सैटेलाइट इमेज से खुलासा: डोकलाम के पास चीन ने खड़ा किया बुनियादी ढांचा, जानें विवाद

पैंगोंग में चीन की करतूत सामने आने के बाद सैटेलाइट इमेज के जरिए बहुत बड़ा खुलासा हुआ है. डोकलाम पर चीन की एक और चाल बेनकाब हो गई है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 31, 2020, 06:51 PM IST
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    • क्यों सुधरने के लिए तैयार नहीं है चीन?
    • क्यों भारतीय सेना को उकसा रहा चीन?
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सैटेलाइट इमेज से खुलासा: डोकलाम के पास चीन ने खड़ा किया बुनियादी ढांचा, जानें विवाद

नई दिल्ली: चीन (China) की चालबाजी थमने का नाम नहीं ले रही हैं, एक के बाद एक लगातार षड्यंत्रकारी नीति का इस्तेमाल करके चीन भारत को उकसाने का काम कर रहा है. इस बीच सैटेलाइट तस्वीरों (Satellite images) के जरिए एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है.

सैटेलाइट इमेज से डोकलाम पर बड़ा खुलासा

सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि डोकलाम (Doklam), भूटान के पास चीन ने बुनियादी ढांचा खड़ा किया है. संदिग्ध PLA हेलिपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर (Heliport Infrastructure) भारत के डोकलाम क्षेत्र के आसपास देखा गया है.

वहीं पैंगोंग में भी चीन की गंदी नीति सामने आई है, लेकिन फिलहाल आपको डोकलाव विवाद पर पूरी जानकारी दे देते हैं. 2017 में डोकलाम विवाद के बाद ही से एलएसी पर हमेशा से ही भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने वाली स्थिति में रहती हैं. डोकलाम के पहले भी 2013 और 2014 में चुमार में ऐसी घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें चीन और भारत के बीच भिड़ंत या हाथापाई की खबरें आयी.

लेकिन, इस साल अप्रैल से ही लद्दाख बॉर्डर यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन की तरफ से सैनिक टुकड़ियों और भारी वाहनों की मात्रा दी गयी.

असल में डोकलाम विवाद आखिर है क्या?

भारत-चीन और भूटान की सीमा पर सिक्किम के पास डोकलाम है. भूटान और चीन दोनों इस इलाके पर अपना दावा करते हैं. भूटान और चीन में कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं.

1949 और 2007 में भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई, जिसके मुताबिक भूटान को रक्षा और विदेश नीति पर भारत राजनयिक और सैन्य सहयोग करेगा.
चीन और भूटान के बीच डोकलाम में शांति बनाने को लेकर दो बार समझौता भी हो चुका है. इसके बावजूद चीन डोकलाम में मनमानी करता रहा है. अब ज़रा समझिए कि डोकलाम पर चीन का दावा क्या है?

डोकलाम पर क्या है चालबाज चीन का दावा?

चीन का कहना है कि डोकलाम नाम का इस्तेमाल तिब्बती चरवाहे पुराने चारागाह के रूप में करते थे. चीन का ये भी दावा है कि डोकलाम में जाने के लिए 1960 से पहले तक भूटान के चरवाहे उसकी अनुमति लेकर ही जाते थे.

असल में इसको लेकर कोई सबूत चीन के पास नहीं है. हालांकि जानकार बताते हैं कि डोकलाम पर चीन की नज़र गड़ाने की वजह कुछ और है. डोकलाम पर दावा कर चीन असल में हिंदुस्तान की चिकन नेक तक पहुंचने की फिराक में है.

अगर डोकलाम के इलाके में चीन का वर्चस्व कायम हो गया तो ड्रैगन बड़ी आसानी से चिकन नेक इलाके में बढ़त ले लेगा. युद्ध की स्थिति में चीन अगर डोकलाम में अपनी तोप तैनात करता है तो उसके जद में भारत का चिकन नेक इलाका आ जाएगा. वो आसानी से पूर्वोत्तर को भारत के बाकी हिस्सों से काट देगा.

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यानी दोनों देशों के देशों के लिए सामरिक दृष्टि से डोकलाम अहम है. चीन की चाल को हिंदुस्तान भी अच्छी तरह जानता है, यही वजह है कि भारत भी डोकलाम पर डटा हुआ है. लेकिन इस सैटेलाइट इमेज के सामने आने के बाद चीन के चरित्र को समझना आसान हो गया है.

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