क्या 21 दिनों के लॉकडाउन में हो पाएगा कोरोना का The End? या फिर...

भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है. इस लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए तरह-तरह की मुहिम चल रही है, लेकिन इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें ग्राफ के जरिए बताया गया है कि भारत में 21 दिनों से कहीं ज्यादा लॉकडाउन करना पड़ेगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 29, 2020, 04:13 AM IST
    1. 21 दिनों का लॉकडाउन कितना कारगर?
    2. रिपोर्ट में किया गया बहुत बड़ा दावा
    3. क्या होता है 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन'?
    4. रिपोर्ट को 4 ग्राफ में के जरिए समझाया गया
क्या 21 दिनों के लॉकडाउन में हो पाएगा कोरोना का The End? या फिर...

नई दिल्ली: कोरोना वायरस को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन लगाया है लेकिन सवाल है कि क्या ये लॉकडाउन वाकई कारगर साबित होगा. दी इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस चेन्नई - यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज की रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 21 दिन के लॉकडाउन से कहीं ज्यादा दिनों का लॉकड़ाउन करना पड़ेगा.

रिपोर्ट को 4 ग्राफ में के जरिए समझाया गया है

GRAF 1-
लॉकडाउन से पहले तक धीरे-धीरे मामले बढ़ रहे हैं, और 21 दिनों के लॉक़डाउन के दौरान मामलों में कमी आने का दावा किया गया, लेकिन  जब लॉकडाउन खत्म होगा तो मई तक मामला बहुत तेज़ी से बढ़ेगा

GRAF 2-
दूसरे ग्राफ के जरिए ये समझाया गया है कि अगर 21 दिन लॉकडाउन के बाद अगर 28 दिनों  का और लॉकडाउन लागू होता है, तो उस लॉक़डाउन के खत्म होने के बाद मई- जून में तेजी से कोरोना के मामले बढ़ेंगे.

GRAF 3-
इस ग्राफ के जरिए ये समझाया गया है कि अगर 21 दिन, 28 दिन के बाद फिर से 18 दिन का लॉकडाउन लगाया जाता है, तब जाकर ये मामला कम हो सकता.

GRAF 4-
इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर सीधे 49 दिनों का लॉकडाउन लागू किया जाता है, तब जाकर कोरोना का मामला देश में बिल्कुल कम हो सकता है.

ये दी इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस चेन्नई और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज का दावा है.

इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस चेन्नई और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज की रिपोर्ट पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर का दावा है कि सरकार को लॉकडाउन बढ़ाना पड़ सकता है.

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यहां आपका ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' क्या होता है और भारत में अभी तक इसका क्या असर है?

क्या होता है 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन'?

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना कोरोना पॉजिटिव आना और संक्रमित देश की यात्रा किए बिना कोरोना पॉजिटिव आना 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' होता है. आपको बता दें, संक्रमण कैसे लगा ये पता लगाना मुश्किल होता है. ऐसी स्थिति आने पर लोगों से कम्युनिटी में संक्रमण फैलने लगता है. लेकिन सबसे बड़ी राहत की बात ये है कि भारत में अभी 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' नहीं शुरू हुआ है.

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