इस्लामाबादः भारत-चीन और पाकिस्तान से तनाव वाले माहौल के बीच गुरुवार को POK में एक अलग ही नजारा दिख रहा था और अलग ही आवाज आ रही थी. भारत के खिलाफ, अक्सर चीन को पाकिस्तान का खैरख्वाह बनने की कोशिश करते देखा जा सकता है, हालांकि चीन की यह कवायद पाक को टुकड़े डालने से अधिक कुछ नहीं,
लेकिन बुधवार-गुरुवार को POK (यानी पाक अधिकृत कश्मीर) से जो आवाज बुलंद हो रही थी वह जाहिर तौर पर इस बात का सुबूत थी कि चीन अपने मकसद और मतलब के लिए कुछ भी कर सकता है.
तो चीन ने किया क्या है?
सवाल लाजिमी है, इसका जवाब भी करारा है. दरअसल चीन की महत्वकांक्षी परियोजनाओं ने पीओके में पर्यावरणीय और आर्थिक- सामाजिक असर डाला है. पाक अधिकृत कश्मीर वाले मुजफ्फराबाद में प्रकृति ने सौगात में दो सदानीरा नदियां नीलम और झेलम बख्शीं थीं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि विद्युत परियोजनाओं के चलते झेलम ने राह बदल ली है और नीलम में पानी नहीं, वह नाले जैसे दिखती है. इसका असर यहां के तापमान पर पड़ा है.
नदियों को जिंदा करने के हक में उठीं आवाजें
तो यहां जो शोर उठा वह इन्हीं नदियों को जिंदा करने के हक में था. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुजफ्फराबाद शहर में बुधवार रात एक विशाल मशाल रैली का आयोजन किया गया था. यह रैली नीलम-झेलम नदी में चीनी कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले मेगा-डैम का विरोध करने के निकाली गई थी.
#WATCH A massive torch rally was held in Muzaffarabad city of Pakistan occupied Kashmir (PoK) on Wednesday against mega-dams to be constructed by Chinese firms on Neelum-Jhelum River.
(Visuals from 12.08.2020) pic.twitter.com/dbWZf45TNC— ANI (@ANI) August 13, 2020
जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण समझौते पर किए हस्ताक्षर
जानकारी के मुताबिक, 'दरिया बचाओ, मुजफ्फराबाद बचाओ' (नदी बचाओ, मुजफ्फराबाद बचाओ) समिति के प्रदर्शनकारियों ने नीलम-झेलम बने, हम जिंदा फिर से करें (नीलम और झेलम नदियों को बहने दो, हमें जीने दो) जैसे नारे लगाए.
दरअसल हाल ही में, पाकिस्तान और चीन ने पीओके में आजाद पट्टन और कोहाला जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
झेलम नदी पर पावर प्रोजेक्ट बनाने का प्लान
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के हिस्से के रूप में 700.7 मेगावाट बिजली की पट्टन हाइडल पावर परियोजना पर 6. जुलाई को हस्ताक्षर किए गए थे. 1.54 बिलियन अमेरिकी डालर की इस परियोजना को चीन के जियोझाबा ग्रुप कंपनी (CGGC) द्वारा प्रायोजित किया जाएगा.
Once roaring, Neelum-Jhelum River is now becoming a drain as it's flooded with sewage & locals don't have drinking water. Our natural resources are being exploited under garb of CPEC: PoK activist Dr Amjad Mirza on dams being constructed by Chinese firms on Neelum-Jhelum River https://t.co/NNvpFcnuiR pic.twitter.com/GVaYVps6t3
— ANI (@ANI) August 13, 2020
कोहाला हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट जो झेलम नदी पर बनाया जाएगा, पीओके के सुधनोटी जिले में आज़ाद पट्टन ब्रिज से लगभग 7 किमी ऊपर और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 90 किमी दूर है. इसके 2026 में पूरा होने की उम्मीद है.
बदल दिया है नदियों का मार्ग
स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र में उच्च चीनी उपस्थिति, बांधों का बड़े पैमाने पर निर्माण से नदी विविधता व उनके अस्तित्व को खतरा है. पीओके के एक राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. अमजद अयूब मिर्जा ने मीडिया बातचीत में कहा कि पीओके में इस तरह के विरोध प्रदर्शन लंबे समय से जारी हैं,
लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है. चीन की थ्री गोरजेस कॉरपोरेशन कोइल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और नीलम वैली- जैसी बिलियन डॉलर की परियोजनाओं का निर्माण कर रही है. झेलम जलविद्युत परियोजना से उन्होंने नदियों के मार्ग को बदल दिया है. इससे मुजफ्फराबाद में तापमान में भारी वृद्धि हुई है.
चीन-पाकिस्तान के खिलाफ जताई नाराजगी
पीओके के एक राजनीतिक कार्यकर्ता ने कहा, नीलम नदी अब एक छोटे से नाले जैसी लगती है. इसने स्थानीय निवासियों को बुरी तरह प्रभावित किया है क्योंकि उनके पास पीने का पानी भी नहीं है. नदी सीवेज से भर गई है.
लोगों का कहना है कि सीपीईसी के मद्देनजर पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को पाकिस्तान और चीन संयुक्त रूप से लूट रहे हैं. कब्जे वाले क्षेत्रों में नाराजगी पाकिस्तान और चीन के खिलाफ अधिक है.
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