.
माता-पिता का है करियर में अहम योगदान
कोरोना संकट के बीच ओलंपिक की तैयारी करने वाली अदिति के माता पिता का उनकी सफलता में बड़ा हाथ रहा है. टोक्यो ओलंपिक में उनकी मां माहेश्वरी अशोक उनकी कैडी की भूमिका में हैं. रियो ओलंपिक के दौरान उनके पिता गुडलामणि अशोक ने ये जिम्मेदारी संभाली थी. कैडी का काम खेल के दौरान गोल्फर का बैग उठाना होता है.
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