कानपुरः कोरोना से लड़ाई में देश में मौजूद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बखूबी साथ दे रहे हैं. इस वक्त कोई ऐसी प्रयोगशाला नहीं है, जहां कोरोना से जुड़ी छोटे-बड़े या कोई प्रयोग नहीं हो रहे हैं. इसी कड़ी में IIT Kanpur ( आईआईटी कानपुर) भी सामने आया है.
कोरोना वायरस से जारी जंग में मजबूती के लिए संस्थान ने इंटेलीजेंट डिसइंफेक्टेड चैंबर तैयार किया है. ये चैंबर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical Intelligence) के साथ काम करता है.
भीड़भाड़ वाले स्थान के लिए उचित
इस चैंबर की खासियत है कि इससे होकर गुजरने वाले व्यक्ति को ये मात्र 10 सेकेंड में डिसइनफेक्ट कर देता है. आईआईटी के मुताबिक ये चैंबर ऑफिस, मेट्रो स्टेशन और एयरपोर्ट के लिए काफी कारगर साबित होगा. दरअसल यही वह स्थान हैं, जहां अधिक से अधिक भीड़ इकट्ठा होती है. अनलॉक-1 की शुरुआत होने के साथ वायुमार्ग को खोला गया था.
इस तकनीक पर करता है काम
आईआईटी कानपुर की ओर से बनाया गया इंटेलिजेंट टच फ्री डिसइंफेक्टेड चैंबर तीन स्टेज में काम करता है. आईआईटी कानपुर इनक्यूबेटर के सीईओ (CEO) डॉक्टर निखिल अग्रवाल के मुताबिक से चैम्बर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत फेस रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल करता है.
Cupro Health Tech @IncubatorIITK company has successfully deployed its first Intelligent Disinfectant Chamber called SaniWalk at @AIGHospitals, Hyderabad.
Special thanks to @ICICIBank & @ITCCorpCom for their support. @nikhilagarwal7 @abandopa @karandi65 pic.twitter.com/JdzOtyIUpx— IIT Kanpur #StayHome #StaySafe (@IITKanpur) June 10, 2020
ये इससे गुजरने वाले हर व्यक्ति का तापमान रिकॉर्ड करता है. अगर किसी व्यक्ति का तापमान सामान्य से अधिक है तो वो गेट नहीं खुलेगा और अलार्म बज जाएगा. इससे व्यक्ति को रोका जा सकेगा.
कैट करेगी ड्रैगन का मुकाबला, बहुत दर्द होने वाला है चीन को
IIT गुवाहाटी भी दिखा चुका है हुनर
इससे पहले आईआईटी गुवाहाटी के छात्रों ने कोरोना से संक्रमित उन मरीजों के लिए कम कीमत वाले इंट्यूबेशन बॉक्स विकसित किए थे, जिन्हें सांस संबंधी तकलीफ है. इन्हें श्वास नली में ट्यूब डालकर इस समस्या से राहत दिलाई जा रही है. इंट्यूबेशन मुंह के जरिए प्लास्टिक की नली को श्वास नली (ट्रैकिया) में पहुंचाए जाने की प्रक्रिया को कहा जाता है. यह इसलिए किया जाता है ताकि एनेस्थीसिया, दर्द निवारक दवा दिए जाने या गंभीर बीमारी के दौरान व्यक्ति को वेंटिलेटर पर रखा जा सके और उसे सांस लेने में दिक्कत न हो.
आईआईटी गुवाहाटी की ओर से विकसित यह उपकरण एरोसॉल निरोधक बॉक्स है जिसे मरीज के बेड पर सिर की तरफ से रखा जा सकता है. इससे मरीज से विषाणु से भरी बूंदों के डॉक्टर तक पहुंचने की आशंका घटती है. ॉ
दूसरी बार पॉजिटिव आई सत्येंद्र जैन की रिपोर्ट, विधायक आतिशी भी कोरोना संक्रमित