रूस की राजनीति में उस घातक जहर की कहानी, जिसका शिकार नावेलनी बने हैं

रूस की राजनीति प्राचीन काल से ही जहर भरी रही है. हालांकि सत्ता जहां होती है साजिश अपने आप वहां अपनी जगह बना ही लेती है. एलेक्सी नावेलनी जो कि पुतिन के धुर विरोधी हैं उन्हें चाय में जहर दिए जाने की बात सामने आई है. इसके बाद एक बार फिर से दुनिया भर में रूस में राजनीति के विरोधी रही शख्सियतों की जहरीली रहस्यमय मौत सामने आने लगी है. 

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Sep 3, 2020, 12:19 PM IST
    • रूस में सत्ता के विरोधी कई लोगों को जहर देकर रास्ते से हटाया गया है
    • पुतिन साल 2000 तक रूस की खुफिया एंजेसी KGB में थे
    • बाद में KGB टूटकर FSB बन गई
    • KGB के पूर्व एजेंट कर्नल एलेक्सजेंडर लिट्विनेको को भी जहर दिया गया था
रूस की राजनीति में उस घातक जहर की कहानी, जिसका शिकार नावेलनी बने हैं

नई दिल्लीः साल 1530. तकरीबन 500 साल पहले पूरी दुनिया में ही सभ्यता, संस्कृति और राजसत्ता उथल-पुथल के दौर से गुजर रही थी. रूस इससे अलग नहीं था, सत्ता का संघर्ष मॉस्को के महल में बैठे वासिली तृतीय के भी साथ कदमताल कर रहा था.

कभी कोई खुफिया हमला, कभी साजिश तो कभी अपनों की दगाबाजी. इनसे जूझते-बचते वासिली एक बेटे का बाप बन चुका था, नाम रखा इवान चुतुर्थ. यानी तय रहा कि मॉस्को की गद्दी को उत्तराधिकारी मिल गया है. 

रूस का जार शाही शासन का जहरीला अंत
साल दो साल बीतते देर न लगी और जब इवान 3 साल का था, उसके बाप वासिली को जहर देकर मार दिया गया. आठ साल की उम्र में इवान की मां भी जहर की मौत मारी गई. 13 साल की उम्र तक आते-आते खुद इवान भी अपने ऊपर इतने हमले झेल चुका था कि वह किशोर वय से ही क्रूर हो गया.

इसके बाद 16 साल की उम्र में इवान की ताजपोशी से शुरू हुई रूस में जार शाही की क्रूरता जो कई सालों तक चली, लेकिन एक दिन जार इवान को भी भोजन में जहर दे दिया गया. जहर इतना तेज था कि उसका तंत्रिका तंत्र बिल्कुल निष्क्रिय हो गया. जार इवान चतुर्थ मारा गया. 

एक बार फिर जहरीला इतिहास सामने है
500 साल पुरानी रूसी इतिहास की यह पुरानी दास्तान एक बार भी इतिहास के पन्नों से निकलकर बाहर आ गई है. जब अखबारों और मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं कि पुतिन के धुर विरोधी नेता एलेक्सी नवेलनी को चाय में जहर दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें घातक जहर नोवोचोक दिया गया है. सोवियत संघ का इतिहास के पन्ने जब भी पलटे जाएंगे, इसके कागज ऐसी ही घातक जहर से बुझे हुए मिलेंगे. 

राजनीति का हिस्सा रहा है जहर दिया जाना 
रूस की राजनीति में जहर के शामिल होने की बात नई नहीं है. विरोधियों को जहर दे दिया जाना यहां राजनीति का हिस्सा जैसा रहा है. कई बार जहर दिया जाना एक रहस्य ही बन जाता है. बहुत पुरानी बात नहीं है, जब अमेरिका में रह रहे एक चर्चित पुतिन विरोधी एक्टिविस्ट व्लादीमिर कारा मुर्ज़ा ने भी दावा किया था कि उन्हें साल 2015 और 2017 में जहर दिया गया था.  उनके ज़हर दिए जाने के दावे एक रहस्य बने हुए हैं. 

