ग्रेजुएशन में एडमिशन के नियम बदलने से छात्रों को नुकसान होगा या फायदा? विशेषज्ञों ने दी ये राय

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के समान विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के मुताबिक कराने की घोषणा पर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 22, 2022, 10:43 PM IST
  • 12वीं में मिले अंकों के आधार पर दाखिला नहीं
  • ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को होगा नुकसानः विशेषज्ञ
ग्रेजुएशन में एडमिशन के नियम बदलने से छात्रों को नुकसान होगा या फायदा? विशेषज्ञों ने दी ये राय

नई दिल्लीः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के समान विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के मुताबिक कराने की घोषणा पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. कुछ का मानना है कि इससे उन स्कूल बोर्ड के विद्यार्थियों को नुकसान होगा, जहां दूसरी किताबों से पढ़ाई कराई जाती है. 

12वीं में मिले अंकों के आधार पर दाखिला नहीं
यूजीसी प्रमुख एम जगदीश कुमार ने सोमवार को ऐलान किया था कि केंद्रीय विद्यालय इस साल से स्नातक पूर्व (यूजी) कार्यक्रमों में विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए सीयूईटी अंकों का इस्तेमाल करेंगे न कि 12वीं में मिले अंकों के आधार पर प्रवेश देंगे. कुमार ने कहा कि CUET का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के 12वीं के मॉडल के मुताबिक होगा. 

‘नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस’ की प्रमुख सुधा आचार्य ने कहा, “कई राज्य बोर्ड एनसीईआरटी की किताबों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि कुछ के पास अपनी किताबें हैं. सीबीएसई, एनसीईआरटी की पुस्तकों का उपयोग करता है जो प्रतिस्पर्धा के प्रति अधिक प्रगतिशील हैं.” 

उन्होंने कहा, “एनसीईआरटी की किताबें बहुत मानकीकृत हैं और वे प्रसिद्ध विशेषज्ञों की तरफ से लिखी गई हैं. आईसीएसई बोर्ड के पास अलग-अलग किताबें हैं और वहां के छात्रों को नुकसान हो सकता है.” 

यूपी-राजस्थान बोर्ड में पढ़ाई जाती हैं NCERT की किताबें
हालांकि उत्तर प्रदेश व राजस्थान बोर्ड में भी एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती हैं. आईसीएसई स्कूल की एक प्रधानाचार्य ने नाम न उजागर करने के आग्रह पर कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे सीयूईटी, खासकर आईसीएसई बोर्ड के छात्रों के लिए नुकसानदेह होगा, लेकिन उन्होंने कहा कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अभी इंतजार करना बेहतर होगा. 

'ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को होगा नुकसान'
हालांकि, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि सीयूईटी ग्रामीण क्षेत्रों और अन्य राज्य बोर्डों से आने वाले छात्रों के लिए नुकसानदेह होगा. उन्होंने कहा, “कोचिंग संस्थानों ने सीयूईटी के लिए कोचिंग देना शुरू कर दिया है. इसका मतलब है कि शहरी क्षेत्रों के विद्यार्थियों और जिनके पास संसाधन हैं, वे लाभान्वित होंगे.’ 

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर आभा देव हबीब ने भी झा से सहमति जताते हुए कहा कि वे सभी पर एक जैसा पाठ्यक्रम थोप रहे हैं. उन्होंने कहा, “ शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और देश में अलग अलग राज्य बोर्ड हैं.” अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भारतीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए सीयूईटी से छूट होगी.

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