भूले-भटके, बिछड़ों को परिवार से मिलाना होगा आसान, 'हैलो दादा ऐप' बनेगा मददगार

Hello Dada App: स्माइल रोटी बैंक शुरू करने वाले आजाद पाण्डेय ने ऐप के बारे में जानकारी दी और बताया कि गोरखपुर में इस तरह का अभियान बीते कुछ सालों से जारी है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 14, 2021, 11:25 AM IST
  • ऐप के जरिए लोगों को उनके घर तक पहुंचाने में काफी सहायता मिलेगी
  • हैलो दादा ऐप बनने से खोये-लावारिस लोगों का रिकॉर्ड रखना होगा आसान
भूले-भटके, बिछड़ों को परिवार से मिलाना होगा आसान, 'हैलो दादा ऐप' बनेगा मददगार

लखनऊः Hello Dada App: अब किसी के जिगर का टुकड़ा उससे दूर नहीं होगा और न ही बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंचा कोई लावारिस हाल में भटकने के लिए मजबूर होगा. दरअसल ऐसे लोगों की मदद के लिए और उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए ऐप के जरिए मदद दी जाएगी. देश के किसी भी शहर में भटके- बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए 'हैलो दादा' ऐप तैयार किया जा रहा है यह ऐप सोशल जिम्मेदारी यानी कि आम जनता की सहभागिता से चलाया जाएगा,

जिसमें हर कोई हर किसी की मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाएगा. इस मुहिम को शुरू किया है स्माइल रोटी बैंक संस्था ने, जिसके सदस्य पहले से ही कई लावारिस या भूले-बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलवा चुके हैं.

ऐसे होगी मदद
ऐप के जरिए लोगों को उनके घर तक पहुंचाने में काफी सहायता मिलेगी. इसके लिए लोगों को लावारिस हाल में घूम रहे बच्चे, बूढ़े या किसी भूले-भटके की तस्वीर अपने मोबाइल से खींचकर हैलो दादा ऐप पर अपलोड करनी होगी. इसके साथ ही एक मैसेज बॉक्स में खोए हुए शख्स का पूरा विवरण भी देना होगा कि वह कहां, किस हाल में पाया गया है.

अगर वह अपना परिचय बता पा रहा है तो उसे भी मेंशन करना होगा. इस ऐप पर फोटो डालते ही स्माइल रोटी बैंक के मेंबर उसकी काउंसलिंग कर उसे घर तक पहुंचाने में मदद करेंगे. साथ ही जिनके परिवार के लोग भटके होंगे, वह खुद भी इस एप के जरिए उन्हें ढूंढ सकेंगे.

नेपाल-बिहार व अन्य शहरों के लोग लापता
स्माइल रोटी बैंक शुरू करने वाले आजाद पाण्डेय ने ऐप के बारे में जानकारी दी और बताया कि गोरखपुर में इस तरह का अभियान बीते कुछ सालों से जारी है. अभी तक हम लोगों से फोन या संपर्क के जरिए जुड़े हैं. जिसमें लोग किसी भी व्यक्ति या बच्चे को इस स्थिति में देखकर हमें जानकारी देते हैं.

लेकिन उनके बारे में सही जानकारी जुटा पाना मुश्किल होता है, साथ ही कोई रिकॉर्ड नहीं मेंटेन हो पाता है. शहर में ऐसे भी कई लोग मिले जो बदहाल स्थिति में पाए गए जबकि वह अच्छे और संभ्रांत परिवारों से आते थे. स्माइल टीम से जुड़े सत्यप्रकाश पाण्डेय, दीपक मिश्रा, अमर पाण्डेय, नरेन्द्र राय व अन्य साथी लोग शहर के लोगों व आमजन के सहयोग से ऐसे बिछड़े और विक्षिप्त लोगों के बिगड़े हुलिए को संवार कर उन्हें घर पहुंचाते रहे हैं. शहर में नेपाल, बिहार व दूसरे शहरों से भी लोग भटके हुए यहां आते हैं.

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ऐप से खोजना होगा आसान
उन्होंने कहा कि हैलो दादा ऐप बन जाने से भटके लोगों को खोजना और आसान हो जाएगा साथ ही फोटो, परिचय आदि की रिकॉर्ड लाइब्रेरी भी तैयार होगी. वहीं वहीं कोड्सजेस्चर वेबसाइट डेवलपर राहुल व विशाल मिश्रा ने कहा कि HelloDada.co.in के जरिए भी स्माइल रोटी बैंक, हैलो दादा कैंपेन का संचालन करेगा.

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