Kangana Ranaut भड़कीं- तो क्या शिवसेना के गुंडों को मेरा मुंह तोड़ने या रेप करने दे BJP?

कंगना रनौत का क्रोध जायज़ है और रावण की लंका में यदि उनकी सहायता बीजेपी कर रही है तो संजय राउत को मिर्ची क्यों लग रही है?  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Sep 13, 2020, 10:46 PM IST
    • कंगना और संजय का वाक-युद्ध चालू आहे
    • कंगना ने दिया राउत को पलट-जवाब
    • राउत लगातार चालू हैं कंगना के खिलाफ
Kangana Ranaut भड़कीं- तो क्या शिवसेना के गुंडों को मेरा मुंह तोड़ने या रेप करने दे BJP?

नई दिल्ली. कामयाब रही संजय राउत की योजना. कंगना से पंगा ले कर मीडिया का ध्यान इस तरफ खींच लिया और अब ये मामला लगातार बढ़ रहा है जिससे सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर से मीडिया का अटेंशन कम हो गया है और संजय राउत की पीठ थपथपाने वाले शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे को यही तो चाहिए था.

वाक-युद्ध चालू आहे                           

कंगना रनौत और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच गगनभेदी शब्द बाणों का युद्ध लगातार चल रहा है. अभी अपने पिछले बयान में संजय राउत ने कहा था कि जिस तरह से महाराष्ट्र की बेइज्जती की गई, उसका किसी भी महाराष्ट्र (विपक्षी) के नेता को अफ़सोस नहीं हुआ. संजय का बयान सामने आते ही कंगना ने उसका जवाब भी दे दिया.

कंगना ने दिया राउत को जवाब 

संजय राउत द्वारा 'आपला मानुस आपला महाराष्ट्र' की राजनीति खेल कर मुम्बइकर्स की सहानुभूति  बटोरने की स्वार्थी कोशिश की गई. किन्तु कंगना ने इस चाल का जवाब देने में देर नहीं लगाईं.  प्रदेश की पूरी सरकार से अकेल टक्कर ले रही कंगना ने तुरंत ट्वीट कर अपना रिएक्शन दिया. उन्होंने लिखा - आपके लिए ये बहुत अफ़सोस की बात है कि बीजेपी एक ऐसे व्यक्ति को बचा रही है जिसने ड्रग्स और माफिया रैकेट का भांडा फोड़ कर डाला है. इसका मतलब बीजेपी को शिवसेना के गुंडो को मेरा मुंह तोड़ देने, रेप करने या लिंच करने से नहीं रोकना चाहिए, ठीक है न,  संजय जी? आखिर बीजेपी वालों ने साहस कैसे किया माफिया के विरुद्ध खड़ी हुई एक युवती की रक्षा के लिये?'

राउत लगे हुए हैं कंगना के विरुद्ध 

सामना के सम्पादक संजय राउत चुप नहीं हुए हैं. उन्होंने कंगना के विरुद्ध लिखा कि कंगना मुंबई में बैठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के विरुद्ध तू-तड़ाक की भाषा का इस्तेमाल करती है. वह खुल कर चुनौती दे रही है और इस पर महाराष्ट्र की जनता कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है. ये किस तरह की एकतरफ़ा स्वतंत्रता है?  उन्होंने आगे लिखा कि पूरा न सही कम-से-कम आधे हिंदी फिल्म जगत को तो मुंबई के अपमान का विरोध करना ही चाहिए था.

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