नई दिल्ली. भारत का हर देशप्रेमी आज हर्षित है और उस हर्ष के वर्णन के लिये किसी के पास शब्द नहीं हैं. कोरोनो के विरुद्ध युद्ध में आत्मविश्वास प्रबल हुआ आज हमारे देश का. पिछले ढाई महीनों से सुनाई दे रही दिनों-दिन बढ़ती कोरोना की दहशत की दास्तानों से भारत में लगातार एक नकारात्मकता का माहौल बनता जा रहा था. कल 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान शाम पांच बजे के कोरोना युद्ध-उत्सव ने अचानक देश में उत्साह और ऊर्जा का इतना प्रबल संचार कर दिया कि लोगों को लगने लगा है कि हम एक हो कर पराजित कर सकते हैं कोरोना को...और इसमें कोई संदेह भी नहीं है.
सबकी आंखों में आंसू थे
सवा सौ करोड़ देशवासियों द्वारा कोरोना सेनानियों को दिया जा रहा थैंकयू सैल्यूट कोई दिखावा नहीं था, जनभावना का सैलाब था, राष्ट्रीयता के भाव की सामूहिक अभिव्यक्ति थी और पीएम मोदी का जादू था जो सबके सर चढ़ कर बोल रहा था. तालियां बजाते हुए वो माहौल अत्यंत भावपूर्ण था और वह अनुभव जितना अकल्पनीय था उतना ही अवर्णनीय भी. सबकी आंखों में आंसू थे और सब तालियां बजाये चले जा रहे थे. अविस्मरणीय व रोमान्चक अनुभव था वह.
अद्भुत कोरोना युद्ध आरती
देश के डॉक्टर्स,कंपाउन्डर्स,नर्सेज़, हमारे सैनिकों और पुलिस कर्मियों को देश ने नमन किया. अद्भुत कोरोना युद्ध आरती का साक्षी बना आज भारत, लोगों ने भारत मां का जय घोष किया तो कुछ ने मोदी की जयजयकार भी की जो कि सर्वथा उचित भी थी. सुबह से ही देशवासियों को प्रतीक्षा थी कि शाम के 5 बजे की जब देश में एक अत्यंत अद्भुत नज़ारा पेश होने वाला था और वे सभी उसमें शामिल होने के लिये बेकरार थे. लोगों ने नहीं कहा पर बिन कहे जता दिया कि मोदी तो हमारे सेनापति हैं किन्तु कोरोना से युद्ध हम सभी को लड़ना है.
धनिक हो या निर्धन, नेता हो या जन - सबने किया समर्थन
पीएम मोदी के धन्यवाद ज्ञापन के इस उत्सव में सारे देश ने पूरे उत्साह और उमंग से भाग लिया. पांच भी न बजे थे कि शुरू हो गई वातावरण में घंटा घड़ियाल की गूंज, साथ में तालियां भी और थालियां भी. बहुत सुखद दृश्य था जब सड़कों पर पेट्रोलिंग कर रहे पुलिस कर्मियों को देख कर लोगों ने हाथ उठा कर उनकी तरफ देख कर उनके स्वागत और धन्यवाद के भाव से तालियां बजाईं और उन्होंने भी मुस्कुरा कर जनता की और देख कर हाथ हिलाया. पुलिस की गाड़ियों से इन पांच मिनटों के दौरान लगातार सायरन बजते रहे और वे भी इस सांगीतिक जन समारोह में योगदान देते रहे. कोरोना के खिलाफ इस युद्ध उत्सव में धनिक हो या निर्धन, नेता हो या जन सबने किया समर्थन. चाहे वे नितिन गडकरी जैसे चोटी के राजनेता हों या अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार्स - सभी ने पूरे उत्साह से देश के लिये आयोजित इस महायज्ञ में अपनी आहुतियां दीं. सभी की तालियां और थालियां बचाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
अभूतपूर्व दृश्य दिखाई दिए
देश भर में धन्यवाद ज्ञापन के इस उत्स्व के दौरान एक से बढ़ कर एक अद्भुत दृश्य देखने में आये. कहीं तो नन्हे बच्चों ने तालियां बजाईं तो कहीं अत्यंत विद्धावस्था को प्राप्त महिलायें थाली बजाती दिखाई दीं. एक जगह तो एक झोपडी के बाहर बैठी एक निर्धन मां मगन हो कर थाली बजाती नज़र आईं तो एक जगह दक्षिण भारत में एक महिला दो बड़ी-बड़ी थालियां लेकर दोनों हाथों से जोर जोर से बजाती हुई दिखीं.
राहुल केजरीवाल ममता माया और शाहरुख ने भी नहीं बजाया
दुख नहीं हुआ क्योंकि पता था कि राहुल गांधी केजरीवाल ममता मायावती शाहरुख खान जैसे लोग तालियां नहीं बजायेंगे. मोदी विरोध ही राष्ट्रविरोध है आज औऱ इसके उलट कहें तो वह भी सही है इनके मायनों में - राष्ट्रविरोध ही मोदी विरोध है. ये वो लोग हैं जो वैसे भी राष्ट्रहित में कुछ नहीं करते किन्तु यदि मोदी ने कहा है तब तो ये राष्ट्रहित में बिलकुल कुछ नहीं करते. शायद इन जैसे नेताओं, फिल्मी हस्तियों, अवार्ड वापसी गैंग और डिजाइनर पत्रकारों को लगता है कि कोरोना संक्रमण बाकी सबको होगा, इनको कदापि नहीं होगा. परंतु कोरोना संक्रमण यदि इनको हो गया तब क्या होगा? तब भी इनका उपचार मोदी सरकार ही करेगी और उस समय तक इन्होंने जितने लोगों को संक्रमित कर दिया होगा, उनका उपचार भी देश की सरकार ही करेगी जिसकी इनको न कोई फिक्र है न कोई कदर.
दुबई में भी हुआ शंखनाद
पीएम मोदी के शब्दों का जादू सिर्फ भारत में ही नहीं चला बल्कि शेखों के देश दुबई में भी हिन्दुओं ने मोदी के आवाहन को समर्थन दिया. दुबई में गगनचुम्बी इमारतों से लोगों ने शंखनाद किया, तालियां और ढोलक बजाये और घंटे और घड़ियाल के भी समवेत स्वर वहां सुनाई दिए. कोरोना के खिलाफ पीएम मोदी के एक आवाहन ने ही इतना असर दिखा दिया अब आने वाले दिनों में शायद प्रतिदिन हमें इस कोरोना से युद्ध के उत्सव का संगीत सुनने को मिले. पर एक बात पक्की है अब देश का आत्मविश्वास प्रबल हो गया है और राष्ट्रवादी भारतीयों में कोरोना से डर के इस माहौल में इस महामारी से विजय के प्रति सकारात्मक आस्था का उदय हो गया है.