लामा करेगा खात्मा कोरोना का, फिर जागी उम्मीद

लामा है ऊँट की एक प्रजाति जिसे वैज्ञानिक कोरोना के विनाशक के रूप में देख रहे हैं. लामा  नामक इस पशु में नजर आ रही है कोरोना के उपचार की एक उम्मीद..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 7, 2020, 09:53 PM IST
    • लामा है ऊँट की एक प्रजाति है जो इस वायरस को नष्ट कर सकता है
    • टेक्सास विश्वविद्यालय ने किया है दावा
    • विन्टर है वह कोरोना विनाशक लामा
    • लामा पर शोध का सफल परिणाम
लामा करेगा खात्मा कोरोना का, फिर जागी उम्मीद

नई दिल्ली.  सारी दुनिया ढूंढ रही है इस साल की सबसे बड़ी खुशखबरी जो है कोरोना के उपचार की दवा. दुनिया भर के चिकित्सा वैज्ञानिक इस दिशा में अहर्निश प्रयास कर रहे है. इसी बीच अमेरिका से चल कर आय़ा है एक आशाप्रद समाचार जो बता रहा है कि लामा करेगा खात्मा अब कोरोना का.

 

टेक्सास विश्वविद्यालय ने किया है दावा

अमेरिका सबसे बड़ा निशाना बना है चीनी वायरस का. और अब यहीं से आया है यह आशा का समाचार. टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हाल ही में ये दावा किया है कि उन्होंने एक पशु में कोरोना के विनाशक को ढूंढ लिया है. वैज्ञानिक जिस पशु की बात कर रहे हैं वह लामा नाम से जाना जाता है जो कि ऊंट की एक प्रजाति है. इन वैज्ञानिकों का मानना है कि लामा पशु के शरीर ने ऐसी क्षमता विकसित कर ली है जो कोरोना वायरस को खत्म करने में कारगर सिद्ध हो सकता है. 

विन्टर है वह कोरोना विनाशक लामा

यह आशाप्रद समाचार दुनिया की जानकारी में लाने के लिये टेक्सास यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक बयान जारी किया है. इस कोरोना नाशक तत्व के लामा के शरीर के भीतर पाये जाने की जानकारी देते हुए इन वैज्ञानिकों का कहना है कि चार साल के लामा में इस वायरस से लड़ने की क्षमता है. इस लामा को वैज्ञानिकों ने एक नया और सार्थक नाम दिया है -विन्टर, जो कि कोरोना के खिलाफ दुनिया की होप का विन्टर बन कर आया है. 

 

लामा पर शोध का सफल परिणाम

हाल ही में इटली से समाचार आया था कि रोम के वैज्ञानिकों ने कोरोना का एन्टीबॉडी ढूंढ निकाला है जिसे लेकर उम्मीद की जा रही है कि यह एन्टीबॉडी आने वाले दिनों में वैक्सीन का रूप लेकर दुनिया में कोरोना का विनाश कर सकेगा. अब अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस दिशा में यह दूसरी उम्मीद की खबर सुनाई है. इस विश्वविद्यालय के अलावा नेशनल इंस्टीटूट्स ऑफ़ हेल्थ और बेल्जियम का घेंट विश्वविद्यालय भी काफी समय से ऐसी एंटीबॉडी की तलाश थी और इस हेतु बेल्जियम के ग्रामीण इलाकों में पाए जाने वाले लामा और भेड़ पर रिसर्च चल रही थी.

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