संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका-चीन टकराव

जैसा कि प्रत्याशित था, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने जहरीले चीन को हांगकांग के मुद्दे पर घेरा और अमेरिका के साथ आया ब्रिटेन. उधर चीन ने भी किया पलटवार और उसके साथ नजर आया रूस..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 31, 2020, 11:33 PM IST
    • संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और ब्रिटेन ने किया चीन पर हमला
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बनी अखाड़ा
    • चीन का विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून मुद्दा उठाया गया
    • अमेरिका और ब्रिटेन ने बुलाई थी आपात बैठक
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका-चीन टकराव

नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई यह तकरार जो कि कदापि अप्रत्याशित किसी  के लिए नहीं थी.  अमेरिका और ब्रिटेन ने हांगकांग मुद्दा उठा और चीन पर हमलावर हुए तो बदले में चीन ने भी अपना होमवर्क पूरा किया था, चीन ने मिनियापोलिस को लेकर अमेरिका पर गोले दागे..

 

सुरक्षा परिषद बनी अखाड़ा

दुनिया का सबसे बड़ा खलनायक आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में घेरा गया. चीन को अमेरिका और ब्रिटेन ने मिल कर हांगकांग का मामला उठाते हुए परिषद से इस मुद्दे पर बैठक करने की अपील की. इसके जवाब में चीन ने भी यूनाइटेड नेशंस से अपील की कि उसे ब्रेक्सिट और मिनियापोलिस हिंसा पर गौर करना चाहिए. 

विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून मुद्दा उठा  

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस आपात चर्चा में अमेरिका और ब्रिटेन एक दूसरे के साथ आये और दोनों ने मिल कर चीन को हांगकांग मामले पर लपेटा. परिषद में चीन के विवादास्पद सुरक्षा कानून का मुद्दा उठाया गया जिसने चीन को रुष्ट किया. बदले में चिढ़े हुए चीन ने संयुक्त राष्ट्र को सलाह दे डाली संगठन को अमेरिका के मिनियापोलिस में हो रही हिंसा पर गौर करना चाहिए. चीन ने अमेरिका पर अश्वेत समुदायों के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाया.

 

अमेरिका और ब्रिटेन ने बुलाई थी आपात बैठक 

 अमेरिका और ब्रिटेन ने पंद्रह सदस्यों की यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की आपात बैठक बुलाई थी. इस ऑनलाइन बैठक में संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा कि मैं परिषद से सवाल कर रही हूँ कि क्या हम स्वतंत्रता पसंद करने वाले दूसरे लोगों की तरह हॉन्ग-कॉन्ग के लाखों लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने जा रहे हैं? क्या हम उनके गरिमापूर्ण जीवन का बचाव करने के लिए कोई मानवीय रुख अपनाने जा रहे हैं ? अथवा हम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने देंगे और उसे हांगकांग के नागरिकों  पर जबरदस्ती करने देंगे जबकि वहां के नागरिक अपनी स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए हमारी तरफ देख रहे हैं?

ये भी पढ़ें. नेपाल की जिद: संशोधन बिल हुआ पेश

ट्रेंडिंग न्यूज़