नई दिल्लीः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कई बड़े बदलाव लेकर आ रहा है. अब एक ऐसा अध्ययन हुआ है जिसमें आवाज की मदद से डायबिटीज का पता लगाया गया है. अमेरिका की क्लिक लैब्स के वैज्ञानिकों ने यह नया एआई मॉडल बनाया है. यह मॉडल मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स: डिजिटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित भी हुआ है. इसमें महिलाओं के लिए 89 फीसदी और पुरुषों के लिए 86 प्रतिशत सटीकता है.
वैज्ञानिकों ने एक एआई मॉडल बनाने के लिए उम्र, लिंग, ऊंचाई और वजन सहित बुनियादी स्वास्थ्य डेटा के साथ-साथ लोगों की आवाज के छह से 10 सेकंड का इस्तेमाल किया जो यह पता लगा सकता है कि उस व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज है या नहीं.
स्टडी में 267 लोगों को किया गया शामिल
स्टडी में शामिल किए गए 267 लोगों को दो सप्ताह के लिए प्रतिदिन छह बार अपने स्मार्टफोन में एक वाक्यांश रिकॉर्ड करने के लिए कहा गया. 18,000 से अधिक रिकॉर्डिंग की मदद से वैज्ञानिकों ने गैर-मधुमेह और टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्तियों के बीच अंतर के लिए 14 ध्वनिक विशेषताओं का विश्लेषण किया.
वॉयस टेक्नोलॉजी से बदल जाएगा तरीका
शोध के वैज्ञानिक जेसी कॉफमैन ने बताया, 'हमारा शोध टाइप 2 मधुमेह वाले और बिना टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के बीच महत्वपूर्ण स्वर भिन्नताओं को उजागर करता है और मधुमेह के लिए चिकित्सा समुदाय की जांच के तरीके को बदल सकता है. मधुमेह का पता लगाने के मौजूदा तरीकों में बहुत अधिक समय, यात्रा और खर्च की आवश्यकता होती है. वॉयस टेक्नोलॉजी से इन बाधाओं पूरी तरह दूर किया जा सकता है.'
'क्रांति ला सकती है ये वॉयस टेक्नोलॉजी'
वैज्ञानिक सिग्नल प्रोसेसिंग का इस्तेमाल करके टाइप 2 डायबिटीज के कारण आवाज में बदलाव का पता लगा पाए. कॉफमैन ने कहा, आश्चर्यजनक रूप से पुरुषों और महिलाओं में वे स्वर परिवर्तन अलग-अलग तरीकों से प्रकट हुए. इस स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता यान फोसैट ने कहा कि वॉयस टेक्नोलॉजी एक सुलभ और किफायती डिजिटल स्क्रीनिंग टूल के रूप में क्रांति ला सकती है.
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