नई दिल्ली: अमेरिका समेत कई देशों में भारतीयों के लिए पढ़ाई महंगी हो गई है. विदेशों में मंहगी हो रही पढ़ाई का एक कारण इंग्लैंड, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख देशों के लिए ट्यूशन फीस में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्धि है. वहीं दूसरी ओर हवाई जहाज के किराए जैसी अन्य लागतों में भी हाल के दिनों में वृद्धि देखी गई है. साथ ही रुपये में गिरावट के चलते तो विदेश में पढ़ाई महंगी हो ही रही है. इससे अमरीका के लिए औसत अतिरिक्त लागत 1.5 से 2 लाख रुपए प्रति वर्ष बढ़ गई है.
विदेशों में पढ़ाई के लिए भारत के सबसे बड़े समुदाय आधारित प्लैटफॉर्म, यॉकेट के सह-संस्थापक सुमीत जैन ने बताया रुपये में गिरावट के कारण अमरीका के लिए औसत अतिरिक्त लागत 1.5 से 2 लाख रुपए प्रति वर्ष बढ़ गई हैं.
रहने की जगह भी नहीं मिल रही
विदेशों में भारतीय छात्रों को पी.जी. (हॉस्टल) और होमस्टे की कीमतों में वृद्धि के कारण रहने की जगह ढूंढने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही महामारी के बाद इन देशों में बड़ी संख्या में लोगों के आने के कारण भी मंहगाई बढ़ी हैं.
वीजा में हो रही देरी
विदेशों में पढ़ाई मंहगी होने के बावजूद अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में लाखों भारतीय छात्रों के वीजा स्वीकृत नहीं हुए हैं. छात्रों को स्टूडेंट वीजा मिलने में लंबी देरी हो रही है. जिन छात्रों का वीजा सौभाग्यवश स्वीकृत कर दिया गया है उन्हे रुपये में गिरावट के कारण महंगाई का सामना करना पड़ रहा है.
देरी का कारण
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यू.के., आयरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों में जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 2022 की आरंभ में लगभग एक मिलियन थी, जो कि महामारी के पहले के स्तरों से लगभग दोगुनी है. पहले के मुकाबले आवेदनों की संख्या कहीं ज्यादा बढ़ गई है जिसके कारण अब वीजा मिलने में भी देरी हो रही है. कोलकाता के रहने वाले एक छात्र एस घोष ने कहा कि यहां से वीजा मिलने में लगभग 440 दिन लग रहे हैं.
अब जर्मनी जा रहे भारतीय
यूके, अमरीका और कनाडा जैसे लोकप्रिय देशों में पढ़ाई का वीजा मिलने में होने वाली लंबी देरी का लाभ जर्मनी को मिलता दिख रहा है. इसमें भारतीय छात्रों का भी एक बड़ा हित है. हाल ही में आई जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस (डी.ए.ए.डी.) की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 2017 में 17,570 से 2021 में बढ़कर 34,134 हो गई.
जर्मन सरकार देती है सब्सिडी
जर्मन सरकार द्वारा शिक्षा पर सब्सिडी प्रदान की जाती है. यहां राज्य द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ट्यूशन फीस नहीं देनी पड़ती है. यह बात जर्मनी के भारतीय छात्रों के लिए सबसे बड़े लाभों में से एक है. जर्मनी जैसे देशों में भारतीय छात्रों को कम लागत पर विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं बावजूद इसके छात्र पढ़ाई के लिए अलग-अलग कारणों से अलग-अलग देशों का चुनाव करते हैं. कई बार बड़े लाभ मिलने के बावजूद छात्र अपनी वरीयता और पसंद को जल्दी नहीं बदलते हैं.
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