पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी ऑफ जेहाद', Terrorist Factory of नियाजी

पाकिस्तान के पेशावर में यही वो हक्कानी मदरसा है जिसकी नींव पाकिस्तान के वजूद में आने के 1 महीने बाद पड़ गई थी. तब से ये मदसरा पाकिस्तान में आतंक की सबसे बड़ी फैक्ट्री बनकर उभरा है. जहां आतंकियों की मैन्यूफैक्चरिंग होती है और एक्सपोर्ट होता है अफगानिस्तान में.

Written by - Sandeep Singh | Last Updated : Nov 20, 2020, 03:45 PM IST
  • खैबर सूबे की सरकार ने हक्कानिया मदरसा को 30 करोड़ रुपए की फंडिंग की थी.
  • पाकिस्तान सरकार ने 4 साल पहले इस मदरसे को 30 करोड़ रुपए की मदद दी थी.
  • पाकिस्तान के मदसरों में 22 लाख से ज्यादा गरीब बच्चे पढ़ते हैं
  • महज 8 लाख बच्चे इंगलिश मीडियम की तालीम हासिल कर पाते हैं.
पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी ऑफ जेहाद',  Terrorist Factory of नियाजी

नई दिल्लीः दुनियाभर के स्कूल और कॉलेजों में शिक्षित, और कामयाब इंसान बनने की तालीम दी जाती है लेकिन पाकिस्तान के मदरसों में आतंकी बनने की ट्रेनिंग दी जाती है. पाकिस्तान में एक ऐसा ही मदरसा है, जहां से निकले दर्जनों छात्र तालिबान और अलकायदा के खूंखार आतंकी बने और बाद में बेमौत मारे गए.

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा में स्थित हक्कानिया मदरसा में उन आतंकियों का नाम बड़े फख्र से लेकर उनकी दहशतगर्दी की करतूतों को जेहादी किस्सों के तौर पर सुनाया जाता है जो इस मदरसे से आतंक की तालीम लेकर निकले थे. इस मदरसे को पाकिस्तान की सरकार भी भरपूर फंडिंग करती है.

बंटवारे के साल ही पड़ गई थी आतंक की फैक्ट्री की नींव 
पाकिस्तान के पेशावर में यही वो हक्कानी मदरसा है जिसकी नींव पाकिस्तान के वजूद में आने के 1 महीने बाद पड़ गई थी. तब से ये मदसरा पाकिस्तान में आतंक की सबसे बड़ी फैक्ट्री बनकर उभरा है. जहां आतंकियों की मैन्यूफैक्चरिंग होती है और एक्सपोर्ट होता है अफगानिस्तान में. तालिबानी लड़ाकों की एक बड़ी फौज इसी मदरसे निकली हुई है. ये मदरसा हर साल 4000 छात्रों को आतंक की ट्रेनिंग देता है. 

जब शर्म से गर्दन झुकाए मौलाना समी के साथ बैठा रहा कुरैशी
2017 में जेहादी मदरसा चलाने वाले मौलाना समी उल हक ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के सामने ही खुलकर कहा था कि कश्मीर को आजादी फौज नहीं दिला सकती लेकिन उसके मदरसा के जेहादी छात्र दिला सकते हैं.

मौलाना समी जिस वक्त जेहाद की बातें कर रहा था, उस वक्त कुरैशी का सिर शर्म से झुक गया था और वो तब तक अपनी गर्दन झुकाए बैठा रहा, जब तक मौलाना जेहाद के कसीदे पढ़ता रहा.

इमरान खान भी हक्कानिया मदरसा के संचालक के मुरीद
पाकिस्तान में फादर ऑफ तालीबान के नाम से कुख्यात मौलामा समी और इमरान सरकार की गलबहियां 2017 में दुनिया ने देखी थी. जेहाद के नाम पर हजारों बेगुनाहों का खून बहाने वाले मौलाना समी की 2018 में चाकू मारकर हत्या कर दी गई. तब इमरान सरकार ने समी की मौत को पाकिस्तान का बड़ा नुकसान बताया था क्योंकि इमरान खान भी हक्कानिया मदरसा और मौलाना समी के मुरीदों में से एक है. 

