नई दिल्ली. अगर कोरोना से मानवता बच भी गई तो उसके बाद आने वाले दो संकटों से दुनिया को कौन बचाएगा? मानवता पर मंडरा रहे दो बड़े संकटों के सामने कोरोना महामारी कुछ भी नहीं है. नॉम चोम्स्की ने दुनिया को अपनी चेतावनी से आगाह किया है कि कोरोना से भी बहुत बड़े दो संकट सारी दुनिया के अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं, इन पर क्या कोई सोच रहा है?
कौन हैं नॉम चोम्स्की
92 वर्षीय एवरम नोम चोम्स्की अमेरिका के प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, राजनैतिक विश्लेषक, लेखक तथा व्याख्याता हैं और वर्तमान में वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर हैं. चाम्सकी को जेनेरेटिव ग्रामर के सिद्धांत का प्रतिपादक एवं बीसवीं सदी के भाषाविज्ञान में सबसे बड़ा योगदानकर्ता, माना जाता है. आर्टस ऐंड ह्यूमैनिटिज साइटेशन इंडेक्स के अनुसार नॉम चाम्स्की आज तक किसी भी समयावधि में आठवे सबसे बड़े उद्धृत किये जाने वाले लेखक हैं.
दोनो आसन्न संकटों का क्या हल है?
प्रसिद्ध अमेरिकी भाषाविद और राजनीतिक विश्लेषक नॉम चोम्स्की का दावा है कि कोरोना महामारी के बाद या इसके साथ ही आ सकते हैं दो बड़े संकट जिनका फिलहाल इस दुनिया में कोई समाधान नहीं सोचा गया है. कोरोना इन दोनों वैश्विक संकटों के समक्ष कुछ भी नहीं है. चोम्स्की के अनुसार परमाणु युद्ध और ग्लोबल वार्मिंग हैं वे दो संकट हैं जो मानव सभ्यता के विनाश को न्योता दे सकते हैं.
''दोनों संकट दूर नहीं''
सबसे डरावनी बात चोम्स्की ने ये कही कि यद्यपि कोरोना वायरस महामारी काफी गंभीर समस्या है किन्तु वर्तमान समय में जिस तरह के वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक हालत से हो कर दुनिया गुजर रही है, ये दोनों बड़े संकट अब हमसे बहुत दूर नज़र नहीं आ रहे हैं. चोम्स्की ने कहा कि कोरोना महामारी से हम लोग उबर जाएंगे, किन्तु शेष दोनो बड़े खतरों से उबर पाना असम्भव होगा और ये दुनिया को तबाह कर डालेंगे.
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