नई दिल्ली: कोरोना के जन्मदाता मुल्क और दुनिया के गुनहगार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुश्किलें बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं. आने वाला सप्ताह ड्रैगन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के लिए काफी ज्यादा अहम है. इसके पीछे की वजह आपको हम तफ्सील से समझाते हैं.
जिनपिंग के खिलाफ 'द्रोहकाल'
हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसके पीछे की वजह आपको बताते हैं. CPPCC यानी चाइना पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस की सालाना बैठक काफी अहम होती है. चीन में CPPCC सबसे उच्च राजनीतिक सलाहकार संस्था है, इस बार इसकी बैठक 21 से 27 मई तक बीजिंग में होने वाली है. ऐसे में कोरोना काल के वक्त जब चीन पूरी दुनिया के आरोपों से घिरा हुआ है, उस दौरान इस बैठक में जिंनपिंग की परेशानी बढ़ सकती है.
क्या जिनपिंग के खिलाफ बगावत हो रही है?
दरअसल, अंदरूनी खबरें ये आ रही है कि इस मीटिंग में शी जिंनपिंग के पूरे कंट्रोल को लेकर खिलाफत में आवाज उठने वाली है. जानकारी के अनुसार शी के खिलाफ बैठक में आवाज बुलंद करने वाले चीनी सेना के कुछ पूर्व ऑफिसर्स और कम्युनिस्ट पार्टी के मेंबर होंगे. खास बात तो ये है कि कोरोना पाप को लेकर चीन के खिलाफ आवाज उठाने वालों के साथ जैसा सलूक किया जा रहा है, उसे लेकर भारी नाराजगी देखी जा रही है.
जिनपिंग के खिलाफ द्रोहकाल शुरू हो चुका है?
शी जिंनपिंग की सत्ता को ललकारने वालों की तादाद बढ़ती दिखाई दे रही है. शी के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर आवाज बुलंद किया जाना तया किया गया है. आखिरकार ऐसा क्यों होने के आसार दिख रहे हैं? इसे जानने से पहले आपको साल 2018 यानी 2 साल पहले के एक अहम घटनाक्रम से रूबरू करवाते हैं. जब चीनी संसद ने कार्यकाल की समय सीमा को समाप्त कर दिया यानी अब जिंनपिंग जबतक चाहें वो अपने पद पर बने रह सकते हैं.
चीन में 'वन मैन रूल' अब और नहीं?
आपको समझाते हैं कि वो कौन लोग हैं, जो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ बागी तेवर अपनाते दिख रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन की कॉम्युनिस्ट पार्टी के कई सारे सदस्य और कार्यकर्ता संसद में पास हुए इस वन मैन रूल के खिलाफ हैं. जानकारी के मुताबिक CPCC और यानी नेशलन पीप्लस कॉन्फ्रेंस (NPC) में आने वाले 7 हजार प्रतिनिधियों का भी इस मसले को लेकर मत हासिल करने की कोशिश की जा रही है. सबसे खास बात तो ये है कि चीन की ताकतवर पीपल्स लिबरेशन आर्मी के भी कुछ पूर्व और रिटार्यड अधिकारी भी इस मसले को लेकर अपना समर्थन दे सकते हैं. इसके अलावा बुद्धीजीवी और छात्रों के संगठन और भी इस प्लान को अंजाम देने में यकीन रखते हैं.
इस मुहिम को अगर सफल बना पाने में कामयाबी हासिल हो गई को जिंनपिंग के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. कोरोना वायर को लेकर पहले ही जिस तरह चीन ने पूरे विश्व की आंखों में धूल झोंका है और अब जब पूरी दुनिया चीन को तबाही का गुनहगार बता रहा है, तो चीन के अंदर भी खिलाफत में आवाज उठने लगी. आपको समझाते हैं कि कैसे?
'कोरोना गुनाह' पर घर में घिर गए जिनपिंग?
चीन के कोरोना सबसे बड़े पाप में शुमार कोरोना की प्लानिंग को लेकर असलियत का खुलासा करने वाले डॉक्टर की रहस्यमयी मौत हो गई. यानी सच सामने आने से पहले ही डॉक्टर की मौत को लेकर भी लोगों में भारी आक्रोश है. कोरोना के लेकर अपने ही मुल्क के खिलाफ सोशल मीडिया पर आवाज उठाने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है और मामला गरम होता जा रहा है. लोगों के साथ जिस तरह का रवैया अपनाया गया और उनपर जुल्म किया गया, उसे लेकर भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ भारी गुस्सा है.
इसके अलावा इस वायरस के मुद्दे पर पूरी दुनिया में जिस तरह से चीन अलग-थलग होता दिख रहा है, उससे भी हर कोई चिंतित हैं. साथ ही चाइना में बेरोजगारी की समस्या तेजी से बढ़ती ही जा रही है. बीते साल में आंकड़ों में 3 से 4 गुना इजाफा हुआ है, जो बेरोगारों की संख्या 2 करोड़ थी, अब ये आंकड़ा साल 2020 मार्च में 7-8 करोड़ तक बढ़ गया है.
जिनपिंग के खिलाफ 1 नहीं 5 'चक्रव्यूह' तैयार?
ज़ी मीडिया पर न्यूयॉर्क की ब्लॉगर ज़ेनिफेर ज़ेंग ने चीन के कोरोना पाप को लेकर कई बड़े खुलासे किए थे. ज़ेनिफर जेंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के झूठ और अपराधों का कई वर्षों से पर्दाफाश कर रही हैं.
चीन में ये एक बहुत ही बड़ा घटनाक्रम साबित हो सकता है क्योंकि शी जिनपिंग इस वक्त दुनिया भर से आलोचना झेलने के बाद बैकफुट पर माने जा रहे हैं. तो क्या चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के टोटल कंट्रोल के दिनों का अब काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
यहां आपको दो महीने पहले हुई एक घटना के बारे में जानना बहुत जरूरी है. 22 मार्च को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बुजुर्ग कैडर के उत्तराधिकारियों के जरिए चलाई जाने वाली संस्था प्रिसेंलिंग्स में खास मुद्दे को लेकर चर्चा की गई. बैठक का एजेंडा था जिनपिंग के बाद कौन ?
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हॉन्गकॉन्ग में विद्रोह को कुचलने से लेकर कोरोना काल में पाप छुपाने तक लेकर पूरी दुनिया शी जिनपिंग के इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे का क्रूर रूप देख चुकी है. पूरी दुनिया मिलकर आज नहीं तो कल कोरोना को हरा देगी लेकिन फिर चीन और शी जिनपिंग के खिलाफ जो अतंर्राष्ट्रीय मुहिम शुरू होगी, वो यकीनन एक बवंडर बन जाएगी. और अब चीन में ही उठ रहे बगावत के तेवर से चीन के राष्ट्रपति का चिंतित होना लाजमी है. क्योंकि ड्रैगन की सत्ता को लंबे अरसे के बाद घर से ही चुनौती मिली है.
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