राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस आज, क्या जानते हैं आप अपने अधिकार?

केंद्र सरकार ने इसी साल जुलाई में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत नए ई-कॉमर्स नियम लागू कर दिए हैं. दरअसल यह बदलाव, तेजी से बढ़े Online Shopping के चलन के कारण किए गए हैं. क्योंकि इनमें कई मामलों में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की शिकायत सामने आ रही थीं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 24, 2020, 06:30 AM IST
  • साल 2000 में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस को पहली बार मनाया गया था.
  • हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है
  • केंद्र सरकार ने इसी साल जुलाई में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत नए ई-कॉमर्स नियम लागू कर दिए हैं
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस आज, क्या जानते हैं आप अपने अधिकार?

नई दिल्लीः दुनिया-जहान की बातों के बीच सबसे अधिक सुनाई देने वाला शब्द Economy यानी कि अर्थव्यवस्था. इस अर्थव्यवस्था की नाव के चप्पू चलाने वाले सबसे बड़े घटक हैं उपभोक्ता. उपभोक्ता की (कुछ अर्थों में ग्राहक) इसी महत्ता को समझते हुए देश में दिसंबर महीने का 24वां दिन राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है.

साल 2000 से लगातार चली आ रही यह राष्ट्रीय परंपरा उद्देश्य रखती है कि राष्ट्र का हर एक उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति सजग हो और जागरूक रहे. इस साल राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम सस्टेनेबल कंज्यूमर (स्थायी उपभोक्ता) है.

केंद्र सरकार ने इस साल किए हैं अहम बदलाव
केंद्र सरकार ने इसी साल जुलाई में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत नए ई-कॉमर्स नियम लागू कर दिए हैं. दरअसल यह बदलाव, तेजी से बढ़े Online Shopping के चलन के कारण किए गए हैं. क्योंकि इनमें कई मामलों में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की शिकायत सामने आ रही थीं.

ये नए नियम अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स साइट्स पर भी लागू होंगे. इसमें ई-कॉमर्स साइट्स के लिए कई सख्त प्रावधान भी हैं. नए नियमों के मुताबिक नकली और मिलावटी सामान बेचने वाले को उम्रकैद तक हो सकती है. 

यह हैं उपभोक्ता के मुख्य अधिकार

  • सुरक्षा का अधिकार 
  • सूचना का अधिकार 
  • चुनने का अधिकार 
  • सुने जाने का अधिकार
  • निवारण का अधिकार 
  • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार

इसलिए मनाया जाता है उपभोक्ता दिवस
24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक पारित किया गया था. इसके बाद साल 1991 और 1993 में इस अधिनियम में संशोधन किए गए. अधिनियम को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल में लाने के लिए दिसंबर 2002 में एक व्यापार संशोधन लाया गया.

इसके बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को 15 मार्च 2003 से लागू किया गया. इन सबसे पहले ही उपभोक्ता संरक्षण नियम को 1987 में भी संशोधित किया गया था. इतने बदलावों के बाद 5 मार्च 2004 को इसे पूर्ण रूप से नोटिफाई किया गया.

साल 2000 में पहली बार मनाया गया उपभोक्ता दिवस
साल 2000 में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस को पहली बार मनाया गया था. इसके अलावा, हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है. सरकारें व स्थानीय प्रशासन 24 दिसंबर को इसके मद्देनजर सभा-गोष्ठी व अन्य़ आयोजनों के जरिए लोगों को सजग उपभोक्ता बनने के लिए प्रेरित करते हैं. 

हेरा-फेरी से भरा रहा है व्यापार का इतिहास
बतौर नागरिक जिस तरह हमें संविधान नागरिकता के अधिकार देता है, ठीक उसी तरह खरीदार होने के साथ ही हमारे पास अपने अधिकार भी होते हैं. इसमें सबसे पहला और बड़ा अधिकार है कि उपभोक्ता को दिए गए मूल्य की कीमत का पूर समान मिलना.

उचित मूल्य और शुद्धता इसकी प्रमुख जरूरत है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं को उनका अधिकार देने के लिए लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत अब कोई भी उपभोक्ता अनुचित व्यापार की शिकायत कर सकता है. इसके लिए उन्हें पूरा अधिकार दिया गया है. पहले के समय में व्यापारिक लेनदेन में हेराफेरी ज्यादा होती थी, जिसको ध्यान में रखते हुए इस अधिनियम को बनाया गया है.

जानिए अपना अधिकार?

  • केंद्र सरकार ने हाल ही में उपभोक्ता के अधिकारों में बढ़ोतरी की है. E-Commers website के मामलों को भी शामिल करते हुए खरीदारी को सुरक्षित बनाया है. ऐसे में यह बिंदु शामिल किए गए हैं. 
  • नए नियमों को कंज्यूमर प्रोटेक्शन (ई-कॉमर्स) रूल्स 2020 नाम दिया गया है. इसमें ऑनलाइन रिटेलर्स को रिटर्न, रिफंड प्रॉसेस आसान बनाई गई है.
  • ई-कॉमर्स नियम उन सभी ई-रिटेलर्स पर लागू होंगे, जो भारतीय कंज्यूमर्स को प्रोडक्ट और सर्विस दे रहे हैं. फिर चाहे उनका रजिस्टर्ड ऑफिस भारत में हो या विदेश में. 
  • अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स साइट्स को कंज्यूमर को हर तरह की जानकारी देनी होगी
  • कंज्यूमर को बताना होगा कि विक्रेताओं के साथ क्या एग्रीमेंट हुआ. उनका पता क्या है, प्रोडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग कहां हुई, साथ ही एक्सपायरी डेट, पेमेंट गेटवे की सेफ्टी और कस्टमर केयर नंबर भी बताना होगा. 
  • रिटर्न की प्रॉसेस, रिफंड की प्रोसेस और विक्रेता की रेटिंग बतानी होगी.
  • कस्टमर्स और विक्रेताओं के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं हो सकेगा.
  • कंज्यूमर को वह तरीके बताने होंगे, जिससे वे किसी विक्रेता के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. उनकी शिकायत की सुनवाई की प्रक्रिया का अपडेट भी उन्हें मिलता रहेगा.
  • अब तक विक्रेताओं की जिम्मेदारी बनती थी, लेकिन अब ई-कॉमर्स कंपनियां भी जिम्मेदार होंगी क्योंकि, उनके प्लेटफार्म पर दिखाए गए प्रोडक्ट को उनके गेटवे पर भुगतान कर खरीदा गया है.

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