चीन के इन 3 गुनाहों का हिसाब एक साथ चुकता करेगा हिन्दुस्तान, जानिए कैसे?

इन दिनों भारत की ओर आंख दिखाने के लिए चीन तरह-तरह के पैंतरे अपना रहा है. लेकिन, वो इस बात को भूल गया है कि भारत उसे चौतरफा चोट देने के लिए तैयार है. उसके इन मुख्य तीन गुनाहों का अब एकसाथ हिसाब होगा...

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : May 24, 2020, 05:11 PM IST
    • फिर 1962 वाली गलती दोहरा रहा है चीन
    • 1967 में हुए अंजाम को भूल गया है चीन
    • भारत और चीन के बीच सीमा का गणित
    • कब-कब चालबाज चीन ने घुसपैठ की?
    • सावधान चीन! ये है 2020 वाला हिंदुस्तान
    • कोरोना मुसीबत में डालने वाला अपराध
चीन के इन 3 गुनाहों का हिसाब एक साथ चुकता करेगा हिन्दुस्तान, जानिए कैसे?

नई दिल्ली: चीन की करतूतों की सजा उसे आज नहीं तो कल मिलनी तय है. चीन के गुनाहों की लिस्ट बहुत लंबी है लेकिन मुख्य तीन ऐसे अपराध हैं, जिसकी सजा उसे मिलकर ही रहेगी. चीन को बहुत सारी गलतफहमी है, इसीलिए वो बार-बार भारत को बंदरघुड़की दिखा रहा है. लेकिन उसे जल्द ही भारत उसकी औकात दिखाएगा.

गुनाह नंबर 1). फिर 1962 वाली गलती दोहरा रहा है चीन

लद्दाख पर चीन की नापाक निगाहें पहले से रही हैं. दर्जनों बार चीन ने इस इलाके में अपने सैनिकों को भेजकर LAC पर विवाद पैदा करने की कोशिश की है. दरअसल, चीन लद्दाख पर 1962 से कब्जे की मंशा पाले हुए हैं, लेकिन हिंदुस्तान हर बार उसकी मंशा पर पानी फेर देता है.

भारत का सबसे उत्तर-पश्चिम का इलाका लद्दाख एक सर्द रेगिस्तान है. जहां सर्दियों में तापमान शून्य से 50 डिग्री नीचे तक चला जाता है. लद्दाख भारत का वो इलाका भी है. जो पाकिस्तान और चीन दोनों की शातिर चालों के सामने मोर्चे पर डटा हुआ है. लद्दाख के कुछ हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है, तो कई इलाके को चीन ने जबरन अपने कब्जे में ले रखा है.

पीठ पर खंजर घोंपने का काम चीन को काफी अच्छे से आता है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 1962 में देखने को मिला था. चीन ने भारत की दोस्ती का सिला युद्ध से दिया. साल 1962 में जब गोरखा सैनिकों ने अपना कैंप गलवान घाटी में लगाया था तो उस वक्त ड्रैगन की सेना ने उसे घेर लिया. अब एक बार फिर चीन 1962 वाली गलती दोहरा रहा है. लेकिन उसे शायद बहुत बड़ी भूल हो चुकी है. इस बार चीन को उसकी औकात दिखाने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है. शायद 1962 का गुनाह दोहराने की कोशिश करने वाले चीन ने 5 साल बाद ही 1967 में अपने हश्र को भुला दिया है.

गुनाह नंबर 2). 1967 में हुए अंजाम को भूल गया है चीन

जब-जब चीन के ज़ेहन में साल 1962 की लड़ाई याद आती है और अपने जीत की खुशी होती है, तो उसे 62 के 5 साल बाद ही मिले सबक को जरूर याद कर लेना चाहिए. इतिहास गवाह है कि 1967 में भारत के शूरवीरों ने चीन को जिस तरह धूल चटाई थी, उससे ड्रैगन को अपनी औकात याद करने में सहूलियत होगी.

साल 1967 में चीन ने भारतीय सेना के जवानों को निशाना बनाने का गुनाह किया तो उसका बदला लेते हुए भारत ने उसके सैकड़ों सैनिकों को ढेर कर दिया. साथ ही भारी तादाद में चीनी बंकरों को नेस्तानाबूद कर दिया. चीन के दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने उस वक्त सिर्फ ट्रेलर दिखाया था. नाथू ला दर्रे में हुई उस भिडंत की कहानी को याद करके चीन को अपनी हैसियत समझ लेनी चाहिए.

बता दें, भारत और चीन के बीच 11 सितंबर 1967 की लड़ाई धक्का-मुक्की के चलते शुरू हुई थी. जब भारत ने सीमा पर बाड़बंदी का कार्य शुरू किया तो चीनी सैनिकों ने गोलीबारी करके महज 10 मिनट में 70 भारतीय सौनिकों का खून बहा दिया. जिसका बदला भारत ने लिया तो चीन बाप-बाप करने लगा.

