नई दिल्ली: यदि आप ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर स्ट्रीमिंग सेवाओं का लाभ लेने के इतने आदि हो गए हैं कि आपको इसकी बुरी लत लग चुकी है तो, जरा सावधान हो जाएं. क्योंकि आपकी थोड़ी भी लापरवाही आपकी तबीयत खराब कर सकती है. इससे आपको नींद की कमी, थकान, एकाग्रता में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
देखते ही देखते बन गई आदत
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में ये उदाहरण देश की राजधानी दिल्ली का है. जहां एक 23 साल के कामकाजी शख्स को ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं से प्यार है. ओटीटी ने उसे अपने सोफे से प्रीमियम मूल कंटेंट देखने में सहूलियत प्रदान की, वह भी एक वार्षिक कीमत पर.. पिछले दो सालों में कोविड और लॉकडाउन के चलते उसके लिए समय बिताना आसान हो गया. बिना जाने ही उसे ओटीटी कंटेंट की लत लग गई.
रिलीज होने वाले दिन ही देखता था शो
वो शख्स किसी भी शो को रिलीज होने वाले दिन ही देखता था. उसने बिना सोए लगातार कई शो देखे, जिससे अगले दिन उसके कामकाज पर असर पड़ा. लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया. नतीजा ये हुआ कि ये उसकी एक आदत बन गई. वो हफ्ते में लगभग दो से तीन बार ऐसा ही करता था, नींद-नुकसान का पैटर्न कई महीनों तक जारी रहा.
वो धीरे-धीरे अनिद्रा के शिकार होते चला गया. अब उनका सोना मुश्किल हो जाता है और चिंता से संबंधित मुद्दे भी शुरू हो गए. उसके काम का प्रदर्शन भी ठीक नहीं चल रहा था और घर के अंदर अधिक समय बिताने के कारण उसने सभी सामाजिक संपर्क खो दिए हैं.
इससे क्या-क्या परेशानी हो सकती है?
इस शख्स के ऑनलाइन स्ट्रीमिंग का आदी होने के बाद लोगों की स्थिति का एक विशिष्ट उदाहरण है. ज्यादा ओटीटी देखने के कारण अक्सर मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसे चिंता, अवसाद, नींद की कमी, थकान, खराब ध्यान और एकाग्रता में कठिनाई, भुलक्कड़ होना और शरीर में दर्द होना शुरु हो जाता है.
लोग अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों में भी संलग्न हो जाते हैं और इस प्रकार वजन संबंधी समस्याएं होती हैं, जो आगे चलकर अन्य गंभीर रोगों में बदल जाता है. ज्यादा ओटीटी देखने से परिवार के सदस्यों, दोस्तों के बीच संघर्ष भी हो सकता है, काम और शिक्षा को भी प्रभावित करते हैं.
फोर्टिस हेल्थकेयर के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज के निदेशक समीर पारिख के अनुसार, ओटीटी देखने के कारण होने वाली लत और परिणामी परिणामों को अभी तक एक व्यवहार विकार के रूप में वगीर्कृत नहीं किया गया है, वे प्रमुख चिंता का विषय हैं.
पारिख ने न्यूज एजेंसी को बताया कि आप बैठने की स्थिति में या लेटने की स्थिति में कई घंटे बिता रहे हैं. आप एक डिजिटल इंटरफेस पर कई घंटे बिता रहे हैं. यह आपके समय को सामाजिक जुड़ाव, आपके द्वारा किए जाने वाले किसी भी अन्य काम, या कुछ शारीरिक गतिविधि से दूर ले जा रहा है. इस समय में आप कुछ ऐसा कर सकते थे जिसे करना आपको पसंद था.
2018 से सामने आई ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाएं भारत के मनोरंजन उद्योग में धीमी लेकिन अच्छी पैठ बना रही हैं. लेकिन दो साल की महामारी के बीच जनता ने इसे अपनाने में तेजी लाई है, क्योंकि कोविड के दौर में लोग बाहर नहीं निकल पा रहे थे, इसलिए वे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अधिक निर्भर हो गए. इसने बोरियत और अकेलेपन से निपटने में मदद की, और लोगों को आराम करने में भी मदद की.
जबकि ओटीटी और सोशल मीडिया के अन्य रूपों पर मनोरंजन ने लोगों को जुड़े रहने में मदद की, कई घरों में ओटीटी देखना एक आदर्श बन गया, खासकर युवाओं के बीच, लेकिन यह उनके जीवन को प्रभावित कर रहा था.
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