कोरोना वायरस की काट है देसी काढ़ा

अगर हमारे इर्द-गिर्द कोरोना वायरस घूम रहा है, तो हमारे घर में ही उसे मारने के उपाय भी मौजूद हैं. जरूरत बस ये है कि हमारे पास उस उपाय की सही जानकारी होनी चाहिए.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 23, 2020, 07:10 AM IST
    • शरीर को कोरोना वायरस से मुक्त बनाता है आयुर्वेदिक काढ़ा
    • तुलसी और देसी जड़ी बूटियों से बनता है काढ़ा
    • शरीर के अंदरुनी विकारों को दूर करता है काढ़ा
कोरोना वायरस की काट है देसी काढ़ा

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण भारत में फैलने के पहले से ही आयुष मंत्रालय लोगों को काढ़ा पीने की सलाह दे रहा है. आयुष मंत्रालय की सलाह है कि दिन में कम से कम एक बार काढ़ा पीने से हम काफी हद तक कोरोना वायरस की मार से बचे रहेंगे.


शरीर को कुदरती तौर पर मजबूत करता है काढ़ा
आयुष मंत्रालय ने लोगों को खुद काढ़ा तैयार बनाने की विधि है. दरअसल काढ़ा बनाने के लिए जिन सामग्रियों का इस्तेमाल करने की सलाह आयुष मंत्रालय ने दी है वो सभी हमारे शरीर को कुदरती तौर पर मजबूत बनाने का काम करते हैं. इन  चीजों से इम्यूनिटी यानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहती है. सबसे अच्छी बात ये है कि काढ़ा बनाने के लिए जरुरी वस्तुओं में से ज्यादातर चीजें हर घर की रसोई में आसानी से मिल जाती है.
इन चीजों से बनाएं काढ़ा
आप भी एक नजर डालिए कि काढ़े में किन चीजों का इस्तेमाल करने से कोरोना का नाश होगा- 
- तुलसी का पत्ता
- दालचीनी
- काली मिर्च
- सौंठ
- मुनक्का
- गुड़
- नींबू

इसके अलावा भारत के देसी नुस्खे जैसे तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, दालचीनी, अजवाइन, गिलोय वगैरा का काढ़ा पीने से भी कोरोना का इलाज माना जा रहा है.


ये है काढ़ा बनाने की विधि
आयुष मंत्रालय द्वारा बताई गई विधि के मुताबिक ऐसे आपको काढ़ा बनाना है. घर में जितने लोग हैं उतना कप पानी ले लें और उसे चूल्हे पर उबालना शुरू करें. पानी जब गर्म हो जाए तो आंच धीमी करें और उसमें तुलसी पत्ता, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ, मुनक्का और गुड़ डाल दें. सभी सामग्रियों को डालने के बाद जब पानी खौलने लगे तो इसे छान लें और इसमें नींबू निचोड़ दें. इस काढ़े को दिन में अगर आप दो बार पी लें तो बहुत तगड़ा सुरक्षा कवच तैयार हो जाएगा. इस काढ़े को पीने से आप कोरोना समेत कई बीमारियों से आसानी से लड़ने में सक्षम हो जाएंगे.
आयुष मंत्रालय के इस नुस्खे को देखकर साफ मतलब निकाला जा सकता है कि प्रकति ने अगर कोरोना दिया है तो इसका समाधान भी प्रकृति में ही मौजूद है. जरुरत है तो केवल इंसान को मायूसी के दौर से बाहर निकलने की. क्योंकि चिंता और घबराहट बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं. चुनौती कितनी भी बड़ी हो उसका समाधान जरूर होता है. कोरोना वायरस की चुनौती से भी हमें इसी तरह खुद को योद्धा बनाकर निपटना होगा.

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