नई दिल्ली. जो ताज़ा खबर अंतरराष्ट्रीय बाजार से आ रही है वह खाड़ी के देशों को परेशानी में डालने वाली है. अंतररास्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है जो कि वर्ष 1991 के दौर में प्रथम खाड़ी युद्ध की शुरुआत के बाद कच्चे तेल की कीमतों में ये अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है.
सऊदी अरब ने छेड़ा है प्राइस वार
आजकल के दुनियावी हालात को देख कर लगता है कि तेलों की कीमत में गिरावट की वजह भी कहीं न कहीं कोरोना ही होगी. लेकिन इस बार वजह सऊदी अरेबिया की जिद है. जब से रूस की ओर से ओपेक देशों के साथ तेल उत्पादन में कटौती पर सहमति नहीं बनी है तब से सऊदी अरब ने प्राइस वॉर की घोषणा कर दी है. सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में भारी कटौती का ऐलान करके दुनिया को हक्का बक्का छोड़ दिया है. सऊदी के इस ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई है.
पीछे से रूस है मूल कारण
इस अजब हाल का जिम्मेदार दरअसल रूस है. दुनिया भर में कोरोना वायरस ने पहले ही कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता पैदा कर दी थी. इस लगातार हो रही अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए ओपेक और सहयोगी देश तेल उत्पादन में रोजाना करीब डेढ़ मिलियन मिलियन बैरल कटौती की योजना बना रहे थे. लेकिन इसमें रूस की सहमति भी ज़रूरी थी जो उसने नहीं दी.
बीस साल की सबसे बड़ी कटौती
अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूस का अड़ियल रवैया तेल की कीमतों को लेकर परेशानी पैदा कर रहा था. इसलिए हालत से मजबूर हो कर विश्व के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में अपनी तरफ से कटौती की घोषणा कर दी जो कि पिछले 20 साल में सऊदी अरब द्वारा की गई सबसे बड़ी कटौती थी. अप्रैल डिलीवरी में सभी देशों के लिए सऊदी ने कच्चे तेल की कीमतों में 6 से 8 डॉलर प्रति बैरल कीमत गिरा दी है.