नवरात्रि का दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए लगाएं इस चीज का भोग, ऐसे है पूजन विधि
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नवरात्रि का दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए लगाएं इस चीज का भोग, ऐसे है पूजन विधि

Chaitra Navratri Second Day : ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. इंसान में आलस, अहंकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं.

नवरात्रि का दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए लगाएं इस चीज का भोग, ऐसे है पूजन विधि

नई दिल्ली : आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. इंसान में आलस, अहंकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं. साथ ही मां का स्मरण करने से एकाग्रता और स्थिरता आती है. साथ ही बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का पुष्प प्रिय होता है. इसलिए पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें.  मां ब्रह्मचारिणी को चीनी, मिश्री,दूध और दूध से बने व्‍यंजन काफी पसंद है, इसलिए माता को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं. इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न होती हैं. इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी मिलता है. 

इस तरह करें पूजा 

घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद सबसे पहले मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का गंगा जल से अभिषेक करें. अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें. मां को अक्षत, सिंदूर, गुड़हल या लाल कमल अर्पित करें. प्रसाद के रूप में फल और दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं. इसके बाद धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. इस बात का ध्यान रखें कि सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं. 

मां ब्रह्मचारिणी व्रत कथा 

धार्मिक मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था. भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी नारदजी की सलाह प कठोर तप करती हैं, जिसके बाद ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए और 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं. उनके इस कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अन्तत: माता की मनोकामना पूरी हो जाती है. 

(डिसक्लेमर : यह जानकारी विभिन्न मान्यताओं और माध्यमों से एकत्र कर आप तक पहुंचाई जा रही है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. इसमें लिखी किसी भी बात की पुष्टि ज़ी मीडिया नहीं करता.)

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