क्या होती हैं ऑफशोर कंपनियां? जिसका हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किया गया है जिक्र

जब भी गुप्त कारोबारों को लेकर रिपोर्ट्स आती हैं तो अक्सर उनमें ऑफशोर कंपनियों का जिक्र होता है. आपने भी कई बार इसका नाम सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऑफशोर कंपनियां क्या होती हैं, ये कैसे काम करती हैं और इनका उद्देश्य क्या होता है? जानिए इन सभी सवालों के जवाबः

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 11, 2024, 08:34 AM IST
  • ऑफशोर कंपनियां क्या होती हैं, जानिए
  • ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी का आरोप
क्या होती हैं ऑफशोर कंपनियां? जिसका हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किया गया है जिक्र

नई दिल्लीः What is Offshore Entities: अक्सर गुप्त कारोबार को लेकर जब सनसनीखेज रिपोर्ट्स आती हैं तो उनमें ऑफशोर कंपनियों का जिक्र होता है. इन रिपोर्ट्स में ऑफशोर कंपनियों में पैसा लगाने से जुड़े दावे किए जाते हैं. आपको याद होगा कि इससे पहले पनामा पेपर्स से लेकर पैंडोरा पेपर्स तक कई रिपोर्ट आईं. इनके आने के बाद ऑफशोर कंपनियां चर्चा में आ गई थीं.

ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी का आरोप

अब अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट आई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि बाजार विनियामक सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की हेड माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड में हिस्सेदारी है. आरोप है कि इसमें गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने बड़ा इन्वेस्टमेंट किया है. इस पैसे का इस्तेमाल शेयर प्राइस में तेजी लाने के लिए किया गया था.

ऑफशोर कंपनियां क्या होती हैं?

बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में अक्सर ऑफशोर कंपनियों का जिक्र होता है. ये अपने देश से बाहर खासकर द्वीपीय देशों में स्थापित की जाती हैं जहां के नियम-कानून अपने देश से अलग होते हैं. पनामा, बरमूडा, बहामास, कैमेन आइलैंड, मॉरीशस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स आदि इस तरह के देश हैं जहां ऑफशोर कंपनियां स्थापित की जाती हैं.

क्यों बनाई जाती हैं ऑफशोर कंपनियां?

समझा जाता है कि कई कंपनियां और अरबपति टैक्स चोरी करने, नियमों में छूट पाने और अपनी संपत्ति को बचाने के लिए इन देशों में जाते हैं. इन देशों में कई सारी संपत्तियां बनाई जाती हैं. वैसे ऑफशोर कंपनियां गैर कानूनी नहीं होती हैं लेकिन इन्हें टैक्स हैवेन देशों में करों से छूट मिल जाती हैं. कई तरह के कानूनी और वित्तीय लाभ मिल जाते हैं. ज्यादातर ऐसी कंपनियां चोरी-छिपे शुरू की जाती हैं.

ऑफशोर कंपनियों में क्या काम होता है?

माना जाता है कि कई बार ऑफशोर कंपनियां खोलकर उसकी एक ब्रांच अपने देश में शुरू की जाती है. अब कंपनी विदेश में शुरू हुई है तो कई मायनों में वह स्थानीय कानूनों से बच जाती है. क्योंकि कंपनी की किसी देश में खोली गई ब्रांच ही उस देश के कानून के दायरे में आती है. यही नहीं कई बार फर्जी कंपनियां भी शुरू की जाती हैं जिन्हें शेल कंपनियां कहा जाता है. झूठे कॉन्ट्रैक्ट दिखाने के लिए इनका इस्तेमाल होता है ताकि शेयर मार्केट को प्रभावित किया जा सके और कंपनी का वैल्युएशन बढ़ाया जा सके.

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