नई दिल्ली. अत्यंत महत्वपूर्ण कोरोना-जानकारी है ये जो भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों ने दुनिया के सामने प्रस्तुत की है. भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने शोध के माध्यम से पता लगाया है कि बिना लक्षण वाले मरीज अर्थात एसिम्पटोमेटिक कोरोना पेशेंट्स के शरीर में कोरोना वायरस की मात्रा ज्यादा होती है.
अत्यंत अहम जानकारी है ये
एक तरफ देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, दूसरी तरफ भारत में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पूरी संकल्प शक्ति के साथ इस महामारी से टक्कर लेने की कोशिशों को जारी रखा हुआ है. देश की जनता, देश के डॉक्टर्स और देश के चिकित्सा वैज्ञानिक हार मानने को तैयार नहीं हैं और यह दृढ निश्चय सिद्ध करता है कि कोरोना से जंग में भारत अवश्य जीतेगा! अब भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अहम तथ्य सामने रखा है जो दुनिया भर में कोरोना-मेडिसिन बनाने की कोशिश में लगी कंपनियों, कोरोना डॉक्टर्स और चिकित्सा वैज्ञानिकों के लिए बहुत अहम जानकारी सिद्ध हो सकती है.
कड़ी है दोनो प्रकार के रोगियों के बीच
भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के माध्यम से पता लगाया है कि बिना लक्षण वाले कोरोना रोगियों और किसी भी कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में उपस्थित वायरस की मात्रा के बीच एक कड़ी मौजूद है. जो व्यक्ति कोरोना संक्रमित घोषित रोगी है उसके मुकाबले उस व्यक्ति में कोरोना वायरस की मात्रा अधिक मौजूद होती है जिसके कोरोना-लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.
हैदराबाद में हुआ है यह शोध
यह महत्वपूर्ण अध्ययन हैदराबाद में कोरोना मरीजों पर किया गया है. कोरोना के दो सौ से अधिक रोगियों पर हुए इस अध्ययन में आई यह जानकारी नीति निर्माताओं को नोवेल कोरोना वायरस से पैदा होने वाले संक्रमण के प्रसार को लेकर बेहतर जानकारी दे सकती है. हैदराबाद में सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने इस जानकारी के आधार पर सरकार को परामर्श दिया है कि बिना लक्षण वाले मरीजों के प्राथमिक और द्वितीय स्तर के सभी संपर्कों का पता करके उनकी कोरोना जांच भी होनी चाहिए और उन पर नज़र भी रखी जानी चाहिए.