नई दिल्ली: भारत के स्टार एथलीट मुरली श्रीशंकर ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में इतिहास रचते हुए लंबी कूद में सिल्वर मेडल पर कब्जा किया. उन्होंने देश को कॉमनवेल्थ की पुरुष लॉन्ग जम्प इवेंट में पहली बार सिल्वर मेडल दिलाया है. लंबी कूद इवेंट में CWG के इतिहास में मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय पुरुष एथलीट मुरली श्रीशंकर बन गए हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों में मुरली के पास गोल्ड जीतने का बेहतरीन मौका था लेकिन उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. हवा की रफ्तार ने मुरली के मेडल का रंग गोल्ड से सिल्वर कर दिया.
सिल्वर से भी संतुष्ट हैं मुरली श्रीशंकर
राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की लंबी कूद स्पर्धा में मामूली अंतर से स्वर्ण पदक से चूक कर रजत पदक से संतोष करने वाले भारतीय एथलीट मुरली श्रीशंकर ने कहा कि यह अधिक से अधिक सफलता हासिल करने की उनकी भूख की शुरुआत मात्र है. लंबी कूद के इस एथलीट के लिए पदक जीतना आसान नहीं रहा क्योंकि तीसरे प्रयास में बाद 7.84 मीटर कूद लगाकर छठे स्थान पर खिसक गए थे. इसके बाद उन्होंने अच्छी वापसी की और चौथे प्रयास में 8.08 मीटर कूद लगाई जिससे वह ऐतिहासिक रजत पदक हासिल करने में सफल रहे.
44 साल बाद श्रीशंकर ने दिलाया मेडल
श्रीशंकर ने राष्ट्रमंडल खेलों की लंबी कूद में 44 साल बाद भारत को पदक दिलाया. उनसे पहले 1978 में सुरेश बाबू ने कांस्य पदक जीता था. वह बाबू, अंजू बॉबी जॉर्ज (2002 में मैनचेस्टर खेलों में कांस्य) और एमए प्रजुषा (2010 में नयी दिल्ली खेलों में रजत) के बाद इन खेलों में लंबी कूद में पदक जीतने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी हैं.
हवा की गति ने छीन लिया गोल्ड
मुरली श्रीशंकर के खिलाफ लंबी कूद में बहामास के लेकुअन नेयरन ने गोल्ड पर कब्जा किया. उन्होंने भी 8.08 मीटर की ही छलांग लगाई थी. हालांकि हवा की गति उनकी बारी में -0.1 रही जबकि मुरली की बारी में यह +1.5 थी. साथ ही लेकुअल का दूसरा बेस्ट अटेंप श्रीशंकर की तुलना में अच्छा था. यही वजह है कि भारतीय एथलीट को दूसरा स्थान मिला. केरल के रहने वाले मुरली श्रीशंकर के लिए यह इतिहास रचना इतना आसान नहीं था.
उन्होंने इंग्लैंड में पड़ रही कड़ाके की ठंड का सामना करते हुए खुद को मजबूत बनाए रखा. क्वालिफाइंग राउंड में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले श्रीशंकर को फाइनल राउंड में बेहद कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
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रजत पदक जीतने के बाद श्रीशंकर ने कहा कि मैं वैश्विक प्रतियोगिताओं में लंबे समय से पदक का इंतजार कर रहा था. मैं विश्व इनडोर और विश्व आउटडोर प्रतियोगिताओं में सातवें, विश्व जूनियर में छठे, एशियाई इंडोर में चौथे और एशियाई खेलों में छठे स्थान पर रहा था. हर बार मैं पदक से वंचित रह जाता इसलिए यहां रजत पदक जीतकर मैं वास्तव में बहुत खुश हूं. मैं विश्व स्तर की प्रतियोगिता में पदक के लिए वास्तव में लंबे समय से इंतजार कर रहा था. यह पेरिस ओलंपिक 2024 के बड़े लक्ष्य के लिए मेरा छोटा सा कदम है. मेरी निगाहें अब पेरिस ओलंपिक पर टिकी हैं.
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