साल 1967 के ही अक्टूबर की पहली तारीख को ही चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने चाओ ला इलाके में फिर से भारत को हेकड़ी दिखाने की कोशिश की. सीज़फायर तोड़ते हुए चीन ने फिर गुनाह को अंजाम दिया फिर क्या था, एक बार फिर भारतीय सैनिकों के शूरवीर 7/11गोरखा राइफल्स और 10 जैक राइफल्स नामक भारतीय बटालियनों चीन को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया कि फिर से चीन भाग खड़ा हुआ.

भारत और चीन के बीच सीमा का गणित समझिए

चीन बार-बार भारतीय सीमा में घुस जाता है, क्योंकि वहां कोई फेंसिंग नहीं है. आपको भारत और चीन के बीच सीमा को समझाते हैं..

भारत और चीन के बीच 3488 किमी. लंबी सीमा है. चीन की सीमा लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड से लगती है. सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से भी चीन की सीमा लगती है. चीन ने PoK के 5180 वर्ग किमी. पर कब्जा कर रखा है. 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से कश्मीर का हिस्सा चीन को सौंपा था. कश्मीर के जिस हिस्से पर चीन का कब्जा वो अक्साई चीन है.

आपको बताते हैं कि चीन ने लद्दाख या फिर भारतीय सीमा में कब-कब घुसपैठ की है.

कब-कब चालबाज चीन ने घुसपैठ की?

  • 2013 में लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी में 19 किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे
  • 2014 में लद्दाख के चुमार में डेमचोक में चीनी सैनिक घुस आए थे
  • 2016 में लद्दाख में पेंगांग झील के किनारे 8 किमी. अंदर तक घुस आए थे
  • 2016 में ही अरुणाचल प्रदेश के कामेंग में भी चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की  कोशिश की थी
  • 2016 में ही उत्तराखंड के चमोली में भी चीनी सैनिक घुस आए थे
  • 2017 में लद्दाख के पेंगांग झील के किनारे चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी

इसके बाद के सालों में भी घुसपैठ की कई बार कोशिश की गई है, जिसके आंकड़े बहुत लंबे हैं  

सावधान चीन! ये है 2020 वाला हिंदुस्तान

चीन शायद ये भूल गया है कि साल 1962 के युद्ध और 1967 की लड़ाई में सिर्फ 5 सालों का अंतराल था. सिर्फ 5 सालों में भारत ने चीन के हेकड़ी चुटकियों में बंद कर दी, तो साल 2020 के परमाणु शक्ति संपन्न भारत से चीन का उलझना खतरे से खाली नहीं है. इस तरह चीन को 1967 का इतिहास भूलने की गुस्ताखी नहीं करनी चाहिए.

गुनाह नंबर 3). दुनिया को कोरोना मुसीबत में डालने वाला अपराध 

पूरी दुनिया इस वक्त एक मुश्किल दौर से गुजर रही है. चारो तरह एक ही नाम की दहशत है, अदृश्य दुश्मन कोरोना वायरस... इस वायरस का जन्मदाता मुल्क चीन ही है. दुनिया को वायरस की आग में झोंकने वाला चीन हर बड़े देशों से घिरा हुआ है. ब्रिटेन, रूस, अमेरिका, भारत सभी बड़े देश चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हैं. यही वजह है कि चीन लद्दाख में भारत को हुड़की दिखाने की कोशिश कर रहा है.

चीन को इस बात की मिर्ची लगी है कि कोरोना के अपराध की सजा उसे चौतरफा मिलनी शुरू हो गई है. चीन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की तैयारी भी जोर पकड़ रही है. चीन से हजारों कंपनियां नाता तोड़ रही हैं और वो भारत का रुख कर रही हैं. जिसके बाद बौखलाकर चीन का लद्दाख वाली करतूत करना वाजिब है. हर कोई जानता है कि नीच चीन किसी भी हद तक गिर सकता है, उसका स्वरूप सामने आ रहा है.

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लेकिन चीन को एक बहुत बड़ी गलतफहमी है, लद्दाख में अपनी नापाक करतूत को अंजाम देकर चीन भारत को डरा देगा. वो शायद सपने देख रहा है, क्योंकि भारत के साथ सिर्फ हिन्दुस्तानी जज्बा और ताकत नहीं बल्कि सुपरपावर अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, इज़रायल जैसे बड़े देशों का पूरा साथ है. चीन को चारों तरफ से घेरकर भारत उसकी इतनी धुनाई करेगा कि वो गलतफहमियां पालना ही भूल जाएगा.

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