नई दिल्ली. ईरान और अमेरिका की तनातनी बिलकुल उसी तरह गंभीर हो रही है जिस तरह चीन और ताइवान की. पहले भी ईरान के विरुद्ध अमेरिका के प्रतिबंध जारी थे अब और भी प्रतिबंधों का दायरा बढ़ा दिया गया है जो ईरान के लिए भारी पड़ रहा है. हालत ये है कि ईरान की लोकल करेंसी अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है.
ईरान की तेल-विक्रय क्षमता गिरी
आज हालत ये है कि वैश्विक स्तर पर ईरान की तेल विक्रय क्षमता में कमी आई है. और इसकी सीधी वजह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का दबाव है. यद्यपि ईरान के राष्ट्रपति ने अमेरिका के प्रयासों को नकार दिया है और कहा है कि अमेरिका के प्रतिबंधों से ईरान को कोई फर्क नहीं पड़ता है. किन्तु इस प्रश्न का उनके पास भी उत्तर नहीं है कि वे जो कह रहे हैं यदि वह सच है तो रियाल में डॉलर के मुकाबले 30 फीसद की गिरावट कैसे आ गई है.
न्यूनतम स्तर पर है मुद्रा
अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण आज ईरान की वैश्विक स्तर पर तेल बेचने की क्षमता में गिरावट देखी जा रही है और ईरान माने या न माने, एक बड़ी वास्तविकता आज उसकी लोकल करेंसी में आ रही गिरावट भी है. आज की तारिख में ईरानी करेंसी अपने सबसे निचले पायदान पर है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था. फिर भी आर्थिक दबाव के कारण ईरान के राष्ट्रपति यूएन प्रतिबंधों पर सभी अमेरिकी प्रयासों को खारिज कर रहे हैं.
माइक पोम्पियो ने की घोषणा
एक तरफ तो ईरान की अकड़ उसके लिए घातक सिद्ध हो रही है, दूसरी तरफ उसकी स्थानीय मुद्रा अपने न्यूनतम स्तर पर गोता खा रही है. अमेरिका अपनी जिद पर अड़ा है और ईरान को सबक सिखाने के लिए कमर कसे खड़ा है. इसकी मिसाल के तौर पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक 75वें सत्र के दौरान ईरान पर यूएन प्रतिबंधों को फिर से बहाल करने की घोषणा कर दी है.
ये भी पढ़ें. Rajya Sabha में गुंडई: उत्पाती सांसदों के विरुद्ध पर्याप्त नहीं है कार्रवाई