हिमाचल के शहीद आशीष कुमार पंचतत्व में हुए विलीन, अरुणाचल प्रदेश में आपरेशन अलर्ट के दौरान गई थी जान!
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हिमाचल के शहीद आशीष कुमार पंचतत्व में हुए विलीन, अरुणाचल प्रदेश में आपरेशन अलर्ट के दौरान गई थी जान!

Panota Sahib: हिमाचल के सिरमौर के शहीद आशीष कुमार पंचतत्व में विलीन हुए. पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ. रुणाचल प्रदेश में आपरेशन अलर्ट के दौरान वाहन दुर्घटनाग्रस्त में गई थी जान. 

हिमाचल के शहीद आशीष कुमार पंचतत्व में हुए विलीन, अरुणाचल प्रदेश में आपरेशन अलर्ट के दौरान गई थी जान!

Panota Sahib News: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर निवासी शहीद सैनिक आशीष कुमार पूरे सैनिक सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुए. पांवटा  साहिब में यमुना जी के किनारे शहीद आशीष कुमार का अंतिम संस्कार किया गया. शहीद की पार्थिव देह को पहले शहीद के पैतृक गांव भरली पहुंचाया गया था. यहां शहीद के अंतिम दर्शनों के बाद पार्थिव देव को पांवटा  साहिब स्वर्ग धाम पहुंचाया गया. शहीद के भाई ने उन्हें मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई दी. 

इस दौरान सिरमौर जिले का पांवटा  साहिब क्षेत्र "आशीष कुमार अमर रहे" के नारों से गूंजता रहा. अमर शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए भरली गांव से लेकर पांवटा साहिब तक लोगों की लंबी कतारे लगी रहीं. स्थानीय लोगों ने वीर सपूत के ताबूत पर फूल बरसा कर शहीद को अंतिम विदाई दी. 

बताते चलें कि 19 ग्रेनेडियर बटालियन में तैनात आशीष मंगलवार को अरुणाचल में आपरेशन अलर्ट’ के दौरान वाहन दुर्घटना में 2 अन्य सैनिकों के साथ शहीद हो गए थे. जानकारी मिली है कि मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में ‘आपरेशन अलर्ट’ के दौरान सेना के जवानों का वाहन अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें देश के 3 जवानों के शहीद हो गए.  मृतकों में सिरमौर का लाल आशीष कुमार भी शामिल है. 

आशीष कुमार की शहादत की सूचना सेना के अधिकारियों ने उनकी माता संतरो देवी को फोन के माध्यम से दी. आशीष की शहादत से जुड़वां भाइयों की जोड़ी भी टूट गई है. शहीद का जुड़वां भाई रोहित एक निजी कंपनी में सेवारत है. ग्रेनेडियर आशीष कुमार करीब 6 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे. शहीद आशीष के पिता श्याम सिंह का पहले ही निधन हो चुका है. अंतिम संस्कार कार्यक्रम के दौरान नाहन फर्स्ट पैरा से आए सैनिकों ने शहीद को सलामी दी और सैन्य अधिकारी ने शहीद की माता को राष्ट्रध्वज सौंपा, जिसमें लिपटकर शहीद घर पहुंचा था. 

रिपोर्ट- ज्ञान प्रकाश, पांवटा साहिब

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