नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह की उलटी गिनती शुरू हो गई है. 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. इससे पहले अमेरिकी इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के लिए चंदा इकट्ठा किया जा रहा है. अब तक करीब 1275 करोड़ रुपये का चंदा जमा किया जा चुका है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्यों पहली बार शपथ ग्रहण से पहले इस तरह से चंदा लिया जा रहा है?
ट्रंप ने गठित की है कमेटी
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में जीत हासिल करने के बाद 6 नवंबर को ही ट्रंप-वेंस इनॉगरेशन कमेटी गठित की गई है. इसके तहत चंदा भी लिया जा रहा है जबकि इससे पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण चुनाव से पहले कमेटी का गठन किया जाता रहा है लेकिन चंदा नहीं लिया जाता था. ट्रंप-वेंस इनॉगरेशन कमेटी का लक्ष्य 1700 करोड़ रुपये का चंदा जुटाना है.
शपथ ग्रहण समारोह के कार्यक्रम 17 जनवरी से शुरू होंगे. इसमें डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनकी पत्नी उषा वेंस के साथ कैंडल लाइट डिनर के लिए 42 करोड़ रुपये का टिकट रखा गया है. इसके अलावा परेड, इवनिंग पार्टी समेत अन्य कार्यक्रम भी होंगे जिनके लिए स्पेशल टिकट जारी होने की रिपोर्ट सामने आ रही है.
कौन-कौन दे रहा है चंदा
रिपोर्ट की मानें तो चंदा देने वालों में मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस जैसे दिग्गज अरबपति भी शामिल हैं, जो ट्रंप के विरोधी माने जाते हैं. यही नहीं फोर्ड और सॉफ्टवेयर कंपनी इनटूइट जैसी कंपनियों ने भी कमेटी के लिए चंदा दिया है. इसी तरह फाइनेंस सेक्टर से लेकर फार्मा सेक्टर तक की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी शपथ ग्रहण समारोह के लिए चंदा दे रही हैं.
क्यों चंदा दे रही हैं कंपनियां
रिपोर्ट में ओपन सीक्रेट्स के निदेशक ब्रेंडन ग्लेविन के हवाले से दावा किया गया है कि कंपनियां ट्रंप को चंदा इसलिए दे रही हैं ताकि अपने 4 साल के कार्यकाल में उन्हें राष्ट्रपति की ओर से किसी तरह की दिक्कत पेश न आए. इसलिए चंदे के तौर पर यह रकम ट्रंप को दे रही हैं.
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