चीन के जहरीले मंसूबे ज़ाहिर करने वाले संदेह के 8 आधार

चीन ने दुनिया से अपने देश में हुई तबाही को छुपाया है. आज जिस तरह के आरोप चीन पर लग रहे हैं, उससे यह संदेह पुष्ट होता है कि न केवल चीन ने अपने देश में कोरोना को लेकर जानकारियां दुनिया से छुपाई हैं बल्कि इस छुपाने के मकसद के भी पीछे कोई जहरीला मकसद हो सकता है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 28, 2020, 02:56 AM IST
    1. वायरस से हुई भयानक तबाही को छुपाया
    2. चाइना की करतूत के 8 बड़े सबूत
    3. हर मोर्चे पर बेनकाब हो रहा है चीन
चीन के जहरीले मंसूबे ज़ाहिर करने वाले संदेह के 8 आधार

नई दिल्ली: चीन धीरे धीरे दुनिया में बेनकाब होता जा रहा है. चीन की हरकतें बेहद अजीब नज़र आ रही हैं कम से कम इनसे चीन की कोई मासूमियत तो नज़र बिलकुल नहीं आ रही. और इस तथ्य को भी कोई भुला नहीं सकता कि चीन पर कोरोना जानकारियां छुपाने का सबसे पहला आरोप चीन से ही आया था और इस आरोप को चस्पा करने वाली कम्पनी चीन की सबसे बड़ी कंपनियों में एक थी.

वायरस से हुई भयानक तबाही को छुपाया

वह साल था 2019 और महीना था नवंबर या इसको ऐसे कहें कि चार महीने पहले चीन के हूबेई प्रांत की राजधानी वुहान से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था. चीन ने दुनिया को बताया कि आज की तारीख तक उसके देश में कोरोना वायरस से 3,285 लोगों की जानें गई हैं. अब इस देश में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में लगातार भारी कमी देखी जा रही है. कोरोना स्टेट हुबेई के लोगों का आम जीवन पहले की तरह शुरू होने लगा है.

संदेह का प्रथम आधार

संदेह का प्रथम आधार फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में ही सारी दुनिया के सामने सबसे पहले आया था पर किसी ने भी उस पर ध्यान नहीं दिया. चीन की ही एक बड़ी कम्पनी ने दावा किया था कि चीन सरकार कोरोना मौतों का सही आंकड़ा छुपा रही है. छह फरवरी को किये गए इस कम्पनी के दावे के अनुसार देश में पच्चीस हज़ार कोरोना मौतें हो चुकी हैं जबकि सरकार पच्चीस सौ का आंकड़ा दिखा रही है.  

संदेह का दूसरा आधार

भारत ने 19 फरवरी को चीन की मदद के लिए भारतीय वायुसेना का एक विमान को दवाइयां और डॉक्टर्स का एक दल लेकर वुहान भेजने के लिए तैयारी की थी. यह जहाज़ वापसी में कोरोना सिटी में फंसे भारतीयों को अपने साथ भारत वापस लाने वाला था. चीन ने भी शुरू में इसके लिए हाँ तो कर दी थी लेकिन उसने भारत को एक हफ्ते तक चीन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी थी. यह एक हफ्ते का इंतज़ार कहता है कि चीन ने उधार वुहान में कुछ छुपाने की तैयारी के लिए समय ले लिया था.

संदेह का तीसरा आधार

अमेरिका ने भी चीन की मदद की पेशकश की थी.  अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिए अपने बयान में कहा था कि चीन में जानलेवा वायरस की जानकारी मिलते ही वह अमेरिकन मेडिकल एक्सपर्ट्स की एक टीम वहां भेजना चाहते थे लेकिन चीन ने उनको इसकी अनुमति नहीं दी.

संदेह का चौथा आधार

चीनी वायरस ने चीन के बाहर कई देशों में भयंकर रूप दिखाया है. चीन में हुई कोरोना मौतों से दुनगुनि इटली में हो चुकी हैं. अमेरिका में चीन से ज्यादा संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं.  वहीं स्पेन और ब्रिटेन भी कोरोना के सामने बेबस होते दिख रहे हैं.  इटली में 8000 कोरोना मौतें हो चुकी हैं जबकि स्पेन में यह आंकड़ा 4000 है. इस तथ्य को सामने रख कर देखने पर चीन में कोरोना मौतों की संख्या सच नज़र नहीं आती.

संदेह का पांचवां आधार

कोरोना पर हुए एक अमरीकी शोध ने मार्च में प्रकाशित अपने एक लेख से संकट मिलता है कि अगर चीनी अधिकारियों ने तीन सप्ताह पहले कोरोना की दुनिया को जानकारी दी होती चीन में ही नहीं दुनिया में भी कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या 95% तक कम हो सकती थी और इस तरह कोरोना का भौगोलिक प्रसार भी सीमित हो सकता था.

संदेह का छठा आधार

चीन की कम्युनिस्ट सरकार की नीयत पर खुल कर सबको शक हो या न हो लेकिन कोरोना पर दिए गए चीन सरकार के आंकड़ों पर पूरी दुनिया को संदेह रहा है. क्या कारण है कि चीन ने कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़े जारी करने में तीन हफ्तों की देरी की. क्या कारण है कि चीन सरकार ने संक्रमण फ़ैल जाने के बाद दुनिया को उसकी जानकारी देने में विलम्ब किया? .

संदेह का सातवां आधार

कोरोना प्रकरण में चीन ने अपने रहस्यमय चरित्र का प्रथम शिकार  वुहान के डॉक्टर वी लेनलियांग को बनाया जिन्होंने सबसे पहले रहस्यमय बीमारी के बारे में आगाह करने की कोशिश की थी. सरकार ने  उनकी चेतावनी पर ध्यान देने की जगह उन पर अफवाह फैलाने के आरोप लगाया था और उनके खिलाफ समन जारी कर दिया था. फिर उनकी फरवरी महीने में कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत्यु भी हो गई और यह बात उनके ही साथ खत्म हो गई.

संदेह का आठवां आधार

मीडिया सेंसरशिप के माध्यम से चीन में शुरुआत से ही कोरोना वायरस को लेकर सूचना दबाने की कोशिश जारी रही. कोरोना को लेकर किसी भी तरह की बहस पर सेंसरशिप जारी रखी. चीन की ही फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट ने बताया है कि वायरस पर रिपोर्टिंग कर रहे तीन चीनी पत्रकार अपने डिटेंशन कैम्पस से गायब हैं. चीन के सरकारी चैनल के एक पत्रकार द्वारा बनाये गए अपनी गिरफ्तारी का वीडियो वायरल हो गया है. 

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इतना ही नहीं वायरस से निपटने में शी जिनपिंग की निंदा करने वाले सोशल ऐक्टिविस्ट शू झियोंग को भी सीक्रेट डिटेंशन की सज़ा मिली थी. और अभी हाल ही में अमेरिका के तीन प्रमुख समाचारपत्रों न्यूयॉर्क टाइम्स, वाल स्ट्रीट जर्नल और वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकारों को चीन ने अपने देश में प्रतिबंधित कर दिया है. 

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