भारत में मोटापा बन रही खतरनाक बीमरी, 1.25 करोड़ बच्चे इसका शिकारः रिसर्च

शोधकर्ताओं ने साथ ही बताया कि 1990 के बाद से सामान्य से कम वजन वाले लोगों की संख्या कम हो रही है और मोटापा अधिकतर देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 1, 2024, 05:54 PM IST
  • जानें इस रिसर्च की खास बातें
  • दुनिया भर में बढ़ रही संख्या
भारत में मोटापा बन रही खतरनाक बीमरी, 1.25 करोड़ बच्चे इसका शिकारः रिसर्च

नई दिल्लीः भारत में 2022 में पांच से 19 वर्ष की आयु के लगभग 1.25 करोड़ बच्चे एवं किशोर मोटापे का शिकार थे. ‘द लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण में यह जानकारी दी गई. अध्ययन में बताया गया गया है कि इन 1.25 करोड़ लोगों में 73 लाख लड़के और 52 लाख लड़कियां शामिल हैं.

दुनिया भर में संख्या एक अरब के पार 
दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है. शोधकर्ताओं ने साथ ही बताया कि 1990 के बाद से सामान्य से कम वजन वाले लोगों की संख्या कम हो रही है और मोटापा अधिकतर देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है. 

कुपोषण का रूप है मोटापा
मोटापा और सामान्य से कम वजन दोनों ही कुपोषण के स्वरूप हैं और कई मायनों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. एनसीडी जोखिम कारक सहयोग (एनसीडी-रिस्क) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक डेटा के विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर के बच्चों और किशोरों में 2022 में मोटापे की दर 1990 की दर से चौगुनी रही. 

यह ताजा अध्ययन पिछले 33 साल में कुपोषण के दोनों रूपों संबंधी वैश्विक रुझानों की विस्तृत तस्वीर पेश करता है. ब्रिटेन के ‘इंपीरियल कॉलेज लंदन’ के प्रोफेसर माजिद इज्जती ने कहा, ‘‘यह बहुत चिंताजनक है कि मोटापे की महामारी जो 1990 में दुनिया के अधिकतर हिस्सों में वयस्कों में नजर आती थी, अब स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में भी साफ दिखाई देती है.’’ 

इज्जती ने कहा, ‘‘इसके अलावा, खासकर दुनिया के कुछ सबसे गरीब हिस्सों में करोड़ों लोग अब भी कुपोषण से पीड़ित हैं. कुपोषण के दोनों रूपों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम स्वस्थ एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ाएं और इसे किफायती बनाएं.’’ 

जानें रिसर्च की खास बातें
अध्ययन में कहा गया है कि मोटापे की दर वयस्क महिलाओं में दोगुनी से अधिक और वयस्क पुरुषों में लगभग तिगुनी हो गई. अध्ययन के अनुसार, 2022 में 15 करोड़ 90 लाख बच्चे एवं किशोर और 87 करोड़ 90 लाख वयस्क मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे. भारत में, महिला वयस्कों में मोटापे की दर 1990 के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 9.8 प्रतिशत और पुरुष वयस्कों में मोटापे की दर 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई है. 

वर्ष 2022 में लगभग चार करोड़ 40 लाख महिलाएं और दो करोड़ 60 लाख पुरुष मोटापे का शिकार थे. अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2022 तक विश्व में सामान्य से कम वजन वाले बच्चों और किशोरों की संख्या में कमी आई है. दुनियाभर में समान अवधि में सामान्य से कम वजन से जूझ रहे वयस्कों का अनुपात आधे से भी कम हो गया है. 

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