नई दिल्ली: इस वक्त पूरी दुनिया में सबसे बड़ा मुद्दा है, अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा.. 20 साल बाद वहां के लोगों में खौफ का माहौल है कि अब महिलाओं का क्या होगा? अफगानिस्तान में तालिबान के खालिफ और महिलाओं के हक और हुकूक की आवाज बनने वाली सहारा करीमी आखिरकार कौन हैं? इस सवाल का जवाब वाकई दिलचस्प है. एक कलाकार ने जब अपने देश और देशवासियों को बचाने के लिए पूरे के पूरे तालिबान से पंगा ले लिया.
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा
अफगानिस्तान को लेकर पूरी दुनिया को जिस बात का डर कई दिनों से था, वो डर आखिरकार रविवार को सच साबित हुआ. काबुल पर कब्ज़े के साथ ही अफगानिस्तान में 20 साल बाद तालिबान का फिर से राज हो गया. भले ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया हो, लेकिन एक ऐसी शख्स है जिसने लगातार महिलाओं के हक की खातिर अपनी आवाज बुलंद की और तालिबानियों से सीधा लोहा लिया.
नूरी पिक्चर्स (Noori Pictures) में स्क्रिप्ट राइटर और फिल्म डायरेक्ट (Scriptwriter & Film Director) सहारा करीमी (Sahraa Karimi) जो Afghan Film की Director General भी हैं, उन्होंने दुनियाभर के फिल्मकारों और कलाकारों से अपील की है. उन्होंने महिलाओं को बचाने के लिए जो मुहिम शुरू की उसे तालिबानियों के डर से थमने नहीं दिया.
ये भी पढ़ें-Afghanistan: क्यों चर्चा में है साइगॉन? जानिए क्या थी अमेरिका के हार की ये कहानी.
दुनिया की खामोशी पर सहारा करीमी की बुलंद आवाज
करीमी लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं, इस बीच उन्होंने लिखा कि 'मुझे ये दुनिया समझ में नहीं आती, ये खामोशी मुझे समझ नहीं आती. मैं खड़ी हूं और अपने देश के लिए लड़ती हूं, लेकिन मैं नहीं कर सकती. मुझे आप जैसे सहयोगियों की जरूरत है. कृपया हमारे साथ क्या चल रहा है, इसकी परवाह करने में हमारी मदद करें. अफगानिस्तान में क्या चल रहा है, कृपया अपने देश के सबसे महत्वपूर्ण मीडिया को सूचित करके हमारी मदद करें.'
उन्होंने कहा कि 'अफगानिस्तान की सीमाओं के बाहर हमारी आवाज बनें. यदि तालिबान काबुल पर कब्जा कर लेता है, तो हमारे पास इंटरनेट या किसी संचार उपकरण तक पहुंच नहीं हो सकती है. कृपया अपने फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को हमारा समर्थन करने के लिए, हमारी आवाज बनने के लिए आमंत्रित करें. ये युद्ध गृह युद्ध नहीं, गैर निषेध युद्ध है, युद्ध है और ये तालिबान के साथ अमेरिकी समझौते का परिणाम है. कृपया इस वास्तविकता को अपने मीडिया में ज्यादा से ज्यादा प्रतिबिंबित करें और हमारे बारे में सोशल मीडिया पर लिखें. दुनिया हम पर अपनी पीठ न फेर ले. अफगान महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और फिल्म निर्माताओं की आवाज बनें. यह समर्थन सबसे बड़ी मदद है जिसकी हमें अभी जरूरत है.'
चिट्ठी के जरिए बताई हालात
उन्होंने एक पत्र में लिखा कि 'मेरा नाम सहारा करीमी है और मैं एक फिल्म निर्देशक हूं. साथ ही अफगान फिल्म की वर्तमान महानिदेशक हूं, जो 1968 में स्थापित एकमात्र सरकारी स्वामित्व वाली फिल्म कंपनी है.'
इसके अलावा सहारा ने लिखा कि 'मैं इसे टूटे दिल के साथ लिख रही हूं और इस गहरी उम्मीद के साथ कि आप मेरे खूबसूरत लोगों को, खासकर फिल्ममेकर्स को तालिबान से बचाने में शामिल होंगे. तालिबान ने पिछले कुछ हफ्तों में कई प्रांतों पर कब्जा कर लिया है. उन्होंने हमारे लोगों का नरसंहार किया, कई बच्चों का अपहरण किया. कई लड़कियों को चाइल्ड ब्राइड के रूप में अपने आदमियों को बेच दिया. उन्होंने एक महिला की हत्या उसकी पोशाक के लिए की.'
