नई दिल्ली: कट्टर इस्लामिक देशों में मानवाधिकार की बात करना बेमानी है. दुनिया के अनेक इस्लामिक हुकूमत वाले देश सिर्फ आतंकवादियों (Terrorists) के मानवाधिकारों की चिंता करते हैं. इन देशों में न्याय, समानता और प्रेम के लिए कोई स्थान नहीं है. ईरान के सुप्रीम कोर्ट से एक बेहद असंवेदनशील फैसला दिया गया. पूरी दुनिया इसकी उम्मीद नहीं कर रही थी.
ईरान सरकार की आलोचना करना पहलवान को पड़ा भारी
आपको बता दें कि अमेरिका समेत दुनिया के अनेक देशों के विरोध करने के बावजूद ईरानी पहलवान नाविद अफकारी (Navid Afkari) को फांसी की सजा दे दी गई. नाविद अफकारी पर साल 2018 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों (Anti Government Protests) में हिस्सा लेने के दौरान एक सिक्यूरिटी गार्ड की हत्या का आरोप लगा था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया और शनिवार को फांसी दे दी गई. इस सजा का काफी विरोध हो रहा था, बावजूद ईरानी सरकार ने अफकारी को मौत की नींद सुला दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने भी नहीं दिखाई दया
गौरतलब है कि ईरान के दक्षिणी राज्य फारस के न्याय विभाग के प्रमुख काजेम मौसावी के हवाले से पीड़ित परिवार की इच्छा के मुताबिक कानूनी तौर पर नाविद को मौत की सजा दी गई. अफकारी पर हसन तुर्कमान (Hasan Turkman) की हत्या का आरोप लगा था, जो एक वॉटर कंपनी में सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करते थे.
हसन पर हत्या के साथ ही अन्य केस भी चल रहे थे और अगस्त में सुप्रीम कोर्ट (Iranian Supreme Court) ने उनकी रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी थी. नाविद अफकारी की सजा के विरोध में 85 हजार एथलीटों की अगुवाई करने वाले वैश्विक संगठन ने ईरान से सजा पर लोक लगाने की मांग की थी और कहा था कि ऐसा करने पर ईरान का खेलों की दुनिया में बहिष्कार किया जाएगा.