बाजार में तो मिल नहीं रहा, जानिए Twitter पर इतना क्यों छन रहा है Samosa

दुकानें तो बंद हैं, ऐसे में अभी तो समोसा (Samosa) मिल नहीं सकता, ऐसे में यही जान लेते हैं कि Twitter पर ट्रेंड करने वाला समोसा (Samosa) आया कहां से. लोगों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई और समोसे का अलग-अलग इतिहास खंगालने लगे.

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : May 29, 2021, 09:07 PM IST
  • शनिवार शाम को अचानक ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा समोसा
  • लोगों को मौसम देखकर आई याद, काश समोसा मिल जाए
बाजार में तो मिल नहीं रहा, जानिए Twitter पर इतना क्यों छन रहा है Samosa

नई दिल्लीः शाम का समय है, उत्तर भारतीय कई राज्यों में बारिश हो रही है, मौसम सुहाना है. लेकिन  Social Media जो न करवा दे. ये Corona से पहले की कोई शाम होती तो चौक या नुक्कड़ पर कहीं समोसे (Samosa) छन रहे होते तो दोस्तों-परिवार वालों के साथ मिलकर समोसा-चटनी (Samosa-Chatani) के बीच जब गजब प्रैक्टिकल करते. 

Twitter देख कर टपकी लार
लेकिन, Corona तेरो नाश हो जा रे,  ऐसा अभी हो नहीं सकता. शनिवार शाम जिसने भी Twitter देखा उसकी लार टपके बिना नहीं रह सकी. वजह थी कि पूरा  Twitter #Samosa से भरा पड़ा था.

Scroll करते जाइए, तो कभी कड़ाही में तलते समोसे (Samosa), कभी छनौटे पर छान कर रखे समोसे (Samosa), प्लेट में चटनी के साथ सजाकर रखे समोसे (Samosa) देखकर तो लोगों के मुंह में सुनामी ही आ गई.

सबसे ज्यादा घायल तो उस तस्वीर ने किया, जिसमें समोसे (Samosa) की बाइट तोड़कर उसे चटनी में डुबो दिया गया है, बाकी बचे हिस्से से आलू-मसाला बाहर झांक रहा है. उफ्फ... क्या ही कहने... 

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कहां से आया समोसा (Samosa)
दुकानें तो बंद हैं, ऐसे में अभी तो समोसा (Samosa) मिल नहीं सकता, ऐसे में यही जान लेते हैं कि Twitter पर ट्रेंड करने वाला समोसा (Samosa) आया कहां से. लोगों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई और समोसे का अलग-अलग इतिहास खंगालने लगे.

समोसे (Samosa) का इतिहास खंगालें तो कई फारसी किताबों में इसके मिलते-जुलते नाम मिलेंगे, जैसे संबोसाग. यह खासतौर पर दस्तरखान पर परोसा जाने वाला मुख्य खाद्य होता था.

आज के जैसे नाश्ता नहीं. तब इसमें कीमा या मीट की भरा जाता था. इसका आकार भी तिकोना नहीं बल्कि लंबा या सिलेंडरनुमा होता था. फिर इसे चपटा बनाया जाने लगा. 

धीर-धीरे बदला रंग-रूप
धीरे-धीरे बदलते हुए इसे कचौड़ी के भरावन की तरह भरकर तला गया. लेकिन तलने से पहले समोसे (Samosa) के आग पर सेंके जाने का प्रचलन वाला जिक्र भी मिलता है.

 

बहुत मोटी परत और अंदर सख्त भरावन. मध्य पूर्व देशों के लोग काफी दूर-दूर तक सफर करते समय इसे अपने साथ लेकर चलते थे. उनके लिए आग पर सेंकना ही मुफीद था. बिहार की लिट्टी की मानिंद. 

इतिहास लिखने वाले गजनवी के शाही दरबार की झलक दिखाते हुए भी समोसा (Samosa) का जिक्र कर जाते  हैं. उस समय एक नमकीन व्यंजन बनता था. जिसमें मैदे की परत के अंदर कीमा और मेवा भरकर बनाया जाता था. 

कहने वाले तो कहते हैं कि बहुत पहले जब आर्य भारत आए तो समोसा (Samosa) उनके साथ आया. लेकिन आर्य भारत आए या यहीं के थे, इस पर ही इतनी बहस है कि समोसा (Samosa) इस बहस में गुम हो जाएगा. 

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आज समोसा (Samosa) इतना बदल गया
खैर, समय बदलते-बदलते समोसा (Samosa) का रूप-रंग काफी बदल गया. आज से तकरीबन 600 साल पहले से समोसा (Samosa) तिकोना है. फिर इसमें बहुत प्रयोग हुए. मांसाहारी से शाकाहारी बना.

इसमें आलू गया, तो साथ में धनिया-मटर-मिर्च, मसाले भी गए. इधर 20 सालों में समोसे (Samosa) के अंदर से मूंगफली से लेकर पनीर तक लकी ड्रॉ की तरह निकलने लगे हैं.

समोसे (Samosa) के अंदर नूडल्स के अलग-अलग फ्लेवर हैं. कहीं छोला-समोसा है, कहीं चटनी, कहीं सब्जी-समोसा. वाह समोसा, आह समोसा, घरों से आवाज आने लगे है, मम्मी आप ही बना दो न Samosa.

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