रूस के साथ हथियार सौदा भारत-अमेरिका संबंधों पर भारी पड़ सकता है

दो साल पहले रूस के साथ की गई हथियार डील आज भारत के लिए विचारणीय प्रश्न बन गई है. अमेरिका ने कहा है कि यदि भारत ने रूस के साथ किये गए इस सौदे को खारिज नहीं किया तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है..   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 22, 2020, 10:09 AM IST
    • एस-400 मिसाइल प्रणाली की डील है रूस के साथ
    • रूस से शस्त्र खरीदी के खिलाफ है काटसा कानून
    • व्यापारिक रिश्ते सुरक्षित रखना चाहता है अमेरिका
रूस के साथ हथियार सौदा भारत-अमेरिका संबंधों पर भारी पड़ सकता है

नई दिल्ली.  यह स्थिति एक विचारणीय प्रश्न है भारत की मोदी सरकार के लिये.  अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक को कहना है कि रूस से कई अरब डॉलर के हथियार सौदे के कारण अभी भी भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध लगायेे जा सकते हैं. इतना ही नही्उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब भारत को प्रौद्योगिकियों के लिए रणनीतिक प्रतिबद्धता दर्शानी होगी.

एस-400 मिसाइल प्रणाली की डील है रूस के साथ

भारत ने करीब दो साल पहले 2018 में रूस के साथ वेपन डील पर दस्तखत किये थे जिसके अंतर्गत भारत ने रूस से पांच अरब डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदना तय किय था. यद्यपि उस समय भी भारत को अमेरिका ने सौदा रोकने के लिये चेतावनी दी थी, अब अमेरिका के उसी विरोध को आगे बढ़ाते हुए अमेरिका की उप सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने भारत को चेताया है कि यदि भारत इस सौदे पर आगे बढ़ेगा तो उसे अमेेरिका के काटसा कानून के अंतर्गत अमेरिकी प्रतिबंध झेलने होंगे. 

रूस से शस्त्र खरीदी के खिलाफ है काटसा कानून 

अमेरिका में काटसा कानून रूस के खिलाफ तैयार किया गया है. इस कानून के अंतर्गत हर वह देश जो रूस से हथियार खरीदी करते हैं उन पर अमेरिका की दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है. हाल ही में जब भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने एक सवाल एलिस वेल्स से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह कानून अभी भी लागू है. 

 

 व्यापारिक रिश्ते सुरक्षित रखना चाहता है अमेरिका

एलिस वेल्स ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका व्यापारिक रिश्ते सुरक्षित रखना चाहता है क्योंकि अमेरिका के लिये द्विपक्षीय रिश्तों का अहम हिस्सा व्यापार है. दोनो देशों के बीच  पिछले साल लगभग 150 अरब अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. और यह दोनो देशों के बीच व्यापार सौदे की संभावना अभी भी बनी हुई है. 

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