CBSE सहित सभी राज्य बोर्डों पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, कहा- 31 जुलाई तक जारी करें रिजल्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया है कि सभी शिक्षा बोर्ड 31 जुलाई से पहले 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित करें. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 24, 2021, 03:25 PM IST
  • सभी बोर्ड 10 दिनों के भीतर विकसित करें मूल्यांकन पद्धति
  • सभी बोर्डों को अपनी मूल्यांकन पद्धति विकसित करने की स्वतंत्रता
CBSE सहित सभी राज्य बोर्डों पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, कहा- 31 जुलाई तक जारी करें रिजल्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को राज्य शिक्षा बोर्डों को बारहवीं कक्षा के आतंरिक मूल्यांकन के परिणाम 31 जुलाई तक घोषित करने का निर्देश दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि प्रत्येक बोर्ड स्वायत्त है और छात्रों के मूल्यांकन के लिए अपनी पद्धति बनाने के लिए स्वतंत्र भी है.

सभी बोर्ड 10 दिनों के भीतर विकसित करें मूल्यांकन पद्धति

न्यायालय ने कहा कि देशभर में छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक जैसी पद्धति बनाने के बारे में वह कोई निर्देश नहीं देगा. उसने राज्य बोर्डों से कहा कि वे पद्धति जल्द से जल्द बनाएं और इसमें बृहस्पतिवार से लेकर अगले दस दिन से अधिक विलंब नहीं होना चाहिए.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि प्रत्येक बोर्ड को अपनी पद्धति स्वयं विकसित करनी होगा. 

पीठ ने कहा, ‘‘हम बोर्डों को निर्देश देते हैं कि वे जल्द से जल्द पद्धति विकसित करें और इसमें आज से लेकर अगले दस दिन से अधिक विलंब नहीं होना चाहिए. बोर्ड 31 जुलाई 2021 तक आंतरिक मूल्यांकन के परिणाम भी घोषित करें, जो समय सीमा सीबीएसई तथा सीआईएससीई के लिए निर्धारित की गई है.’’

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सभी बोर्डों को अपनी मूल्यांकन पद्धति विकसित करने की स्वतंत्रता

शीर्ष अदालत जिस याचिका पर सुनवाई कर रही थी उसमें राज्यों को कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बोर्ड परीक्षाएं आयोजित नहीं करवाने का निर्देश देने की मांग की गई है. 

पीठ ने कहा, ‘‘हम साफ कर रहे हैं कि प्रत्येक बोर्ड अपनी पद्धति तय कर सकता है. हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि संबंधित बोर्ड द्वारा बनाई गई पद्धति की सटीकता और वैधता का हम समर्थन नहीं कर रहे.’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि जो राज्य बोर्ड बारहवीं की परीक्षा निरस्त कर चुके हैं उन्हें छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक समान पद्धति अपनाने को कहा जा सकता है. 

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘यह संभवत: स्वीकार्य नहीं होगा क्योंकि हर राज्य बोर्ड की अपनी पद्धति है. यह एक समान नहीं हो सकती. हम एक समान पद्धति का निर्देश नहीं देंगे. हर बोर्ड को अपनी पद्धति विकसित करनी होगी.’’

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