सुशांत मर्डर से ध्यान हटाने के लिये आई दाऊद की धमकी वाली खबर?

ऐसी स्थिति में जब तीन-तीन राष्ट्रीय जांच एजेंसियां और देश भर का मीडिया पीछे पड़ा है सुशांत मामले की जांच के, तब अगर ध्यान हटाने के मकसद से उड़ाई गई है ऐसी खबर तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है..

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Sep 7, 2020, 04:49 AM IST
    • फोन दाऊद का नहीं गुर्गे का था?
    • अब अचानक बम से उड़ाने की धमकी?
    • लैंडलाइन पर किया फोन?
    • कॉलर ने नाम भी नहीं बताया?
    • कॉल करने वाले का फोन नंबर क्या है?
    • बाला साहेब की याद दिलाने की कोशिश
सुशांत मर्डर से ध्यान हटाने के लिये आई दाऊद की धमकी वाली खबर?

नई दिल्ली.  ये मुंबई के पॉश बांद्रा इलाके में स्थित महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के घर 'मातोश्री' की खबर है जो इतनी चौंकाने वाली नहीं है कि जांच एजेंसियां या मीडिया सुशांत को न्याय दिलाने का काम रोक कर 'मातोश्री' पर फोकस करेगा. जिस दाऊद इब्राहिम को उद्धव के पिता बाला साहेब ठाकरे ने मुंबई से क्या पूरे इंडिया से साफ़ कर दिया था, वो अब अचानक सो कर जागा है और उसने अपने चमचे से कह कर सीधे मातोश्री में फ़ोन लगा डाला? ये बात हजम करने लायक कम है.

फोन दाऊद का नहीं गुर्गे का था

दाऊद की सीधी टक्कर बाला साहेब के परिवार से है. ऐसे में अगर किसी भी ऐरे-गैरे से फोन करवा दिया जाए और प्रचारित किया जाए कि मातोश्री में दाऊद के यहां से फोन आया था, तो ये बहुत हास्यास्पद तरीका है ध्यान आकर्षित करने का या मुंबई में किसी बड़े मसले से ध्यान भटकाने का. शनिवार की रात ग्यारह बजे किसी निकम्मे की बजाये उद्धव के लिए दाऊद का फोन आता तो कोई और बात होती. 

अब अचानक बम से उड़ाने की धमकी?

दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु भी इस खबर को संदेहों के दायरे में लेता है, वो ये है कि अचानक बरसों के बाद दाऊद का गुर्गा फोन करके कहता है कि मातोश्री को बम से उड़ा देंगे? ये बात भी हजम नहीं हुई. कोई बात होती, कोई मुद्दा होता या किसी बात का बदला लेने की मंशा होती तो बात समझ में भी आती है. इस फ़ोन वाली धमकी का होमवर्क भी कच्चा ही लगता है. जहां तक मातोश्री की सुरक्षा बढ़ाने का प्रश्न है वो तो खुद ही मुख्यमंत्री जी अपनेआप बढ़ा सकते थे. 

लैंडलाइन पर किया फोन 

ये इस खबर का और भी बड़ा हास्यास्पद बिंदु है. मोबाइल के युग में लैंडलाइन पर फोन आना तो यही जाहिर करता है कि फोन करने वाले ने फोन करने के मकसद से फोन नहीं किया. उसकी बात करने की कोई मंशा थी ही नहीं, इसलिए लैंडलाइन पर फोन किया ताकि बात न हो पाए. और 'बात' भी बन जाए. सब जानते हैं कि लैंडलाइन फोन घर वाले नहीं उठाते, नौकर चाकर या कर्मचारी उठाते हैं. इसका अर्थ है बात नहीं करनी थी बस फोनकॉल का दिखावा करना था. ये दिखावा घर वालों ने किया या बाहर वालों  ने?

कॉलर ने नाम नहीं बताया

ये भी हैरान करने वाली बात है. फोन करने वाले ने अपना नाम नहीं बताया और उद्धव ठाकरे से बात कराने की मांग कर डाली. जब फोन करने की हिम्मत है तो नाम बताने की क्यों नहीं. बिना नाम बताये तो लल्लू लाल या पप्पू पंचर का भी फोन आ सकता है कि मुख्यमंत्री जी से बात करनी है, दाऊद के घर से बोल रहा हूं. क्या बोलने वाले को नाम बताने में शर्म आ रही थी या डर लग रहा था?

फोन नंबर क्या है?

अगर फोन आया तो वह कौन सा फोन नंबर था जिससे फोन आया था? क्या इसकी जांच हो रही है कि फोन मुंबई के ही भिंडी बाजार से आया था या सचमुच कराची से आया था? इस विशेष जांच पर खामोशी क्यों है? ये जांच हो रही है या नहीं? यदि हो रही है तो कौन कर रहा है ये जांच? क्या इसका काम भी परमवीर सिंह को ही दिया गया है?

बाला साहेब की याद दिलाने की कोशिश

दाऊद के फोन की बात कह कर बाला साहेब ठाकरे की याद दिलाई जा रही है जनता को ताकि सबके मन के भाव मातोश्री वालों के लिए आदर-सम्मान से भर जाएं और लोगों को ठाकरे कुल का ऐतिहासिक गौरव स्मरण हो जाए. इससे ये लाभ भी होगा कि परोक्ष या अपरोक्ष आरोप जो उद्धव ठाकरे पर लग रहे हैं, वे अर्थहीन महसूस होने लगें. हिंदुत्व के धुरंधर पिता के नाम का फायदा अब कहां मिलेगा जब आप हिंदुत्व को ही तिलांजलि दे चुके हैं? 

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