नई दिल्ली. यदि सदियों से इस अमेरिकी शहर का नाम स्वस्तिक है तो ज़ाहिर है कि भारत और अमेरिका के बीच सदियों से आनाजाना रहा है. अब अमेरिका के इस शहर की बात करें तो यह भारतीय धर्म परम्परा के प्रतिनिधि चिन्ह स्वस्तिक का प्रतिनिधित्व करता है. लेकिन जब दूसरा विश्वयुद्ध हुआ तो उसके बाद होने लगा अमेरिका में इसका विरोध.
नाजियों ने भी लिया था स्वस्तिक
दूसरे विश्वयुद्ध में खलनायक की भूमिका में था जर्मनी. अपनेआपको आर्यन कहने वाले जर्मनी के लोगों का राजनीतिक दल नाजी भारत से इतना प्रभावित प्रतीत हुआ कि इस दल ने स्वस्तिक को अपना राजनीतिक चिन्ह बना लिया था. यही कारण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका के शत्रु जर्मनी की नाजी पार्टी का प्रतीक चिन्ह होने के कारण इस नाम का अमेरका में विरोध हुआ.
न्यूयॉर्क के पास है स्वस्तिक सिटी
स्वस्तिक नामक यह शहर न्यूयार्क महानगर के पास है. इस शहर के लोगों को सदियों पहले से रखे गये इस नाम से प्यार है. इसलिये नाजी प्रतीक चिन्ह कह कर विरोध किये जाने का स्वस्तिक शहर के लोगों ने विरोध किया. इस नाम को हटाने के लिये वोटिंग की मांग करके जनता की राय मांगी गई और मजे की बात यहां की जनता ने इस नाम के समर्थन में वोटिंग की. इससे बड़ी बात ये रही कि स्वस्तिक के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा.
प्रशासन ने भी किया समर्थन
शहर का प्रशासन सम्हाल रहे ब्लैक ब्रुक टाउ बोर्ड ने सर्वसम्मति से 'स्वस्तिक' नाम नहीं बदलने के लिये अपना वोट दिया. बोर्ड के निदेशक जॉन डगलस ने बताया कि यह नाम सन 1800 में रखा गया. स्वस्तिक नाम संस्कृत के शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ 'कल्याण' होता है. किन्तु बाहर के लोग जो हमारी संस्कृति नहीं जानते वे इसका विरोध करते हैं.
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