बढ़ती महंगाई पर सरकार को रिपोर्ट भेजेगी RBI, बताएगी क्यों कंट्रोल से बाहर है इंफ्लेशन

RBI सरकार को इस बात की रिपोर्ट सौंपेगी कि क्यों लगातार तीन महीनों से वह महंगाई को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी. RBI की मौद्रिक नीति समिति ने केंद्र सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा करने और इसे तैयार करने के लिए बैठक की.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 3, 2022, 07:00 PM IST
  • बढ़ती महंगाई पर सरकार को रिपोर्ट भेजेगी RBI
  • बताएगी क्यों कंट्रोल से बाहर है बना हुआ है इंफ्लेशन
बढ़ती महंगाई पर सरकार को रिपोर्ट भेजेगी RBI, बताएगी क्यों कंट्रोल से बाहर है इंफ्लेशन

नई दिल्ली: गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने केंद्र सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा करने और इसे तैयार करने के लिए बैठक की. अपनी इस बैठक में RBI सरकार को इस बात की रिपोर्ट सौंपेगी कि क्यों लगातार तीन महीनों से वह महंगाई को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी. 

RBI ने जारी किया बयान

आरबीआई ने एक बयान में कहा, "मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन नवंबर 2022 को अलग से बैठक हुई जिसमें उस रिपोर्ट पर चर्चा हुई जो केंद्रीय बैंक आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएन, आरबीआई एमपीसी के नियम 7 और मौद्रिक नीति प्रक्रिया नियमन, 2016 के प्रावधानों के तहत सरकार को भेजेगा. 

RBI को भेजनी होती है सरकार को रिपोर्ट

आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45जेडएन की इस धारा में प्रावधान है कि महंगाई को सरकार की तरफ से तय सीमा के भीतर रख पाने में नाकाम रहने पर केंद्रीय बैंक को इसके बारे में सरकार को रिपोर्ट देनी होती है. छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. 

लगातार नौ महीनों से RBI के काबू से बाहर है महंगाई

छह साल पहले मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन होने के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार नौ महीनों तक महंगाई को निर्धारित दायरे में नहीं रख पाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा. वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में एमपीसी का गठन किया गया था. उसके बाद से एमपीसी ही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई बनी हुई है. 

लगातार 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है महंगाई

MPC ढांचे के तहत सरकार ने RBI को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि मुद्रास्फीति चार से छह प्रतिशत से नीचे बनी रहे. हालांकि, इस साल जनवरी से ही महंगाई लगातार छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. सितंबर में भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई की दर 7.41 प्रतिशत पर दर्ज की गई थी. इसका मतलब है कि लगातार नौ महीनों से महंगाई दर छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. 

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