2006 में मारी गईं पत्रकार एना
एना पोलितकोव्सकाया की साल 2006 में गोली मारकर हत्या की गई थी. एना रूस की खोजी पत्रकार थीं और पुतिन की नीतियों की धुर आलोचक रही हैं. एना की हत्या को अंजाम देने से पहले उन्हें कई बार मारने और जानलेना हमलों के जरिए धमकाने की कोशिश की गई थी.

दावा किया जाता है कि उन्हें भी साल 2004 में एक उड़ान के दौरान ज़हर दिया गया था.

नोवोचोक जहर से रूसी जासूस सर्जई स्करीपाल को मारा गया
जिस नोवोचोक जहर को एलेक्सी को दिए जाने की बात सामने आ रही है, उससे सबसे घातक मौत रूसी जासूस सर्जई स्करीपाल को दी गई थी. यह घटना महज दो साल पुरानी है. 2018 में ब्रिटिश शहर साल्सबेरी में उनकी हत्या की गई थी.

सर्जई इस वक्त ब्रिटेन के डबल एजेंट बन गए थे. उनकी बेटी यूलिया को भी नोवोचोक जहर देकर मार दिया गया था. इसका जांच में बकायदा खुलासा हुआ था, लेकिन जहर किसने दिया, ये कभी सामने नहीं आया. 

लिट्विनेको को भी जहर देकर मारा गया 
पुतिन जो अब रूसी राष्ट्रपति हैं. साल 2000 तक वह अपनी CV में रूस की खुफिया एंजेसी KGB का जिक्र करते थे. बाद में KGB टूटकर FSB बन गई और पुतिन राष्ट्रपति. इसी KGB के पूर्व एजेंट कर्नल एलेक्सजेंडर लिट्विनेको थे, जो कि बगावत करके लंदन चले गए थे.

यहां आने के छह साल बाद उन्हें बेहद दर्दनाक मौत नसीब हुई. लिट्विनेको को चाय में पोलोनियम-210 मिलाकर दिया गया था. दबी जुबान में कहा जाता रहा है कि रूसी एजेंसी ने पुतिन के निर्दशन पर ही यह घातक कदम उठाया है, लेकिन रूस इससे हमेशा की तरह इनकार करता रहा.

एक खास बात यह भी है कि लिट्विनेको ने एक पत्रकार वार्ता में कहा था कि FSB सोवियत दौर की खुफिया मॉस्को विष प्रयोगशाला को आज भी चला रही है. 

सोवियत दौर का जहर कहा जाता है नोवोचोक
सोवियत दौर का जहर, यह नाम आते ही नोवोचोक इसीलिए करंट की तरह याद आता है क्योंकि सोवियत दौर के विरोधियों को मारने-दबाने और राह से हटाने के लिए इसी जहर का इस्तेमाल खूब किया गया है. यह धीमे-धीमे असर डालता है और तंत्रिका तंत्र को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर देता है.

एक तथ्य यह भी है कि अधिकतर बार जहर विमान यात्रा में दिया गया और चाय के जरिए दिया गया. इसकी वजह यह विमान यात्रा के दौरान जहर दिए जाने से पीड़ित हवा में ही फंसा रह जाता है और अपराधी को भागने का समय मिल जाता है. 

ऐसे काम करता है नोवोचोक जहर
नोवोचोक जहर दिमाग की मांसपेशियों के लिए रसायनिक सिग्नलों में गड़बड़ी करके शरीर में ऐंठन पैदा करता है, सांस टूटने लगती है, दिल की धड़कन गिरने लगती है.

नावालनी की प्रवक्ता ने शक ज़ाहिर किया है कि उन्हें ये ज़हर टोम्स्क एयरपोर्ट पर ब्लैक टी के उस कप में दिया गया होगा जो उन्होंने फ्लाइट में सवार होने से कुछ देर पहले एक कैफ़ै में पी थी.

यह भी पढ़िए-Alexei Navalny को दिया गया घातक जहर नोवोचोक, रिपोर्ट में खुलासा

3 दिन के रूस दौरे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीन पर कितनी भारी पड़ेगी दोस्ती?

 

ट्रेंडिंग न्यूज़