मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र से सीखें ये 4 गुण, जीवन में हमेशा मिलेगी सफलता

Things To Learn From Lord Rama: भगवान श्री राम एक आदर्श पति होने के साथ ही आदर्श पुत्र, भाई और राजा भी थे. चलिए जानते हैं कि प्रभु श्रीराम के चरित्र से हमें कौन-कौन सी सीख जरूर लेनी चाहिए. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Jan 21, 2024, 02:35 PM IST
  • विपरीत परिस्थिति में न खोएं संतुलन
  • हमेशा करें अपने माता-पिता का आदर
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र से सीखें ये 4 गुण, जीवन में हमेशा मिलेगी सफलता

नई दिल्ली: Things To Learn From Lord Rama: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को विष्णु भगवान का 7वां अवतार माना जाता है. उनके द्वारा अपनाई गईं व्यावहारिक नीतियां और उनके चरित्र की विशेषताएं ही लोगों को अपना आदर्श बनाती हैं. उन्होंने अपने आचरण से ही हम सभी लोगों के लिए कई उदहारण स्थापित किए हैं. भगवान श्री राम एक आदर्श पति होने के साथ ही आदर्श पुत्र, भाई और राजा भी थे. उनके राज-काज में कुशलता और सुव्यवस्था के कारण ही आज के समय में भी रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है. चलिए जानते हैं कि प्रभु श्रीराम के चरित्र से हमें कौन-कौन सी सीख जरूर लेनी चाहिए. 

प्रभु श्रीराम से जरूर सीखें ये 4 बातें 

माता-पिता का सम्मान करना 
माता कैकयी ने राजा दशरथ से भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था और भरत के लिए राज, जिसके बाद दशरथ के कहने पर प्रभु राम ने राज-पाठ का त्याग कर 14 साल के वनवास की आज्ञा का पालन किया था. वे जानते थे कि राज्य का त्याग करना बेहद कठिन होगा, लेकिन फिर भी उन्होंने वनवास का आदेश मांगा. इससे हमें सीख मिलती है कि अपने माता-पिता कि आज्ञा का हमेशा पालन करना चाहिए. 

विरोधी से सीखने का गुण 
भगवान राम बेहद कुशल होने के बावजूद अपने विरोधियों से भी सीखने का गुण रखते थे.  भले ही रावण उनका शत्रु था, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को प्रेरणा दी कि वह ज्ञानी है और उसके उपर माता सरस्वती की कृपा है. इसलिए हमें उसे सम्मान देना चाहिए. 

आदर्श भाई बनें 
भगवान राम को अपने भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के प्रति प्रेम, त्याग और समर्पण के कारण आदर्श भाई कहा जाता है. वे अपने सभी भाईयों को समान आदर और प्रेम करते थे. वहीं उनका व्यवहार भी सबके लिए बराबर ही था. यही कारण था कि वनवास जाते समय लक्ष्मण उनके साथ गए थे और भरत ने 14 साल तक बड़े भाई राम की चरण पादुका रख जनता की सेवा की थी. 

शांत व्यक्तित्व क अपनाएं 
राज-पाठ का त्याग करना हो, पिता दशरथ की मृत्यु हो या पत्नी सीता का हरण हो भगवान राम ने कभी भी विपरीत परिस्थिति में अपना संतुलन नहीं खोया. कठिन से कठिन परिस्थिति को उन्होंने कभी भी अपने उपर हावी नहीं होने दिया. यही कारण है कि उन्हें हमेशा सफलता प्राप्ता हुई. अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो प्रभु श्रीराम के इस गुण को जरूर अपनाएं. 

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