पाकिस्तान का पीएम बनने से पहले इमरान ने मौलाना समी की तारीफ करते हुए कहा था हक्कानिया मदरसे की बदौलत ही पाकिस्तान सरकार पोलियो ड्रॉप्स पिलाने का अभियान चला पाई, क्योंकि तालिबानी आतंकी पोलियो ड्रॉप्स को गैर इस्लामी मानते हुए ड्रॉप्स पिलाने वाले कार्यकर्ताओं को मार देते थे लेकिन जब खैबर पख्तूनवा में इमरान की पार्टी वाली सरकार ने मौलाना समी से मदद मांगी तब उसने अपने तालिबानी लड़ाकों को पोलियो वर्करों को मारने से रोक दिया. बदले में खैबर सूबे की सरकार ने हक्कानिया मदरसा को 30 करोड़ रुपए की फंडिंग की थी.

पाकिस्तान में गरीबी की वजह से 22 लाख बच्चे मदरसों में पढ़ने को मजबूर 
पाकिस्तान के मदसरों में 22 लाख से ज्यादा गरीब बच्चे पढ़ते हैं जबकि महज 8 लाख बच्चे इंगलिश मीडियम की तालीम हासिल कर पाते हैं. इन गरीब बच्चों को इस्लामिक कट्टरपंथ की तालीम दी जाती है और जेहादी बनाकर दहशतगर्दी फैलाने के लिए काबुल से कश्मीर तक भेजा जाता है. पाकिस्तान सरकार ने 4 साल पहले इस मदरसे को 30 करोड़ रुपए की मदद दी थी.

ये खूंखार आतंकी थे यूनिवर्सिटी ऑफ जेहाद के प्रोडक्ट
पाकिस्तान में दशकों से गरीब परिवारों के बच्चों को जेहादी बनाते आया है ये हक्कानिया मदरसा. जरा नजर डालिए यहां से निकले खूंखार आतंकियों की एक सूची पर

नाम- समी उल हक
पहचान- हक्कानिया मदरसा के फाउंडर का बेटा और पाक में तालिबान नेटवर्क का हेड
अंजाम- 2018 में हत्या

नाम- हामिक उल हक़ हक्कानी
पहचान- समी उल हक का बेटा और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम का चीफ

नाम- मौलवी मोहम्मद यूनूस खालिस
पहचान- मुजाहिद्दीन कमांडर
अंजाम- 2006 में अमेरिकी हमले में मारा गया

नाम- सिराजुद्दीन हक्कानी
पहचान- मोस्ट वांटेड आतंकी
आरोप- अफगानिस्तान में कई आतंकी हमलों का मास्टमाइंड

नाम- मुल्ला अख्तर मंसूर
पहचान- अफगान तालिबान का लीडर
अंजाम- अमेरिका ने 2016 में ड्रोन हमले में मार गिराया

नाम- आसिम उमर
पहचान- भारत में अल कायदा का चीफ
अंजाम- सितंबर 2019 में अमेरिकी हमले में मारा गया

नाम- मुल्ला उमर
पहचान- अफगान तालिबान का चीफ
अंजाम- 2013 में अमेरिकी हमले में मारा गया

इतना ही नहीं, हक्कानी नेटवर्क का सरगना जलालुद्दीन हक्कानी भी यहां से आतंकी तालीम हासिल कर चुका है. पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या में अकोरा की इसी हक्कानी यूनिवर्सिटी के आतंकियों का हाथ बताया जाता है.

करीब सभी बड़े तालिबानी नेता किसी ना किसी दौर में दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा से ही आतंकी तालीम हासिल कर निकले हैं. हक्कानिया मदरसा का संस्थापक मौलाना अब्दुल हक जब ज़िंदा था तब उसने बाकायदा फतवा जारी कर अफगान में रूस और अमेरिकी फौज के खिलाफ जेहाद का समर्थन किया था.

इसी आतंकी यूनिवर्सिटी में ओसामा के ख़ास और तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर को हक्कानिया में डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी दी गई थी.

तालिबान और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों के आतंकी इसी हक्कानिया मदरसे की पैदाइश हैं जिसे इमरान सरकार पाल पोस रही है. इन्हीं वजहों से पाकिस्तान यूएन के FATF में ब्लैकलिस्टेड भी हो चुका है, फिर भी नियाजी इमरान खान अपनी आतंकपरस्त नीतियों में सुधार करने के बजाय आतंकियों की इस फैक्ट्री को पूरा संरक्षण दे रहा है. 

यह भी पढ़िएः Afghanistan ने भी आतंकवाद पर पाकिस्तान के डोजियर का किया विरोध

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