देश के इस राज्य में शुरू हुई हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई, अमित शाह ने किया पुस्तकों को का विमोचन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को मध्य प्रदेश में देश में पहली बार हिंदी में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम की शुरुआत की. इस अवसर पर उन्होंने हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीन हिंदी पुस्तकों का विमोचन भी किया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 16, 2022, 06:12 PM IST
  • हिंदी में एमबीबीएस की पुस्तकों का हुआ विमोचन
  • नई शिक्षा नीति से बदलेगा भाषाओं का महत्व
देश के इस राज्य में शुरू हुई हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई, अमित शाह ने किया पुस्तकों को का विमोचन

भोपाल: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को मध्य प्रदेश में देश में पहली बार हिंदी में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम की शुरुआत की. इस अवसर पर उन्होंने हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीन हिंदी पुस्तकों का विमोचन भी किया. देश में यह पहली बार है कि एमबीबीएस की पाठ्यपुस्तकें हिंदी में प्रकाशित हुई हैं और इसी के साथ मध्य प्रदेश आज से हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. 

हिंदी में एमबीबीएस की पुस्तकों का हुआ विमोचन

शाह ने जिन तीन पुस्तकों का भोपाल में विमोचन किया, उनके नाम एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो केमिस्ट्री हैं. 97 चिकित्सकों के दल ने प्रचलित अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी रूपांतरण किया है. केन्द्रीय गृह मंत्री के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने पुस्तकों का विमोचन किया. 

इस अवसर पर शाह ने कहा, ‘‘स्वभाषा के विकास एवं उपयोग से भारत अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में बहुत आगे जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक मंचों पर हिन्दी में बोलते हैं और शिक्षा नीति में प्राथमिक, तकनीकी तथा चिकित्सा शिक्षा में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है. शाह ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू कर प्रधानमंत्री मोदी के इस संकल्प को पूरा किया है.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में भारत के चिकित्सा क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जिसे आने वाले समय में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा. आज का दिन देश के शिक्षा क्षेत्र के पुनर्जागरण और पुनर्निर्माण का दिन है.’’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नयी शिक्षा नीति में प्राथमिक, तकनीकी और मेडिकल शिक्षा में बच्चे की मातृभाषा को महत्व देकर एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक निर्णय लिया है. 

हिंदी के साथ ही इन भाषाओं में भी शुरू होगी मेडिकल की पढ़ाई

शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, बंगाली आदि सभी क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा उपलब्ध कराने का आह्वान किया था और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सबसे पहले प्रधानमंत्री की यह इच्छा पूरी की है. 

शाह ने कहा, ‘‘आज मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो रही है और जल्द ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू होगी. देशभर में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की पुस्तकों का अनुवाद शुरू हो चुका है और कुछ ही समय में देश के सभी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में तकनीकी और मेडिकल शिक्षा लेने की शुरुआत करेंगे.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज से हमारे बच्चों को अपनी मातृभाषा में तकनीकी और मेडिकल शिक्षा तो मिलेगी ही, इसके साथ ही वे आगे अनुसंधान भी अपनी भाषा में कर सकेंगे.’’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नयी शिक्षा नीति को सबसे पहले और अच्छे तरीके से मध्य प्रदेश ने जमीन पर उतारा है. शाह ने विद्यार्थियों से कहा कि किसी भी इंसान की सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही सबसे अच्छी होती है और मातृभाषा में की गई बात दिल के अंदर तक पहुंचती है. उन्होंने कहा, ‘‘सोचने, संशोधन, अनुसंधान, तर्क, विश्लेषण और निर्णय पर पहुंचने की प्रक्रिया हमारा मन हमारी मातृभाषा में ही करता है.’’ 

नई शिक्षा नीति से बदलेगा भाषाओं का महत्व

शाह ने कहा कि अगर पढ़ाई-लिखाई और अनुसंधान मातृभाषा में हो तो भारत के विद्यार्थी दुनिया के किसी भी देश के विद्यार्थियों से कम नहीं हैं और वे पूरे विश्व में अनुसंधान के क्षेत्र में भी भारत का नाम रौशन करेंगे. शाह ने कहा कि 21वीं सदी में कुछ ताकतों ने ‘ब्रेन ड्रेन’ (प्रतिभा पलायन) का सिद्धांत अपनाया और आज प्रधानमंत्री मोदी ‘ब्रेन ड्रेन’ की थ्योरी को ‘ब्रेन गेन’ (प्रतिभाओं को देश में लाने) थ्योरी में बदल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आज मोदी जी के नेतृत्व में नयी शिक्षा नीति के माध्यम से हमारी भाषाओं को महत्व देने की शुरुआत हुई है. 

जेईई, नीट और यूजीसी परीक्षाओं को देश की 12 भाषाओं में आयोजित करने की हमने शुरुआत की गई है. इसी तरह कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट देश की 13 भाषाओं में आयोजित किया जा रहा है और 10 राज्यों ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली, मलयालम और गुजराती में अनुवाद करके इसकी शिक्षा शुरू की है.’’ शाह ने कहा कि अपनी भाषाओं में पढ़ाई से निश्चित रूप से विद्यार्थियों की क्षमता बढ़ेगी. उन्होंने देशभर के विद्यार्थियों से कहा कि आप भाषायी हीनभावना से बाहर आएं क्योंकि आज देश में मोदी की सरकार है और आप अपनी भाषा में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंचों पर अपना भाषण अपनी राजभाषा हिंदी में देकर पूरी दुनिया को एक संदेश दिया है. 

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