नई दिल्ली: Nepal Politics: नेपाल में सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. नेशनल असेंबली की अध्यक्षता के मुद्दे पर सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार पड़ने लगी है. यदि डैमेज कंट्रोल नहीं हुआ, तो नेपाल में सरकार गिर सकती है.
क्यों गिर सकती है सरकार?
दरअसल, हाल ही में नेपाल के सबसे बड़े दल माओवादी सेंटर की स्थायी समिति की बैठक में फैसला हुआ कि नेशनल असेंबली के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा जाएगा. जबकि पहले माओवादी सेंटर के प्रमुख और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी नेशनल असेंबली के अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेगी. नेपाली कांग्रेस के प्रत्याशी का समर्थन करेगी. लेकिन अब माओवादी सेंटर ने अपना फैसला बदल दिया.
क्या बोले पीएम दहल?
हाल ही में पीएम दहल ने कहा था कि कोशी नेशनल असेंबली की सीट नेपाली कांग्रेस की वजह से हार गए. हमारे कैडर का भी दबाव है कि गठबंधन से इतर राजनीति करें.
किस मीटिंग से आया सियासी भूचाल?
ऐसा माना जा रहा है कि नेपाली कांग्रेस पार्टी की एक बैठक की वजह से गठबंधन में स्थिति बिगड़ी है. 19 फरवरी को ‘महा समिति’ नाम से पार्टी ने एक बैठक बुलाई. इसमें मांग उठी कि हमें गठबंधन के नेतृत्व में अगला चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. यह बात माओवादी सेंटर पार्टी को ठीक नहीं लगी और उन्होंने अलग राजनीतिक राह पकड़ ली. बता दें कि नेपाल में 2026 में चुनाव प्रस्तावित है.
मीटिंग पर क्या बोले PM?
इस बैठक पर पीएम पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, 'फिलहाल चुनाव दूर है, अभी से नेपाली कांग्रेस को यह बात कहने की क्या जरूरत थी? गठबंधन पर सवाल उठे हैं.' इस राजनीतिक खींचतान नेपाल की सरकार अस्थिर होने के कगार पर पहुंच चुकी है.
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