नई दिल्ली: पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार आम बात है. अत्याचार के कारण ही वहां से हिंदू भागकर भारत में शरण लेने को मजबूर हैं. माना जाता है खेल हर धर्म से ऊपर होता है. लेकिन पाकिस्तान के खिलाड़ी ही जब अल्पसंख्यकों से भेदभाव करें तो सोचिए उस मुल्क में धार्मिक कट्टरता कितना ज्यादा हावी होगा. दानिश कनेरिया से भेदभाव की कहानी शोएब अख्तर ने बयां की थी. अब पाकिस्तान के हिटर बैटसमैन अफरीदी के मुंह से सुनिए, हिंदुओँ से नफरत की कहानी-
हिंदुओं से नफरत करता है अफरीदी!
Pakistani cricketer Shahid @sAfridiOfficial confesses to smashing a TV set because it was showing a scene about a Hindu ritual. The largely female audience cheers him wildly for his ‘gallant’ act. Hindu hatred is like ‘early childhood education’ in Pakyampic.twitter.com/Numpj5faRl
— Tarek Fatah (@TarekFatah) December 29, 2019
पाकिस्तान के दो पूर्व क्रिकेटरों शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर की जुबानी पूरी दुनिया ने सुन लिया है कि कैसे उनके मुल्क में हिंदू होना कितना बड़ा गुनाह है. शाहिद अफरीदी जिनके खेल को भारत में भी लोग पसंद करते थे. वो हिंदुओं और हिंदू आस्था के बारे में कितनी घटिया सोच रखते हैं. ये अब सबके सामने आ चुका है.
अफरीदी जिस चैनल पर इंटरव्यू दे रहे थे. वहां उनके टीवी तोड़ने की बात करते ही एंकर हंस पड़ी और स्टूडियो में तालियां बज उठती हैं.
पूरी पाकिस्तान क्रिकेट टीम का यही हाल रहा है. शोएब अख्तर ने भी तीन दिन पहले ही टीम के एकमात्र हिंदू क्रिकेटर दानिश कनेरिया के साथ भेदभाव का खुलासा किया था. अल्पसंख्यक होने के कारण दानिश अब तक अपनी जुबान खोलने की हिम्मत नहीं जुटा सके थे. लेकिन शोएब अख्तर के बयान के बाद दानिश अब अपने साथ हुए अत्याचार की कहानी पर खुलकर बोल पा रहे हैं.
कनेरिया ने लगाई थी लताड़
दानिश कनेरिया ने एक वीडियो जारी करके कहा था कि 'क्या चाह रहे हैं भाई आप लोगों ने मेरे हाथ-पैर काट दिए हैं, क्रिकेट तो दूर की बात है. चैनल पर काम देना बंद कर दिया है. जिस चैनल के लिए मैंने काम किया अभी तक उसकी पेमेंट नहीं मिली है मुझे.
कनेरिया ने पाकिस्तान में मौजूद हिंदुओं पर अत्याचार की हकीकत बयां की है. ये हकीकत आंकड़ों में भी दिखती है कैसे वहां धर्म की आड़ में हिंदुओं पर जुल्म होता है.
आंकड़ा गवाह है कि पाकिस्तान जुल्मी है!
साल 1947 में पाकिस्तान की आबादी में 23% से ज्यादा हिंदू थे. 51 साल बाद वर्ष 1998 तक हिंदुओं की जनसंख्या सिर्फ 1.6% रह गई. बंटवारे से पहले के कराची की बात करें तो साल 1941 में हिंदू आबादी 51 फीसदी थी. लेकिन साल 1951 में कराची में हिंदुओं की संख्या सिर्फ 2 प्रतिशत रह गई. पाकिस्तान से हर साल औसतन 5000 हिंदू पलायन करने को मजबूर हैं.
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पाकिस्तान के लोगों में हिंदुओं की आस्था के प्रति नफरत है. यही वजह है कि हिंदुस्तान की सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पास किया है ताकि पाकिस्तान में सताए गए अल्पसंख्यकों को हिंदुस्तान में शरण मिल सके.
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