Private Schools की वार्षिक फीस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

Private School Annual Fee: न्यायालय का निजी स्कूलों को वार्षिक शुल्क की अनुमति देने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 28, 2021, 03:48 PM IST
  • प्राइवेट स्कूलों की वार्षिक फीस से जुड़ी अहम जानकारी
  • सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाने से कर दिया इनकार
Private Schools की वार्षिक फीस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को पिछले साल लॉकडाउन (Lockdown) के बाद की अवधि के लिए वार्षिक, विकास शुल्क लगाने की अनुमति दी गई थी.

दलील से सहमत नहीं हुई अदालत

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (डीओई) की उस दलील से सहमत नहीं हुई कि उसे गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा शुल्क वसूली को विनियमित करने का अधिकार है और शुल्क वसूलने के अनुमति के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई जाए.

पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा, ‘हम इस पर रोक लगाने के इच्छुक नहीं है.’ सिंह ने आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि ‘इससे लाखों अभिभावक प्रभावित होंगे.’

हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली सरकार (Delhi Government) उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष ये सभी दलीलें रख सकती है, क्योंकि यहां याचिका को गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं किया गया है.

12 जुलाई को मामले पर होने वाली है सुनवाई

शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ 12 जुलाई को मामले पर सुनवाई करने वाली है. न्यायालय ने कहा कि ये सभी दलीलें सरकार वहां रख सकती है, क्योंकि यहां याचिका को गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं किया गया है.

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 31 मई को दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा जारी अप्रैल और अगस्त 2020 के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके जरिए वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क के संग्रह पर रोक लगाई गई थी.

इसके बाद शिक्षा निदेशालय ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की जिसमें कहा कि अगर आदेश पर रोक नहीं लगाई जाती है तो बहुत अन्याय होगा क्योंकि सरकार द्वारा ऐसे संस्थानों को 100 प्रतिशत ट्यूशन फी लेने की पहले ही अनुमति दी जा चुकी है.

सुनवाई शुरू होने पर निजी स्कूलों के संगठनों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और एन के कौल ने दिल्ली सरकार की अपील का विरोध किया.

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उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 31 मई को शीर्ष अदालत के ‘इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य’ के फैसले का संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया था कि स्कूल 15 प्रतिशत की कटौती के साथ वाषिक शुल्क ले सकते हैं और इस मामले में भी यह लागू हुआ.

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