नई दिल्ली: कंगाल मुल्क के नाकाम पीएम का एक और लाचार और बेबस फैसला सामने आया है. जी हां पाई-पाई का मोहताज पाकिस्तान, अब अपने एयरपोर्ट बेचने को मजबूर हो गया है. आर्थिक मोर्चे पर नेस्तोनाबूद हो चुका पाकिस्तान अब इतनी गर्त में चला गया है कि इमरान सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे भी नहीं बचे हैं.
हालत इतनी खस्ता है कि पाक पीएम इमरान खान को मुल्क के कायदे आजम कहे जाने वाले जिन्ना नाम की भी परवाह नहीं रही. और उन्होंने कराची का जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट गिरवी रखने का फैसला कर लिया.
मुल्क चलाने को बेचेगा जिन्ना एयरपोर्ट
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जमींदोज हो चुकी है. कर्मचारियों को सैलरी देने लायक भी पैसा इमरान सरकार के पास नहीं बचा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे में रोजाना का खर्च निकालने के लिए पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट को गिरवी रखकर तीन बैंकों से करीब 452 करोड़ डॉलर जुटाने का फैसला किया है.
पाकिस्तान में जो गिने जुने एयरपोर्ट्स हैं उनमें सबसे ज्यादा व्यस्त एयरपोर्ट कराची का जिन्ना एयरपोर्ट है. पाकिस्तान के सबसे व्यस्त इस एयरपोर्ट पर 2017-18 में करीब 67 लाख यात्रियों का आवागमन हुआ था. इस एयरपोर्ट की 1150 हेक्टेयर जमीन मीजान बैंक, बैंक ऑफ अलफलाह और दुबई इस्लामिक बैंक के पास गिरवी रखी जाएगी.
सरकारी संपत्ति को रखा गिरवी
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान सरकार को पैसों के लिए सरकारी संपत्ति गिरवी रखनी पड़ रही है. नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ के दौर में भी वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और दूसरी बाहरी संस्थाओं से कर्ज लेने की खातिर पाकिस्तानी सरकार ने पीटीवी और रेडियो पाकिस्तान की इमारतें गिरवी रख दी थीं. अब इमरान के इस फैसले से अवाम में भारी असंतोष है.
लोगों में गुस्सा इसलिए है कि इमरान से पहले भी ऐसा होता आया और इमरान भी वही कर रहे हैं, तो फिर अंतर क्या रहा? इससे पहले पाकिस्तानी सरकार पैसे की खातिर रोड तक को गिरवी रख चुकी है. हालांकि इस दफा एयरपोर्ट गिरवी रखने के फैसले को लेकर इमरान सरकार को अपने मुल्क में ही जबर्दस्त आलोचना झेलनी पड़ रही है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि नया पाकिस्तान बनाने का चुनावी वादा करके सत्ता में आए इमरान आज गिरवी वाले पुराने फॉर्मुले पर लौट चुके हैं. और अवाम इमरान खान को सत्ता सौंपने के अपने फैसले को कोस रही है.
सरकार ने आवाम की तोड़ी कमर
आज पाकिस्तान की इकॉनमी की हालत इस स्तर तक गिर चुकी है कि वहां चीनी से लेकर आटा और बिजली से लेकर गैस तक, जरूरत की हर चीज की कीमत आम आदमी की पहुंच से बाहर जा चुकी है. ऊपर से इमरान खान के फैसलों ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है.
आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक चार साल में पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 13 हजार करोड़ डॉलर हो जाएगा. यानी इमरान के सत्ता में रहते 36.3% कर्ज बढ़ जाएगा.
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अब देखना है कि एयरपोर्ट गिरवी रखने के फैसले तक ही इमरान खान सीमित रहते हैं या ये सिलसिला पाकिस्तान को और रसातल में लेकर जाएगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. लेकिन विजन के अभाव में इमरान बुरी तरह फ्लॉप रहे हैं.
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