उन्होंने आगे लिखा कि 'उन्होंने हमारे पसंदीदा हास्य कलाकारों में से एक को प्रताड़ित किया और मार डाला, उन्होंने एक ऐतिहासिक कवि को मार डाला. उन्होंने सरकार के कल्चर और मीडिया हेड को मार डाला. उन्होंने सरकार से जुड़े लोगों को मार डाला. उन्होंने कुछ आदमियों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया. उन्होंने लाखों परिवारों को विस्थापित कर दिया. इन प्रांतों से भागने के बाद, परिवार काबुल में शिविरों में हैं, जहां वे बदहाली की स्थिति में हैं. वहां इन शिविरों में लूटपाट हो रही है. दूध के अभाव में बच्चों की मौत हो रही है. यह एक मानवीय संकट है. फिर भी दुनिया खामोश है.'
अपने पत्र में आगे लिखा कि 'हमें इस चुप्पी की आदत है, लेकिन हम जानते हैं कि यह उचित नहीं है. हम जानते हैं कि हमारे लोगों को छोड़ने का यह फैसला गलत है. 20 साल में हमने जो हासिल किया है वह अब सब बर्बाद हो रहा है. हमें आपकी आवाज की जरूरत है. मैंने अपने देश में एक फिल्म निर्माता के रूप में जिस चीज के लिए इतनी मेहनत की है, उसके टूटने की संभावना है. यदि तालिबान सत्ता संभालता है, तो वे सभी कलाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे. मैं और अन्य फिल्म निर्माता उनकी हिट लिस्ट में अगले हो सकते हैं. वे महिलाओं के अधिकारों का हनन करेंगे और हमारी अभिव्यक्ति को मौन में दबा दिया जाएगा.'
ये भी पढ़ें-Afghanistan: तालिबान राज में देश की 90 लाख बच्चियों की शिक्षा का क्या होगा?.
सहारा करीमी ने लिखा कि 'जब तालिबान सत्ता में था, तब स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या शून्य थी. तब से, स्कूल में 9 मिलियन से अधिक अफगान लड़कियां हैं. तालिबान द्वारा जीते गए तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में इसके विश्वविद्यालय में 50% महिलाएं थीं. ये अविश्वसनीय उपलब्धियां हैं, जिन्हें दुनिया नहीं जानती. इन कुछ हफ्तों में तालिबान ने कई स्कूलों को तबाह कर दिया है और 20 लाख लड़कियों को फिर से स्कूल से निकाल दिया है.'
फिल्म डायरेक्टर ने आगे लिखा कि ‘मैं इस दुनिया को नहीं समझती. मैं इस चुप्पी को नहीं समझती. मैं खड़ी हो जाऊंगी और अपने देश के लिए लड़ूंगी, लेकिन मैं इसे अकेले नहीं कर सकती. मुझे आप जैसे सहयोगी चाहिए. हमारे साथ क्या हो रहा है, इस पर ध्यान देने में इस दुनिया की मदद करें. अपने देशों के प्रमुख मीडिया को अफगानिस्तान में क्या हो रहा है, यह बताकर हमारी मदद करें. अफगानिस्तान के बाहर हमारी आवाज बनें. यदि तालिबान काबुल पर कब्जा कर लेता है, तो हमारे पास इंटरनेट या संचार के किसी अन्य माध्यम तक पहुंच नहीं हो सकती है.’
सहारा करीमी की लोगों से अपील
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए लिखा कि 'कृपया अपने फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को हमारी आवाज के रूप में समर्थन दें, इस तथ्य को अपने मीडिया के साथ साझा करें और अपने सोशल मीडिया पर हमारे बारे में लिखें. दुनिया हमारी ओर नहीं देखती है. हमें अफगान महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और फिल्म निर्माताओं की ओर से आपके समर्थन और आवाज की जरूरत है. यह सबसे बड़ी मदद है जिसकी हमें अभी जरूरत है. कृपया हमारी मदद करें. इस दुनिया को अफगानों को छोड़ने न दें. कृपया काबुल में तालिबान के सत्ता में आने से पहले हमारी मदद करें. हमारे पास केवल कुछ दिन हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.'
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.