Explainer: कैसे पूरा होगा भारत का इलेक्ट्रिक वेहिकल हब बनने का सपना, जम्मू-कश्मीर ने दी नई उम्मीद

Explainer: भारत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने को बढ़ावा देने के लिए तैयार है, देश में लिथियम भंडार की खोज ने ईवी बैटरी सेल निर्माण के क्षेत्र में देश के लिए संभावनाओं को उज्‍जवल कर दिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 25, 2023, 03:26 PM IST
  • निवेश के लिये होगी 33,750 करोड़ रुपये की दरकार
  • जानें कैसे इलेक्ट्रिक वेहिकल के लिये जरूरी है लिथियम
Explainer: कैसे पूरा होगा भारत का इलेक्ट्रिक वेहिकल हब बनने का सपना, जम्मू-कश्मीर ने दी नई उम्मीद

Explainer: जलवायु परिवर्तन दुनिया में एक बड़ी समस्या बना हुआ है जिसे दूर करने के लिये दुनिया भर के पर्यावरण प्रेमी अपनी-अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं. पर्यावरण को कॉर्बन उत्सर्जन से बचाने के लिये इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को बढ़ावा देना एक बड़ा कदम है जिसे अपनाने की ओर विकसित देश तेजी से बढ़ रहे हैं.

भारत भी इलेक्ट्रिक वेहिकल हब बनना चाहता है जिसको लेकर हाल ही में उसे बड़ी उम्मीद मिली है. देश में लिथियम भंडार की खोज ने ईवी बैटरी के निर्माण और बिक्री के क्षेत्र को एक नई दिशा दी है जिससे भारत के इलेक्ट्रिक वेहिकल हब बनने की उम्मीद बढ़ गई है.

निवेश के लिये होगी 33,750 करोड़ रुपये की दरकार

एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के अनुसार, देश को लिथियम-आयन सेल और बैटरी निर्माण संयंत्रों के 50 गीगावॉट की स्थापना के अपने घरेलू लिथियम-आयन बैटरी निर्माण लक्ष्य को पूरा करने के लिए 33,750 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी. भारत का लिथियम सेल उत्पादन 2030 तक 70-100 गीगावॉट होने का अनुमान है.

लॉग9 मैटेरियल्स के संस्थापक और सीईओ डॉ अक्षय सिंघल ने आईएएनएस को बताया, जम्मू-कश्मीर में पाए गए 5.9 मिलियन टन लिथियम भंडार, अगर पूरी तरह से निकाला जाता है और बैटरी-ग्रेड लिथियम में परिवर्तित किया जाता है, तो सेल उत्पादन के 6 टेरावाट तक का समर्थन कर सकता है, जो भारत को अपने शुद्ध शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा.

जानें कैसे इलेक्ट्रिक वेहिकल के लिये जरूरी है लिथियम

लिथियम एक हल्की और प्रतिक्रियाशील धातु है जो ज्यादातर ऑक्साइड और कार्बोनेट के रूप में अन्य सामग्रियों के साथ सांद्रता में पाई जाती है. अपरिष्कृत लिथियम को बैटरी-ग्रेड लिथियम में परिवर्तित करने के लिए शोधन प्रक्रियाओं की एक सीरीज की आवश्यकता होती है जिनमें से कुछ भारत में मौजूद नहीं हैं जिसके लिए हमें अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ सकता है. इस अड़चन को हल करने के लिए, देश के भीतर पूरी सप्लाई चेन सुनिश्चित करने के लिए भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति अनिवार्य है.

कुछ शुरूआती दिक्कतों के बावजूद, भारत में ईवी की पैठ धीरे-धीरे लेकिन लगातार बढ़ रही है, खासकर ई-स्कूटर सेगमेंट में. अब, फॉर-व्हीलर वाहन निर्माता भी शामिल हो गए हैं, जो 2030 तक पारंपरिक ईंधन और आंतरिक दहन इंजन से चलने वाले वाहनों पर निर्भरता को कम करने के भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ा रहे हैं.

2030 तक 30 प्रतिशत बाजार पर होगा भारत का कब्जा

2030 तक, सरकार को उम्मीद है कि ईवी की बिक्री निजी ऑटोमोबाइल के लिए 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों के लिए 70 प्रतिशत और दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए 80 प्रतिशत होगी, जो न केवल लंबी अवधि में देश के तेल आयात बिल को कम करेगा, बल्कि एक स्वच्छ वातावरण भी सुनिश्चित करेगा.

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री में पिछले दो वर्षों में वृद्धि देखी गई है. 2020-21 में 48,179 ईवी बेचे गए, 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,37,811 और 2022-23 में 4,42,901 (9 दिसंबर, 2022 तक) हो गया. काउंटरपॉइंट रिसर्च में ऑटोमोटिव और डिवाइस इकोसिस्टम के अनुसार, फिलहाल ईवी अपनाने के मामले में, थ्री-व्हीलर सेगमेंट 4 फीसदी शेयर के साथ बाजार में सबसे आगे है, इसके बाद टू-व्हीलर्स ( 3.5 प्रतिशत) और पैसेंजर व्हीलर्स (1.3 प्रतिशत) है.

2025 तक बढ़ जाएगी इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी

2025 तक, भारत में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है. एक ऐसे बाजार के लिए, जिसके पास पहले से ही 2डब्ल्यू, 3डब्ल्यू और 4डब्ल्यू सहित 13 लाख से अधिक ईवी हैं, और बढ़ना जारी है, आने वाले वर्षों में जबरदस्त संभावनाएं हैं. जम्मू और कश्मीर में खोजा गया विशाल लिथियम रिजर्व केवल ईवी यात्रा को गति देने वाला है.

सिंघल ने कहा, लिथियम भंडार का प्रभाव कहीं अधिक बड़ा है क्योंकि यह भारत को सिर्फ एक बड़े ईवी उपभोक्ता बाजार से बदलकर हमें वैश्विक स्तर पर एंड-टू-एंड सप्लायर की स्थिति में बदल देगा.

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